मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह (Param Bir Singh) की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने भले ही हाई कोर्ट जाने को कहा हो लेकिन इस दौरान की गई कुछ टिप्पणियां काफी अहम हैं. परमबीर के वकील मुकुल रोहतगी ने दलील दी कि यह पूरे राज्य प्रशासन को प्रभावित करने का मामला है. पूरा राज्य और देश चौंक गया है. घोटाले की कोई सीमा नहीं है. रोहतगी ने दलील दी कि उनके मुवक्किल का दो साल पहले ट्रांसफर नहीं किया जा सकता जब तक कि कोई जांच ना हो.
इस पर जस्टिस संजय किशन कौल ने टिप्पणी की, "कहीं भी राज्य ने पुलिस सुधारों को लागू नहीं किया क्योंकि कोई सत्ता को जाने नहीं देना चाहता. जब भी कुछ विशेष घटनाएं अचानक आती हैं तो लोग प्रकाश सिंह के फैसले को याद करने लगते हैं." जस्टिस कौल ने कहा कि संबंधित पक्ष बहुत लंबे समय के लिए हंकी-डोरी (अच्छे से) थे लेकिन अब अलग हो रहे हैं, तो एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं.
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जस्टिस कौल ने कहा, "यह एक गंभीर मामला है. इसमें कोई संदेह नहीं है लेकिन हाई कोर्ट मामले से निपट सकता है." इस पर रोहतगी ने कहा कि पूरे देश के लिए गंभीर सार्वजनिक हित की बात है. इसके बाद जस्टिस कौल ने बड़ी टिप्पणी की. उन्होंने कहा, "यह एक ऐसा मुद्दा है जहां दोनों व्यक्तियों के बीच चीजें तब तक ठीक लग रही थीं, जब तक कि जनता के सामने कुछ नहीं आया. अब दोनों द्वारा आरोप लगाए जा रहे हैं."
जाहिर है कि सुप्रीम कोर्ट की ये टिप्पणियां काफी अहम हैं. इससे साफ होता है कि महाराष्ट्र में जो कुछ हो रहा है, उस पर अदालत की भी नज़र है. वो जानती है कि इसके पीछे कहीं ना कहीं राजनीति भी छिपी है और इसका हिस्सा वो नहीं बनना चाहती.
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