राजपाल यादव... (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने अभिनेता राजपाल यादव को राहत नहीं दी है। कोर्ट ने राजपाल यादव की याचिका खारिज करते हुए कहा कि उन्हें 6 दिन के लिए जेल जाना होगा।
मामला कर्ज न चुकाने का है। फिल्म 'अता पता लापता' बनाने के लिए दिल्ली की मुरली प्रोजेक्ट्स नाम की कंपनी से 2010 में 5 करोड़ रुपये लिए थे। कर्ज न चुकाने पर दिल्ली हाई कोर्ट में चल रहे केस में वह कई बार झूठे वादे कर चुके हैं।
2014 में हाई कोर्ट ने 10 दिन के लिए जेल भेजा था, लेकिन 4 दिन जेल में बिताने के बाद सज़ा स्थगित कर दी गई थी। उसी के बचे 10 दिन काटने का हाई कोर्ट ने आदेश दिया था। दरअसल, दिल्ली हाई कोर्ट ने बॉलीवुड अभिनेता राजपाल यादव को 15 जुलाई तक तिहाड़ जेल में आत्मसमर्पण करके पूर्व में उन्हें दी गई सजा के बचे हुए 6 दिन काटने का निर्देश दिया था, जिसे उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में चुनोती दी। अभिनेता को यह सजा झूठा हलफनामा दायर करने के लिए 2013 में दी गई थी।
राजपाल यादव ने 3 से 6 दिसंबर 2013 तक जेल में चार दिन काटे थे, जिसके बाद दिल्ली हाई कोर्ट की खंडपीठ ने उनकी अपील पर सजा निलंबित कर दी थी। न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट और न्यायमूर्ति दीपा शर्मा की पीठ ने दिसंबर 2013 में एक न्यायाधीश की दी गई सजा बरकरार रखी और कहा कि प्रक्रिया का पालन करने में यादव की नाकामी को स्वीकारा नहीं जा सकता। उनको अपने आचरण के बारे में स्पष्टीकरण देने के लिए पर्याप्त समय दिये जाने के बावजूद वह झूठ पर कायम रहे।
पीठ ने कहा था कि इस मामले का लंबा इतिहास बताता है कि बार-बार शपथपत्र का उल्लंघन हुआ और जब यह पूछने के लिए उन्हें बुलाया गया कि कार्रवाई क्यों नहीं की जाए, अपीलकर्ता और उनकी पत्नी ने झूठे और टालने वाले जवाब दिए जिसमें झूठे हलफनामे को सही ठहराना शामिल है।
अभिनेता के खिलाफ अवमानना कार्रवाई एक कारोबारी की याचिका पर की थी। यादव और उनकी पत्नी के खिलाफ दायर वसूली वाद में अदालत को गुमराह करने पर शुरू की गई थी। एकल न्यायाधीश की पीठ ने यादव द्वारा दो दिसंबर 2013 को दायर हलफनामे पर आपत्ति जताई थी जो कथित रूप से झूठा तैयार किया गया था और इसमें उनकी पत्नी के जाली हस्ताक्षर थे।
मामला कर्ज न चुकाने का है। फिल्म 'अता पता लापता' बनाने के लिए दिल्ली की मुरली प्रोजेक्ट्स नाम की कंपनी से 2010 में 5 करोड़ रुपये लिए थे। कर्ज न चुकाने पर दिल्ली हाई कोर्ट में चल रहे केस में वह कई बार झूठे वादे कर चुके हैं।
2014 में हाई कोर्ट ने 10 दिन के लिए जेल भेजा था, लेकिन 4 दिन जेल में बिताने के बाद सज़ा स्थगित कर दी गई थी। उसी के बचे 10 दिन काटने का हाई कोर्ट ने आदेश दिया था। दरअसल, दिल्ली हाई कोर्ट ने बॉलीवुड अभिनेता राजपाल यादव को 15 जुलाई तक तिहाड़ जेल में आत्मसमर्पण करके पूर्व में उन्हें दी गई सजा के बचे हुए 6 दिन काटने का निर्देश दिया था, जिसे उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में चुनोती दी। अभिनेता को यह सजा झूठा हलफनामा दायर करने के लिए 2013 में दी गई थी।
राजपाल यादव ने 3 से 6 दिसंबर 2013 तक जेल में चार दिन काटे थे, जिसके बाद दिल्ली हाई कोर्ट की खंडपीठ ने उनकी अपील पर सजा निलंबित कर दी थी। न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट और न्यायमूर्ति दीपा शर्मा की पीठ ने दिसंबर 2013 में एक न्यायाधीश की दी गई सजा बरकरार रखी और कहा कि प्रक्रिया का पालन करने में यादव की नाकामी को स्वीकारा नहीं जा सकता। उनको अपने आचरण के बारे में स्पष्टीकरण देने के लिए पर्याप्त समय दिये जाने के बावजूद वह झूठ पर कायम रहे।
पीठ ने कहा था कि इस मामले का लंबा इतिहास बताता है कि बार-बार शपथपत्र का उल्लंघन हुआ और जब यह पूछने के लिए उन्हें बुलाया गया कि कार्रवाई क्यों नहीं की जाए, अपीलकर्ता और उनकी पत्नी ने झूठे और टालने वाले जवाब दिए जिसमें झूठे हलफनामे को सही ठहराना शामिल है।
अभिनेता के खिलाफ अवमानना कार्रवाई एक कारोबारी की याचिका पर की थी। यादव और उनकी पत्नी के खिलाफ दायर वसूली वाद में अदालत को गुमराह करने पर शुरू की गई थी। एकल न्यायाधीश की पीठ ने यादव द्वारा दो दिसंबर 2013 को दायर हलफनामे पर आपत्ति जताई थी जो कथित रूप से झूठा तैयार किया गया था और इसमें उनकी पत्नी के जाली हस्ताक्षर थे।
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