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This Article is From Jun 24, 2015

स्मृति ईरानी की मुश्किलें बढ़ीं : शैक्षिक योग्यता मामले पर सुनवाई के लिए कोर्ट तैयार

स्मृति ईरानी की मुश्किलें बढ़ीं : शैक्षिक योग्यता मामले पर सुनवाई के लिए कोर्ट तैयार
फाइल फोटो
नई दिल्ली: केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी द्वारा चुनाव आयोग के समक्ष दाखिल हलफनामे में अपनी शैक्षिक योग्यता के बारे में कथित तौर पर गलत जानकारी देने के खिलाफ शिकायत पर दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने बुधवार को फैसला सुना दिया। कोर्ट ने कहा कि मामला सुनवाई के लायक है और इस पर अगली सुनवाई 28 अगस्त को होगी। इसी के साथ माना जा रहा है कि अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की करीबी और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

बता दें कि मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट आकाश जैन ने 1 जून को इस मामले में मियाद से जुड़े पहलू और क्या इसका संज्ञान लिया जा सकता है या नहीं। इन बिन्दुओं पर दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रखा था।

यह शिकायत स्वतंत्र लेखक अहमद खान ने दायर की थी और आरोप लगाया था कि स्मृति ने लोकसभा और राज्यसभा के चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करते समय चुनाव आयोग के समक्ष तीन हलफनामे पेश किये थे, जिनमें उन्होंने अपनी शैक्षिक योग्यता के बारे में अलग-अलग ब्योरा दिया है।

खान की ओर से उपस्थित होते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता केके मनन ने अदालत को बताया कि अप्रैल 2004 में लोकसभा चुनाव के लिए अपने हलफनामे में कहा था कि उन्होंने 1996 में दिल्ली विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ कॉरस्पान्डन्स से बीए किया जबकि 11 जुलाई 2011 को गुजरात से राज्यसभा चुनाव के लिए एक अन्य हलफनामे में उन्होंने कहा कि उनकी सर्वोच्च शैक्षिक योग्यता डीयू के स्कूल ऑफ कॉरस्पान्डन्स से बीकॉम पार्ट वन हैं।

शिकायत में आरोप लगाया गया है कि 16 अप्रैल 2014 को उत्तर प्रदेश की अमेठी सीट से लोकसभा चुनाव के लिए नामांकन के संबंध में अपने हलफनामे में स्मृति ईरानी ने कहा था कि उन्होंने डीयू के स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग से बैचलर ऑफ कॉमर्स पार्ट 1 पूरा किया है। इसमें आरोप लगाया गया है कि स्मृति ईरानी द्वारा पेश हलफनामे की विषयवस्तु से स्पष्ट है कि उनकी ओर से शैक्षिक योग्यता के बारे में केवल एक शपथ ही सही है।

शिकायत में दावा किया गया है, स्मृति ईरानी के उक्त हलफनामों में अपनी शैक्षिक योग्यता के बारे में गलत और भिन्न भिन्न बयान दिया, ऐसा प्रतीत होता है कि अपने स्वामित्व की अचल सम्पत्ति एवं अन्य ब्यौरे के बारे में गलत या भिन्न बयान दिया।

याचिका में आरोप लगाया गया है, उपरोक्त तथ्य और परिस्थितियां आरोपी की ओर से जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 125ए के तहत अपराध की बात स्पष्ट करती है, साथ ही अतिरिक्त जांच के परिणामस्वरूप अन्य दंडात्मक प्रावधानों के तहत अपराध हो सकता है।

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