देश में जारी कोरोना संकट के बीच अब सुप्रीम कोर्ट से भी कोविड-19 का मामला सामने आया है. सुप्रीम कोर्ट के एक कर्मचारी को कोरोना पॉजिटिव पाया गया है. जिस कर्मचारी को कोरोना संक्रमित पाया गया था वह 16 अप्रैल को कोर्ट आया था. दो रजिस्ट्रारों को 30 अप्रैल तक क्वारेंटाइन किया जा चुका है और बाकी संपर्क में आए हुए लोगों का पता लगाया जा रहा है. इस बीच देश में कोरोनावायरस का मामला 28 हजार पार कर गया है.
स्वास्थ्य मंत्रालय (Health Ministry) की ओर से जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक भारत में कोरोनावायरस संक्रमितों की संख्या 28380 हो गई है. पिछले 24 घंटों में कोरोना के 1463 नए मामले सामने आए हैं और सबसे ज्यादा 60 लोगों की मौत हुई है. वहीं, देश में कोरोना से अब तक 886 लोगों की मौत हो चुकी है, हालांकि राहत की बात यह है कि 6362 मरीज इस बीमारी को हराने में कामयाब भी हुए हैं.
बता दें कि देश में कोरोना के बढ़ते मामले को देखते हुए लॉकडाउन को 3 मई तक के लिए बढ़ा दिया गया है. हालांकि 20 अप्रैल से लॉकडाउन के दौरान उन इलाकों में कुछ छूट भी दी गई है, जहां कोरोना के मामले कम हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार यानी आज मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस में हॉटस्पॉट वाले इलाकों में लॉकडाउन बढ़ाने के संकेत भी दिये हैं.
इससे पहले आज ही देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) शरद अरविंद बोबडे (Sharad Arvind Bobde) ने अदालत के सरकार की लाइन पर चलने के आरोप से सिरे से नकार दिया है. उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस की आपदा जैसी स्थिति में देश के तीनों अंगों कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका को मिलकर काम करना होता है. सीजेआई ने यह भी कहा कि महामारी या किसी आपदा से निपटने के लिए कार्यपालिका ही बेहतर है, लेकिन अगर कार्यपालिका लोगों के जीवन को खतरे में डालेंगी तो न्यायपालिका अवश्य हस्तक्षेप करेगी. CJI शरद अरविंद बोबडे ने यह विचार NDTV से विशेष बातचीत में व्यक्त किए.
VIDEO: संकट में तीनों अंगों को मिलकर काम करना है- CJI
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