ममता बनर्जी ने सबसे पहले इस योजना से अलग होने का ऐलान किया (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
केंद्र सरकार बजट में घोषित स्वास्थ्य बीमा योजना पर सहमति के लिये गुरुवार से दिल्ली में राज्यों के साथ दो दिन की बैठक कर रही है. सरकार की घोषणा के हिसाब से 10 करोड़ परिवारों को 5 लाख सालाना कवरेज दी जायेगी लेकिन कई गैर बीजेपी शासित राज्य केंद्र की योजना से सहमत नहीं हैं. वो इसे अव्यवहारिक और पैसे की बरबादी बता रहे हैं. ममता बनर्जी ने सबसे पहले इस योजना से अलग होने का ऐलान किया. बंगाल सरकार का कहना है कि उसके पास राज्य में 'स्वास्थ्य साथी' नाम से बीमा योजना पहले से है जिसमें 1.5 लाख का हेल्थ बीमा कवरेज है. ममता ने कहा है कि वो केंद्र सरकार की योजना पर संसाधन बर्बाद नहीं करेंगी. टीएमसी के कई नेता कह रहे हैं कि केंद्र सरकार राज्यों के पैसे पर अपना चुनावी ढिंढोरा पीटना चाहती है.
बंगाल सरकार ही नहीं, कई दूसरे गैर बीजेपी शासित राज्य अपनी स्कीम का हवाला दे रहे हैं. कर्नाटक के पास पहले से ही हेल्थ बीमा योजना थी लेकिन आगामी चुनावों के मद्देनज़र सिद्धारमैय्या ने पिछले साल 1.5 लाख कवरेज वाली आरोग्य भाग्य योजना शुरू की है. तमिलनाडु में मुख्यमंत्री सम्पूर्ण बीमा योजना है जिसमें 2 लाख रुपये तक का बीमा कवरेज है. आंध्र प्रदेश के पास एनटीआर वैद्य सेवा है जिसमें 2.5 लाख की सीमा है. तेलंगाना के पास आरोग्य श्री नाम से 2 लाख रुपये सालाना की स्वास्थ्य बीमा योजना है. केरल में मौजूदा राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत मिलने वाले 30 हज़ार रुपये की कवरेज के साथ जोड़कर राज्य अतिरिक्त 70 हजार की कवरेज देता है. उत्तर पूर्व में मेघालय में मेघा स्वास्थ्य बीमा योजना है जिसमें 2.80 लाख की कवरेज शायद देश में सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना है.
बीजेपी शासित राज्यों में भी अपनी अपनी बीमा योजनाएं चल रही हैं. मिसाल के तौर पर महाराष्ट्र में ज्योतिबा फुले जन आरोग्य योजना है जो पहले राजीव गांधी के नाम से चलाई जाती थी. इस स्वास्थ्य बीमा योजना में डेढ़ लाख रुपये सालाना की कवरेज है. उधर हिमाचल और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में भी स्वास्थ्य बीमा योजनाएं राज्य सरकारों के पास हैं.
VIDEO: स्वास्थ्य से जुड़ी योजनाओं की क्या है हकीकत?
केंद्र और राज्यों के बीच तकरार के बावजूद अपनी नई घोषित बीमा योजना को लेकर राज्यों के साथ केंद्र सरकार प्रीमियम के बंटवारे की कोशिश कर रही है. इसमें केंद्र और राज्य के बीच 60:40 का बंटवारा करने की बात पहले ही नीति आयोग कह चुका है. नीति आयोग का कहना है कि वह केंद्र और राज्यों के बीच इस योजना को लागू करने के लिए तालमेल बना रहा है. राज्यों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की गई है और वर्किंग ग्रुप बनाये गये हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव प्रीति सूदन ने एनडीटीवी इंडिया से कहा कि राज्यों के साथ मशविरे के लिये दो दिन की बैठक की जा रही है.
बंगाल सरकार ही नहीं, कई दूसरे गैर बीजेपी शासित राज्य अपनी स्कीम का हवाला दे रहे हैं. कर्नाटक के पास पहले से ही हेल्थ बीमा योजना थी लेकिन आगामी चुनावों के मद्देनज़र सिद्धारमैय्या ने पिछले साल 1.5 लाख कवरेज वाली आरोग्य भाग्य योजना शुरू की है. तमिलनाडु में मुख्यमंत्री सम्पूर्ण बीमा योजना है जिसमें 2 लाख रुपये तक का बीमा कवरेज है. आंध्र प्रदेश के पास एनटीआर वैद्य सेवा है जिसमें 2.5 लाख की सीमा है. तेलंगाना के पास आरोग्य श्री नाम से 2 लाख रुपये सालाना की स्वास्थ्य बीमा योजना है. केरल में मौजूदा राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत मिलने वाले 30 हज़ार रुपये की कवरेज के साथ जोड़कर राज्य अतिरिक्त 70 हजार की कवरेज देता है. उत्तर पूर्व में मेघालय में मेघा स्वास्थ्य बीमा योजना है जिसमें 2.80 लाख की कवरेज शायद देश में सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना है.
बीजेपी शासित राज्यों में भी अपनी अपनी बीमा योजनाएं चल रही हैं. मिसाल के तौर पर महाराष्ट्र में ज्योतिबा फुले जन आरोग्य योजना है जो पहले राजीव गांधी के नाम से चलाई जाती थी. इस स्वास्थ्य बीमा योजना में डेढ़ लाख रुपये सालाना की कवरेज है. उधर हिमाचल और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में भी स्वास्थ्य बीमा योजनाएं राज्य सरकारों के पास हैं.
VIDEO: स्वास्थ्य से जुड़ी योजनाओं की क्या है हकीकत?
केंद्र और राज्यों के बीच तकरार के बावजूद अपनी नई घोषित बीमा योजना को लेकर राज्यों के साथ केंद्र सरकार प्रीमियम के बंटवारे की कोशिश कर रही है. इसमें केंद्र और राज्य के बीच 60:40 का बंटवारा करने की बात पहले ही नीति आयोग कह चुका है. नीति आयोग का कहना है कि वह केंद्र और राज्यों के बीच इस योजना को लागू करने के लिए तालमेल बना रहा है. राज्यों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की गई है और वर्किंग ग्रुप बनाये गये हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव प्रीति सूदन ने एनडीटीवी इंडिया से कहा कि राज्यों के साथ मशविरे के लिये दो दिन की बैठक की जा रही है.
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