सेना में महिला अफसरों को स्थायी कमीशन का मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फ़ैसले के अनुपालन के लिए सरकार को एक महीने का और समय दिया. शीर्ष न्यायालय ने सरकार से निर्देशों का पूर्ण अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए कहा है. कोर्ट के कोरोना संकट को देखते हुए सरकार को यह समय दिया है. सुनवाई के दौरान रक्षा मंत्रालय ने कहा कि निर्णय लेना अंतिम चरण में है. केंद्र सरकार की ओर से बाला सुब्रमण्यम ने अदालत से कहा कि ऑफिस ऑर्डर कभी भी आ सकता है, लेकिन कोरोना को देखते हुए और वक्त दिया जाना चाहिए.
महिला अफसरों की ओर से पेश वकील मीनाक्षी लेखी से अदालत ने पूछा कि क्या और वक्त नहीं दिया जाना चाहिए. लेखी ने कहा कि दिया जा सकता है लेकिन अदालत इसकी निगरानी करे. केंद्र सरकार ने कोरोना के चलते स्थायी कमीशन लागू करने और महिला अफसरों को कमांड पोस्टिंग के प्रावधान के लिए 6 महीने का और वक्त मांगा है. सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अर्जी में रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि कोरोना के चलते लॉकडाउन के कारण दफ्तर बंद रहे और कर्मचारियों की उपस्थिति कम रही इसलिए कोर्ट के दिए गए तीन महीने में इसे लागू नहीं किया जा सका.
दरअसल 17 साल लंबी कानूनी लड़ाई के बाद थलसेना (Army) में महिलाओं को बराबरी का हक मिलने का रास्ता साफ हो गया था. सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी में एक अहम फैसले में कहा कि उन सभी महिला अफसरों को तीन महीने के अंदर सेना में स्थायी कमीशन दिया जाए, जो इस विकल्प को चुनना चाहती हैं. अदालत ने केंद्र की उस दलील को निराशाजनक बताया था, जिसमें महिलाओं को कमांड पोस्ट न देने के पीछे शारीरिक क्षमताओं और सामाजिक मानदंडों का हवाला दिया गया था.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब आर्मी में महिलाओं को पुरुष अफसरों से बराबरी का अधिकार मिल गया है. अभी तक आर्मी में 14 साल तक शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) में सेवा दे चुके पुरुष सैनिकों को ही स्थायी कमीशन का विकल्प मिल रहा था, लेकिन महिलाओं को यह हक नहीं था. वायुसेना में महिला अफसरों को स्थाई कमीशन मिल रहा है. थल सेना में महिलाओं को स्थायी कमीशन देने का फैसला जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने सुनाया था. शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत आने वाली सभी महिला अफसर स्थाई कमीशन की हकदार होंगी.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत 14 साल से कम और उससे ज्यादा सेवाएं दे चुकीं महिला अफसरों को परमानेंट कमीशन का मौका दिया जाए. महिलाओं को कॉम्बैट रोल देने का फैसला सुप्रीम कोर्ट ने सरकार और सेना पर छोड़ा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'जंग में सीधे शामिल होने वाली जिम्मेदारियां (कॉम्बैट रोल) में महिलाओं की तैनाती नीतिगत मामला है. दिल्ली हाईकोर्ट ने भी यही कहा था. इसलिए सरकार को इस बारे में सोचना होगा.'
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