कर्नाटक में जारी उठापटक पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मामले को मंगलवार तक के लिए टाल दिया है और कहा कि तब तक यथा स्थिति रहे. इससे पहले बागी विधायकों की ओर से पेश वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि विधायकों को मेरे पास आना चाहिए था उनको सुप्रीम कोर्ट के पास नहीं जाना चाहिए था. स्पीकर ने कहा कि मुझे पूरी रात इस्तीफों को पढ़ना है. जनता के प्रति जवाबदेह हूं. बागी विधायकों की तरफ से कहा गया कि स्पीकर ने कल कहा कि सुप्रीम कोर्ट हमें निर्देश नही दे सकता. स्पीकर ने ये भी कहा था कि मैं पहले इस्तीफे को देखूंगा उसके बाद फैसला करूंगा और अभी तक कोई फैसला भी नहीं दिया. बागी विधायकों की तरफ से कहा गया कि ये मामला केवल इस्तीफा का है. बागी पब्लिक, टीवी और कोर्ट हर जगह कह रहे है कि वो इस्तीफा देना चाहते हैं. इस पर प्रधान न्यायाधीश ने पूछा कि स्पीकर का फैसला क्या है, तो बागी विधायकों की तरफ से कहा गया कि अभी तक स्पीकर की तरफ से कुछ नही कहा गया है. आज से विधानसभा का सत्र शुरू हो रहा है स्पीकर बस विधायकों को अयोग्य करार देने चाहते हैं. मुकुल रोहतगी ने कहा कि कांग्रेस की ओर से व्हिप जारी किया गया है और इस तरह तो वह अयोग्य घोषित हो जाएंगे.
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स्पीकर की ओर से पेश वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि संविधान में भी पूरा ब्यौरा है कि किसी विधायक के इस्तीफे को मंज़ूर करने से पहले क्या क्या करने की प्रक्रिया होगी. स्पीकर की तरफ से कहा गया कानून के हिसाब से स्पीकर जब संतुष्ट होंगे तब इस्तीफा स्वीकार होता है. इसमें समय लगता है. जिस तरह से याचिकाकर्ता चाहते है कि तुरंत किया जाए ये संभव नहीं है. पहले ये देख जाता है कि इस्तीफा सही है या नहीं. सिंघवी की इस दलील पर कोर्ट ने पूछा- क्या स्पीकर सुप्रीम कोर्ट के पावर को चैलेंज कर रहे हैं? सिंघवी ने कहा नहीं. हम सिर्फ प्रक्रिया बता रहे हैं. सिंघवी ने आगे कहा कि सभी दस विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की कार्रवाही चल रही है. इनमें से आठ के खिलाफ कार्रवाही स्पीकर के पास इस्तीफा पहुंचने से पहले शुरू की गई. विधायक स्पीकर से मिलने की बजाए मुंबई जाकर रिसॉर्ट में रूक गए. स्पीकर की संवैधानिक पद पर है विधायकों का इस्तीफा सही फॉर्मेट में नहीं था. कल ही उन्होंने इसे सही किया है. फिलहाल मंगलवार को फिर सुनवाई होगी.
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वहीं कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी की ओर से पेश वकील राजीव धवन ने कहा कि इस याचिका में कोई तथ्य नहीं हैं. जिस पोंजी घोटाले की बात इस्तीफे के लिए कही गई है उसमें याचिकाकर्ता में से ही एक शामिल है. यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है. इस याचिका में एक शब्द भी ऐसा नही है जिसपर आर्टिकल 32 के तहत सुनवाई की जाए. विधायकों का कहना है कि इन्होंने राज्यपाल को इस्तीफा दिया था जिन्होंने इसे स्पीकर को भेजा. अरूणाचल प्रदेश जजमेंट में साफ है कि राज्यपाल का कोई रोल नहीं है. सिर्फ स्पीकर की भूमिका होती है. धवन ने आगे कहा कि विधायकों ने दावा किया है कि वो स्वेच्छा से अपनी सदस्यता छोड़ रहे हैं. लेकिन उनकी मंशा संदिग्ध है. सुप्रीम कोर्ट का ही फैसला है कि अगर स्पीकर को निजी तौर पर भी इस्तीफे की सूचना मिले तो स्पीकर की ज़िम्मेदारी है कि वो उसके पीछे के कारणों की जांच कराए. संविधान की 10 वी अनुसूची में इस प्रक्रिया का पूरा ब्यौरा है.
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इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने बागी विधायकों के वकील मुकुल रोहतगी से पूछा कि इस्तीफे के अलावा अयोग्यता का मामला भी विचाराधीन है. दो विधायकों की अयोग्यता कार्रवाही फरवरी में शुरू हुई. बाकी आठ का क्या हुआ. इस पर मुकुल रोहतगी ने कहा कि दो के खिलाफ फरवरी में कार्रवाई शुरू हुई फिर बंद कर दी. अब दबाव में दोबारा शुरू की गई है. सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर कहा कि याचिका के सुनवाई योग्य होने के अलावा सवाल संवैधानिक मुद्दों का भी है.
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