तेंदुलकर से भारत रत्न वापस लेने की मांग करने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की

तेंदुलकर से भारत रत्न वापस लेने की मांग करने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की

मास्‍टर ब्‍लास्‍टर सचिन तेंदुलकर (फाइल फोटो)

खास बातें

  • याचिका में सर्वोच्च नागरिक सम्मान के कथित गलत इस्तेमाल को आधार बनाया गया
  • जब कोई तीसरा पक्ष किताब लिख रहा है तो सचिन को जवाबदेह नहीं बनाया जा सकता
  • अगर तेंदुलकर ने किताब लिखी होती तो मामला अलग होता
नई दिल्‍ली:

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर को दिया भारत रत्न पुरस्कार वापस लेने की मांग की गई थी। याचिका में पुरस्कार वापस लेने के लिए देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान के कथित गलत इस्तेमाल को आधार बनाया गया था।

न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा कि ऐसे कोई वैधानिक प्रावधान, नियम और कानून नहीं है जो तेंदुलकर के खिलाफ लगाए आरोपों से निपटें। यचिकाकर्ता वीके नास्वा ने आरोप लगाया कि कई लेखकों ने अपनी किताबों में तेंदुलकर का जिक्र भारत रत्न के रूप में किया है और उन्होंने अपनी किताब का शीषर्क भी इसी तरीके से रखा है।

याचिकाकर्ता ने साथ ही आरोप लगाया कि पुरस्कार से सम्मानित किए जाने के बाद भी तेंदुलकर ने व्यावसायिक गतिविधियों में हिस्सा लेना जारी रखा। पीठ ने कहा कि अगर तेंदुलकर ने किताब लिखी होती और उसमें ‘भारत रत्न’ शब्द को जोड़ा होता तो मामला अलग होता लेकिन जब कोई तीसरा पक्ष किताब लिख रहा है तो उन्हें जवाबदेह नहीं बनाया जा सकता।

पीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा, ‘‘अगर प्रतिवादी नंबर दो ‘भारत रत्न’ शब्द का इस्तेमाल करते हुए किताब लिखता जो मामला अलग होता। जब कोई तीसरा पक्ष किताब लिख रहा है तो हमारे दिमाग में कोई संदेह नहीं है कि प्रतिवादी नंबर दो को जवाबदेह नहीं ठहराया जा सकता।’’ नास्वा ने अपनी याचिका में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के 10 अगस्त 2015 के आदेश को चुनौती दी थी जिसके जरिये तेंदुलकर के भारत रत्न पुरस्कार के कथित तौर पर गलत इस्तेमाल से संबंधित यचिका पर बिना कोई आदेश दिए खारिज कर दिया गया था।

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)


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