
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अदालत में शारीरिक तौर पर कामकाज शुरू करने के लिए स्कूली छात्रा की चिट्ठी को जनहित याचिका में बदला है. सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस विनीत सरन ने एक समारोह में बताया कि हाल ही में एक लड़की ने CJI को पत्र लिखकर शारीरिक तौर पर सुनवाई (Physical Hearings) शुरू करने का अनुरोध किया है, क्योंकि अन्य सभी व्यवसाय, स्कूल शुरू हो गए हैं इसलिए अदालतें भी शारीरिक तौर पर सुनवाई शुरू करें. इस पर भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना (CJI NV Ramana) ने इस पत्र को एक जनहित याचिका में बदल दिया है. उन्होंने कहा कि जस्टिस रमना सुनहरे दिल के व्यक्ति हैं.
जस्टिस सरीन ने कहा कि एक ही बार में, सुप्रीम कोर्ट के लिए 9 जजों की नियुक्ति के लिए सिफारिशें एक महान कदम है. विभिन्न उच्च न्यायालयों की नियुक्ति के लिए 68 न्यायाधीशों की सिफारिशें भी उनके द्वारा उठाया गया एक बड़ा कदम है.
बता दें कि भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) एनवी रमना की अध्यक्षता वाले सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने केंद्र सरकार को 12 हाईकोर्ट (High Courts) के जजों की नियुक्ति के लिए 68 नामों की सिफारिश की. इन हाईकोर्ट में अधिकांश में 50 प्रतिशत रिक्तियां हैं और भारी संख्या में मामले लंबित हैं. CJI रमना, जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस एएम खानविलकर के कॉलेजियम ने कई दिनों तक गहन विचार-विमर्श के बाद 113 नामों पर विचार किया और 68 नामों को नियुक्ति के लिए उपयुक्त पाया.
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