जम्मू-कश्मीर में सरपंचों और पंचों को सुरक्षा मुहैया कराएगा प्रशासन

जम्मू-कश्मीर के 20 जिलों में लगभग 1,000 सरपंचों और पंचों को सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी. ये फ़ैसला एक सुरक्षा समीक्षा के बाद लिया गया है.

जम्मू-कश्मीर में सरपंचों और पंचों को सुरक्षा मुहैया कराएगा प्रशासन

प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली:

जम्मू-कश्मीर के 20 जिलों में लगभग 1,000 सरपंचों और पंचों को सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी. ये फ़ैसला एक सुरक्षा समीक्षा के बाद लिया गया है. समीक्षा के मुताबिक़ इन लोगों की जान को ख़तरा है इसलिए इन्हें सुरक्षा मिलनी चाहिए. नव गठित केंद्र शासित प्रदेश के इन जमीनी नेताओं को सुरक्षा प्रदान करने के लिए होटल, छात्रावास और निजी आवास किराए पर लिए गए हैं.

केंद्र शासित प्रदेश के नए उपराज्यपाल, मनोज सिन्हा, जिन्होंने पिछले सप्ताह पदभार संभाला है, ने ये भी फैसला लिया है कि जब ये नेता  वे अपने निर्वाचन क्षेत्र का दौरा करेंगे तो इन नेताओं को भी सुरक्षा मिलेगी. एक वरिष्ठ अधिकारी ने खुलासा किया, "पहले भी हम उनमें से कुछ को सुरक्षा प्रदान कर रहे थे, लेकिन अब ताजा खतरे के आकलन के बाद सुरक्षा कवर पाने वाले लोगों की संख्या बढ़ गई है." 

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डेटा के अनुसार सुरक्षा पाने वाले लोगों की अधिकतम संख्या उत्तर और मध्य कश्मीर के बाद दक्षिण कश्मीर से है. सुरक्षा प्रदान करने के एक कार्यवाहक प्रभारी बताते हैं, "ज्यादातर इन जमीनी नेताओं को एक कमरा प्रदान किया जा रहा है और कुछ मामलों में उनके परिवार के सदस्यों में से एक को भी उनके साथ रहने की अनुमति दी जा रही है."

उनके अनुसार कुछ मामलों में निजी आवास भी सुरक्षा बलों द्वारा किराए पर दिए जा रहे हैं. उन्होंने कहा, "कुछ मामलों में खतरे के आकलन के बाद अगर यह नोट किया जाता है कि पूरे परिवार के लिए खतरा है तो हम उन्हें निजी आवास में रख रहे हैं."

चूंकि भारतीय जनता पार्टी ने कश्मीर विधानसभा को भंग कर दिया है और दो राज्य क्षेत्रों में पूर्व राज्य को विभाजित किया है, इसलिए उन्होंने विकल्प के रूप में "जमीनी स्तर पर लोकतंत्र" या एक मजबूत पंचायत प्रणाली का प्रचार किया है. एलजी मनोज सिन्हा के नवीनतम निर्णय के अनुसार, इन जमीनी नेताओं को सुरक्षा प्रदान की जाएगी, जब वे अपने निर्वाचन क्षेत्र का दौरा करेंगे.

कुछ आलोचक इस फैसले को राज्य और केंद्र दोनों के लिए यू टर्न मानते हैं. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा,“सरपंच और पंच चुने जाने का विचार यह था कि वे सबसे निचले स्तर पर विकास की निगरानी करेंगे. अब यदि वे असुरक्षित हैं, तो वे कैसे कार्य करेंगे.  उनके अनुसार यह पहली बार नहीं है जब केंद्र ने घाटी में ऐसे अलग क्लस्टर बनाए हैं. यह कदम पहले भी कामयाब नहीं हुआ आगे भी नहीं होगा.” 

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गुलाम हसन मीर ने NDTV को बताया, “मिलिटेंट्स के पास अब हमले को अंजाम देने के लिए या तो कैलिबर नहीं है और न ही उनके पास हथियार हैं. ऐसे परिदृश्य में राजनीतिक कार्यकर्ता एक आसान शिकार बन जाते हैं.'' उनके अनुसार हाल ही में हुई हत्याओं से स्पष्ट है कि पाकिस्तान नहीं चाहता कि घाटी में राजनीतिक प्रक्रिया शुरू हो. उन्होंने कहा, "भाजपा कार्यकर्ता और केंद्र से जुड़े लोग स्पष्ट लक्ष्य हैं." दिलचस्प रूप से जो सुरक्षा प्राप्त कर रहे हैं उनमें से ज्यादातर भाजपा से जुड़े हैं. "

हालांकि यह भय उन पंचायत सदस्यों में फैल गया है जो भाजपा के भी नहीं हैं. अनंतनाग जिले के सरपंच ने कहा, "भाजपा से हमारा कोई लेना-देना नहीं है लेकिन लोग हमें राजनीतिक नेता मानते हैं." हाल ही में अनंतनाग जिले में लकीरपोरा के एक सरपंच की हत्या कर दी गई थी.

वे कहते हैं, "हम सामान्य लोग हैं. हम स्वीकार करते हैं कि पुलिस सभी को सुरक्षा प्रदान नहीं कर सकती है लेकिन उन्हें हमारे लिए भी एक व्यवस्था के बारे में सोचना चाहिए."  हाल ही में घाटी में तीन राजनीतिक हत्याएं हुई हैं. जिसके बाद कई ने अपना इस्तीफा भी सौंप दिया.

MHA में एक वरिष्ठ नौकरशाह ने खुलासा किया,"यह एक अस्थायी उपाय है. हम धीरे-धीरे संख्या कम कर देंगे." 

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