प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु राज्य सरकार से कहा है कि लोन डिफाल्टर हुए किसानों पर कोई कठोर कार्रवाई ना करें. कोर्ट ने कहा कि ऐसे किसानों से लोन रिकवरी के लिए तय प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए. मुआवजा देने से ज्यादा जरूरी ऐसे मामलों पर रोकथाम करने की जरूरत है. ऐसा कोई तरीका होना चाहिए जिससे कठोर एक्शन होने पर किसान सरकार से संपर्क कर सकें. कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि बिचौलियों से कैसे छुटकारा पाओगे. कोर्ट इस पर भी सुनवाई करेगा. चार अगस्त को अगली सुनवाई होगी.
बिचौलियों से किसानों को बचाने के लिए सरकार गांवों तक पहुंचे और देखे कि सरकार खुद उत्पादों को खरीदे या फिर सरकारी अफसर देखें कि किसानों को न्यूनतम समर्थन मिले. पहले सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को कहा था कि वो फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य के बारे में किसानों को जागरूक करे ताकि प्रदेश के किसान इसका लाभ उठा सकें और वो मंडी में सही दाम पा सकें.
सुप्रीम कोर्ट ने ये निर्देश एमिक्स क्यूरी की दलील पर दिए थे जिसमें कहा गया कि ज्यादातर किसानों को इसके बारे में जानकारी नहीं है और 35 फीसदी किसान ही इसका लाभ उठा पा रहे हैं. कोर्ट ने सरकार को कहा था कि वो 8 मई को सारी रिपोर्ट बताएं कि किसानों के लिए सरकार क्या क्या कदम उठा रही है. कोर्ट ने कहा कि फिलहाल वो खुदकुशी के मुद्दे पर नहीं जा रहा बल्कि ये देख रहा है कि किसानों को सरकारी योजनाओं से पूरा लाभ दिलाया जा सकता है?
पिछली सुनवाई में किसानों की खुदकुशी के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को आड़े हाथों लिया था. सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार से पूछा है कि राज्य में किसानों द्वारा की जा रही खुदकुशी को रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं. पीठ ने कहा कि चुप रहना समाधान नहीं है.
कोर्ट ने कहा है कि आर्थिक तंगी के कारण किसानों द्वारा खुदकुशी करने की घटना किसी भी संवेदनशील आत्मा को झकझोर देता है. उन्होंने कहा कि राज्य अपने नागरिकों का अभिभावक होता है, इसलिए उसे अपनी प्रजा की भलाई पर ध्यान रखना चाहिए. बड़ी संख्या में किसान खुदकुशी कर रहे हैं, ऐसे में राज्य को इसे रोकने के लिए हरसंभव प्रयास करना चाहिए. एक कल्याणकारी राज्य के लिए सामाजिक न्याय बेहद अहम होता है. राज्य सरकार को इस तरह की घटनाओं को प्राकृतिक आपदा मानते हुए इसे रोकने के लिए तरीका निकालना चाहिए.
जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि हम तमिलनाडु सरकार से उम्मीद करते हैं कि वह अगली तारीख पर इससे निपटने की योजनाएं पेश करेगी. सुप्रीम कोर्ट एक गैर सरकारी संगठन द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा है. जंतर मंतर पर धरने पर बैठे किसानों की ओर से भी सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की गई है.
बिचौलियों से किसानों को बचाने के लिए सरकार गांवों तक पहुंचे और देखे कि सरकार खुद उत्पादों को खरीदे या फिर सरकारी अफसर देखें कि किसानों को न्यूनतम समर्थन मिले. पहले सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को कहा था कि वो फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य के बारे में किसानों को जागरूक करे ताकि प्रदेश के किसान इसका लाभ उठा सकें और वो मंडी में सही दाम पा सकें.
सुप्रीम कोर्ट ने ये निर्देश एमिक्स क्यूरी की दलील पर दिए थे जिसमें कहा गया कि ज्यादातर किसानों को इसके बारे में जानकारी नहीं है और 35 फीसदी किसान ही इसका लाभ उठा पा रहे हैं. कोर्ट ने सरकार को कहा था कि वो 8 मई को सारी रिपोर्ट बताएं कि किसानों के लिए सरकार क्या क्या कदम उठा रही है. कोर्ट ने कहा कि फिलहाल वो खुदकुशी के मुद्दे पर नहीं जा रहा बल्कि ये देख रहा है कि किसानों को सरकारी योजनाओं से पूरा लाभ दिलाया जा सकता है?
पिछली सुनवाई में किसानों की खुदकुशी के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को आड़े हाथों लिया था. सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार से पूछा है कि राज्य में किसानों द्वारा की जा रही खुदकुशी को रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं. पीठ ने कहा कि चुप रहना समाधान नहीं है.
कोर्ट ने कहा है कि आर्थिक तंगी के कारण किसानों द्वारा खुदकुशी करने की घटना किसी भी संवेदनशील आत्मा को झकझोर देता है. उन्होंने कहा कि राज्य अपने नागरिकों का अभिभावक होता है, इसलिए उसे अपनी प्रजा की भलाई पर ध्यान रखना चाहिए. बड़ी संख्या में किसान खुदकुशी कर रहे हैं, ऐसे में राज्य को इसे रोकने के लिए हरसंभव प्रयास करना चाहिए. एक कल्याणकारी राज्य के लिए सामाजिक न्याय बेहद अहम होता है. राज्य सरकार को इस तरह की घटनाओं को प्राकृतिक आपदा मानते हुए इसे रोकने के लिए तरीका निकालना चाहिए.
जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि हम तमिलनाडु सरकार से उम्मीद करते हैं कि वह अगली तारीख पर इससे निपटने की योजनाएं पेश करेगी. सुप्रीम कोर्ट एक गैर सरकारी संगठन द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा है. जंतर मंतर पर धरने पर बैठे किसानों की ओर से भी सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की गई है.
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