शराब कंपनियों को सुप्रीम कोर्ट से झटकान
नई दिल्ली:
बिहार में शराब के स्टाक के मामले में शराब कंपनियों को सुप्रीम कोर्ट से फिर झटका लगा है. कोर्ट ने शराब कंपनियों को बिहार से शराब निकालने के लिए वक्त देने से इंकार कर दिया है, हालांकि बिहार सरकार स्टॉक की सारी शराब को पहले ही नष्ट कर चुकी है.
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31 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने और वक्त देने से इनकार करते हुए बिहार सरकार को सारी शराब नष्ट करने को कहा था. इसी को लेकर बिहार की कुछ शराब कंपनियां फिर से सुप्रीम कोर्ट आई थी कि जो भी स्टॉक बचा है उसे आयात करने की इजाजत दी जाए.
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29 मई को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के विरोध के बावजूद बिहार के गोदामों में रखी शराब निकालने के लिए 31 जुलाई तक की वक्त दिया था. बिहार सरकार की ओर से पेश वकील केशव मोहन ने अर्जी का विरोध करते हुए कहा था कि सरकार के 31 गोदामों में करीब 2 करोड़ 80 लाख बोतलें रखी गई हैं, जिनमें से सिर्फ 10 लाख बोतलें ही निकाली गई हैं.
इस शराब के स्टॉक की सुरक्षा के लिए सरकार का हर महीने एक करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं. राज्य में शराब रखी होने की वजह से कानून व्यवस्था के खराब होने की आशंका है, लेकिन कोर्ट ने बिहार सरकार से कहा था कि जब शराब सरकार की सुरक्षा में है तो फिर ये बाहर कैसे बिकेगी. कोर्ट ने कंपनियों से कहा था कि इसके बाद और वक्त नहीं मिलेगा. वहीं कंपनियों का कहना था कि कंपनियों ने शराब को दूसरे राज्यों को भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.
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31 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने और वक्त देने से इनकार करते हुए बिहार सरकार को सारी शराब नष्ट करने को कहा था. इसी को लेकर बिहार की कुछ शराब कंपनियां फिर से सुप्रीम कोर्ट आई थी कि जो भी स्टॉक बचा है उसे आयात करने की इजाजत दी जाए.
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29 मई को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के विरोध के बावजूद बिहार के गोदामों में रखी शराब निकालने के लिए 31 जुलाई तक की वक्त दिया था. बिहार सरकार की ओर से पेश वकील केशव मोहन ने अर्जी का विरोध करते हुए कहा था कि सरकार के 31 गोदामों में करीब 2 करोड़ 80 लाख बोतलें रखी गई हैं, जिनमें से सिर्फ 10 लाख बोतलें ही निकाली गई हैं.
इस शराब के स्टॉक की सुरक्षा के लिए सरकार का हर महीने एक करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं. राज्य में शराब रखी होने की वजह से कानून व्यवस्था के खराब होने की आशंका है, लेकिन कोर्ट ने बिहार सरकार से कहा था कि जब शराब सरकार की सुरक्षा में है तो फिर ये बाहर कैसे बिकेगी. कोर्ट ने कंपनियों से कहा था कि इसके बाद और वक्त नहीं मिलेगा. वहीं कंपनियों का कहना था कि कंपनियों ने शराब को दूसरे राज्यों को भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.
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