धार्मिक नेताओं, संगठनों के सम्मान को ठेस पहुंचाने वाली रिपोर्टिंग पर रोक के लिए याचिका

इलेक्ट्रॉनिक चैनलों मे प्रेस की स्वतंत्रता के नाम पर व्यक्तियों, समुदायों, धार्मिक संतों, धार्मिक और राजनीतिक संगठनों की 'गरिमा की हत्या' को प्रतिबंधित करने के लिए दिशा- निर्देश जारी करने की मांग की गई है.

धार्मिक नेताओं, संगठनों के सम्मान को ठेस पहुंचाने वाली रिपोर्टिंग पर रोक के लिए याचिका

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस याचिका पर जवाब मांगा है.

नई दिल्ली :

इलेक्ट्रॉनिक चैनलों मे प्रेस की स्वतंत्रता के नाम पर व्यक्तियों, समुदायों, धार्मिक संतों, धार्मिक और राजनीतिक संगठनों की 'गरिमा की हत्या' को प्रतिबंधित करने के लिए दिशा- निर्देश जारी करने की मांग की गई है. वकील रीपक कंसल ने  याचिका में मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार को आदेश दे कि वो चैनलों के लिए दिशा-निर्देश जारी करे. उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक चैनलों के 'अनियंत्रित और अनियमित' प्रसारण को नियंत्रित करने की भी मांग की है. याचिका में केंद्र सरकार को मीडिया ट्रायल, समानांतर ट्रायल, न्यायिक विचारों और न्याय प्रशासन में दखल देने पर रोक लगाने के लिए उचित आदेश जारी करने की भी मांग की गई.

याचिकाकर्ता ने शीर्ष अदालत को भारत में प्रसारण सेवाओं के विकास को विनियमित करने और सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से केंद्र सरकार को एक स्वतंत्र प्राधिकरण के रूप में  ब्रॉडकास्ट रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (बीआरआई) बनाने के आदेश देने की गुहार लगाई गई है.  इस के साथ ही प्रेस की स्वतंत्रता की परिभाषा तय करने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है. सुप्रीम कोर्ट में दखिल याचिका में धार्मिक नेताओं, धार्मिक और राजनीतिक संगठनों के सम्मान को ठेस पहुंचाने वाली रिपोर्टिंग  पर रोकने की मांग की गई है. 

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