कोरोनावायरस (Coronavirus) के दौरान EMI में मोहलत के मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई की. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आर्थिक पहलू लोगों के स्वास्थ्य से बढ़कर नहीं है. अदालत ने कहा कि ये सामान्य समय नहीं हैं. एक ओर EMI पर मोहलत दी जा रही है लेकिन ब्याज में कुछ भी नहीं. यह अधिक हानिकारक है. कोर्ट का आदेश एक हफ्ते में वित्त मंत्रालय और अन्य पक्षकार RBI के जवाब पर हलफनामा दाखिल करें.
सुप्रीम कोर्ट ने वित्त मंत्रालय से पूछा है कि दो मुद्दे हैं कि क्या मोहलत के दौरान EMI पर ब्याज से और ब्याज पर ब्याज से छूट दी जा सकती है? इस पर सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने कहा कि हम वित्त मंत्री और आला अधिकारियों के साथ मीटिंग कर रास्ता तलाशते हैं. फिलहाल अगली सुनवाई 12 जून को होगी.
याचिकाकर्ता की ओर से राजीव दत्ता ने कहा कि हमें सरकार के जवाब पर रिजॉइंडर दाखिल करने की इजाजत दें. इतने अहम मसले पर हलफनामा कौन दाखिल कर रहा है जॉइंट डायरेक्टर? ये मज़ाक है. अब सब कुछ सामने आ गया है. cat is now out of bag... बैंक अपने मुनाफे और ब्याज के लाभ की बात कर रहे हैं, जबकि याचिकाकर्ता भी कोरोना से सबसे ज़्यादा प्रभावित महाराष्ट्र से हैं.
RBI के हलफनामे के मीडिया में आने पर नाराज़गी जताई. जस्टिस अशोक भूषण ने कहा कि कोर्ट में आने से पहले RBI का हलफनामा मीडिया में कैसे लीक हुआ. ये गलत परंपरा है और आगे से ऐसा नहीं होना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट में RBI ने जवाब दाखिल किया है. अपने जवाबी हलफनामे में, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने कहा है कि लोन चुकाने पर रोक के दौरान ब्याज पर छूट से बैंकों की वित्तीय स्थिरता और स्वास्थ्य को खतरा होगा.
सुप्रीम कोर्ट में आरबीआई ने हलफ़नामा दायर कर 6 महीने की मोराटोरियम अवधि के दौरान ब्याज माफी की मांग को गलत बताया. 0RBI ने कहा कि लोगों को 6 महीने का EMI अभी न देकर बाद में देने की छूट दी गई है, लेकिन इस अवधि का ब्याज भी नहीं लिया गया तो बैंकों को 2 लाख करोड़ रुपए का नुकसान होगा.
जवाब में ये भी कहा गया है कि अभी ब्याज नहीं लगाया गया तो बाद में EMI पर ब्याज और बढ़ जाएगा और बैंकौं व वित्तीय संस्थानों के लिए ब्याज ही आय का स्त्रोत है. कोविड-19 महामारी के मद्देनजर, आरबीआई ने 27 मार्च को एक सरकुलर जारी किया था, जिसमें बैंकों को तीन महीने की अवधि के लिए किश्तों के भुगतान के लिए मोहलत दी गई थी.
22 मई को, RBI ने 31 अगस्त तक के लिए तीन महीने की मोहलत की अवधि बढ़ाने की घोषणा की, जिससे यह छह महीने की मोहलत बन गई. नतीजतन लोन पर ब्याज छह महीने के लिए ये मोहलत बन गई. सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा गया कि बैंक EMI पर मोहलत देने के साथ-साथ ब्याज लगा रहे हैं जो कि गैर कानूनी है. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने RBI और केंद्र से जवाब मांगा था.
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