हरियाणा (Haryana Government) के निवासियों को प्राइवेट सेक्टर की जॉब में 75 प्रतिशत कोटे के मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कानून पर अंतरिम रोक लगाने के हाईकोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया है. पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट को चार हफ्ते में मामले में फैसला करने को कहा है. कोर्ट ने कानून के तहत कोटा ना देने पर कंपनियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई पर भी रोक लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट ने अंतरिक रोक के फैसले में कारण नहीं बताया है. इसी मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कई अहम टिप्पणियां कीं. सुप्रीम कोर्ट ने देश में प्रवासी मजदूरों का मुद्दा उठाया और कहा कि हम चिंतित हैं, क्योंकि भारत में 4 करोड़ से अधिक प्रवासी मजदूर हैं.
दरअसल, हरियाणा सरकार ने डोमिसाइल कानून का बचाव किया. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस कानून से दूसरे राज्यों से आने वाले प्रवासी मजदूरों की समस्या भी सुलझेगी. ऐसे में स्लम और पर्यावरण जैसे मुद्दे हल होंगे, लेकिन जस्टिस एल नागेश्वर राव ने कहा कि देश में चार करोड़ प्रवासी मजदूर हैं. हमें उनके जीवनयापन की चिंता है.
हरियाणा सरकार ने कहा कि डोमिसाइल कानून यह सुनिश्चित करेगा कि लोगों को कहीं और न जाना पड़े और यह स्लम समस्या का समाधान करेगा. डोमिसाइल कानून प्रवासियों को दूसरे राज्यों में बसने से रोकेगा. हरियाणा सरकार ने इस पूरे मामले पर कहा कि 900 प्रतिष्ठान पहले ही पंजीकृत हो चुकी हैं, लेकिन हरियाणा की इंडस्ट्रीज ने डोमिसाइल कानून पर आपत्ति जताई. फरीदाबाद इंडस्ट्रीज एसोसिएशन की ओर से वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि इसका पूरे क्षेत्र पर दूरगामी पड़ेगा. हरियाणा सरकार का कहना है कि 900 प्रतिष्ठान पंजीकृत किए गए हैं, लेकिन हरियाणा में 45,000 से अधिक हैं इसलिए इस संख्या का कोई मतलब नहीं है. पर्याप्त स्थानीय निचले कर्मचारियों की कमी के कारण प्राइवेट लॉ फर्मों को भी बंद करना पड़ेगा. केरल से इतनी नर्सें होने से निजी अस्पताल प्रभावित होंगे. मानेसर इंडस्ट्रीज वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से वकील श्याम दीवान मे कहा कि उद्योगों को नुकसान होगा और यह एक आर्थिक इकाई के रूप में भारत के विचार को प्रभावित करता है.
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