सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने यौन अपराधों के खिलाफ ट्रांसजेंडर समुदाय (transgender community) के लिए समान सुरक्षा की मांग करने वाली जनहित याचिका (PIL)पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है. CJI एसए बोबडे की बेंच ने सीनियर एडवोकेट विकास सिंह को कोर्ट के समक्ष उन मुद्दों की सूची देने के लिए कहा, जिन पर SC ने विशाखा दिशानिर्देशों का उदाहरण देते हुए दिशानिर्देश दिए हैं. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल करके ट्रांसजेंडरों के लिए यौन अपराधों के कानून के तहत समान संरक्षण की मांग की गई है. इस याचिका में कहा गया है कि ट्रांसजेंडरों को यौन अपराधों से बचाने के लिए कानून में सजा का कोई प्रावधान नहीं किया गया है.
Farmers Bill : सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार को जारी किया नोटिस, 6 हफ्तों में मांगा जवाब
याचिका अधिवक्ता रीपक कंसल ने दाखिल की है, इसमें कानून एवं न्याय मंत्रालय और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय को पक्षकार बनाया गया है. याचिका में यौन अपराधों पर आईपीसी (भारतीय दंड संहिता) के विभिन्न प्रावधानों, कानून में हालिया संशोधनों और अन्य कानूनों का हवाला देते हुए आरोप लगाया गया है कि उनमें से कोई भी ट्रांसजेंडरों के बारे में बात नहीं करता. इस अदालत द्वारा ट्रांसजेंडरों को थर्ड जेंडर घोषित किए जाने के बावजूद आइपीसी में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जो ट्रांसजेंडरों को महिला, पुरुष या अन्य ट्रांसजेंडर द्वारा किए गए यौन अपराध से बचाता हो.
शाहीन बाग प्रदर्शन पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं