अभिनेता संजय दत्त (फाइल फोटो)
मुंबई:
मुंबई में वर्ष 1993 में हुए बम विस्फोटों से जुड़े मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद पांच साल कारावास की सजा काट रहे बॉलीवुड अभिनेता संजय दत्त ने स्पष्ट किया है कि उन्होंने न तो स्वयं कभी महाराष्ट्र के राज्यपाल से माफी की अपील की और न ही कभी किसी से उनकी ओर से ऐसा करने का अनुरोध किया।
संजय दत्त के वकीलों हितेश जैन और सुभाष जाधव ने शुक्रवार को जारी एक बयान में कहा कि हालिया लेखों में यह कहा गया है कि महाराष्ट्र के राज्यपाल ने अभिनेता को माफी दिए जाने की उनकी अपील ठुकरा दी है। उन्होंने कहा कि यह लेख सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू के एक निवेदन पर आधारित हैं, जिसमें उन्होंने दत्त और मामले के अन्य दोषियों के लिए माफी की अपील की है।
बयान में कहा गया है, संजय दत्त या उनके परिवार के सदस्यों ने माफी मांगे जाने के संबंध में राज्यपाल को कोई याचिका नहीं दी। इसके अलावा संजय दत्त या उनके परिजन ने दत्त की ओर से माफी के वास्ते आवेदन देने के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश काटजू से कभी संपर्क नहीं किया। उन्होंने कहा, न्यायमूर्ति काटजू ने केवल दत्त ही नहीं, बल्कि जैबुन्निसा काजी समेत मामले के अन्य दोषियों के लिए भी स्वयं यह निवेदन किया है।
बयान में कहा गया है कि संजय दत्त ने अपनी सजा लगभग पूरी कर ली है और उन्हें जल्द ही रिहा कर दिया जाना चाहिए। काटजू ने महाराष्ट्र के राज्यपाल सी विद्यासागर राव को संजय दत्त की शेष सजा रद्द करने के संबंध में याचिका दी थी। उन्होंने कहा था कि संजय आतंकवादी नहीं हैं, उन्होंने केवल गलती की थी।
राव ने महाराष्ट्र के गृह विभाग की सलाह के बाद माफी की याचिका दो दिन पहले खारिज कर दी थी। विभाग ने अपनी सिफारिश में कहा था कि संजय दत्त की सजा माफ करने से एक गलत उदाहरण पेश होगा।
56-वर्षीय संजय दत्त को टाडा की एक विशेष अदालत ने हथियार रखने के मामले में शस्त्र कानून के तहत 2007 में दोषी ठहराया था और उन्हें पांच वर्ष कड़े कारावास की सजा सुनाई थी। दत्त ने 1996 में अपनी गिरफ्तारी के बाद 18 महीने जेल में काटे थे।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा मई, 2013 में दोषसिद्धि और सजा को बरकरार रखे जाने के बाद अभिनेता ने आत्मसमर्पण कर दिया था। उसके बाद से वह पुणे की यरवदा जेल में बंद हैं। संजय मई 2013 में पुणे की यरवदा जेल भेजे जाने के बाद दो बार पेरोल पर और दो बार फरलो पर जेल से बाहर आ चुके हैं।
संजय अक्तूबर 2013 में 14 दिन के लिए फरलो पर जेल से बाहर आए और फिर यह अवधि एक पखवाड़े के लिए बढ़ा दी गई। जनवरी 2014 में संजय की 30 दिन की पेरोल भी अन्य 30 दिनों के लिए बढ़ा दी गई थी। दिसंबर 2014 में उन्हें 14 दिन की फरलो दी गई थी। 27 अगस्त 2015 से वह एक बार फिर फरलो पर हैं।
संजय करीब 30 माह सलाखों के पीछे बिता चुके हैं। फरवरी 2016 में सजा पूरी होने के बाद वह रिहा किए जाएंगे।
याचिका में काटजू ने कहा था, ‘‘जिस एकमात्र आरोप के लिए संजय को दोषी ठहराया गया है वह आरोप है कि उन्होंने एक प्रतिबंधित हथियार अपने पास रखा था।’’ उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि वह उच्चतम न्यायालय के फैसले पर सवाल नहीं उठा रहे हैं।
काटजू ने लिखा कि हथियार रखने के लिए पांच साल की सजा सही है लेकिन संजय ने सजा सुनाए जाने से पहले, मार्च 2013 में 18 माह सलाखों के पीछे बिता कर पर्याप्त दंड भुगता है इसलिए यह मामला माफी के अनुकूल है।
संजय दत्त के वकीलों हितेश जैन और सुभाष जाधव ने शुक्रवार को जारी एक बयान में कहा कि हालिया लेखों में यह कहा गया है कि महाराष्ट्र के राज्यपाल ने अभिनेता को माफी दिए जाने की उनकी अपील ठुकरा दी है। उन्होंने कहा कि यह लेख सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू के एक निवेदन पर आधारित हैं, जिसमें उन्होंने दत्त और मामले के अन्य दोषियों के लिए माफी की अपील की है।
बयान में कहा गया है, संजय दत्त या उनके परिवार के सदस्यों ने माफी मांगे जाने के संबंध में राज्यपाल को कोई याचिका नहीं दी। इसके अलावा संजय दत्त या उनके परिजन ने दत्त की ओर से माफी के वास्ते आवेदन देने के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश काटजू से कभी संपर्क नहीं किया। उन्होंने कहा, न्यायमूर्ति काटजू ने केवल दत्त ही नहीं, बल्कि जैबुन्निसा काजी समेत मामले के अन्य दोषियों के लिए भी स्वयं यह निवेदन किया है।
बयान में कहा गया है कि संजय दत्त ने अपनी सजा लगभग पूरी कर ली है और उन्हें जल्द ही रिहा कर दिया जाना चाहिए। काटजू ने महाराष्ट्र के राज्यपाल सी विद्यासागर राव को संजय दत्त की शेष सजा रद्द करने के संबंध में याचिका दी थी। उन्होंने कहा था कि संजय आतंकवादी नहीं हैं, उन्होंने केवल गलती की थी।
राव ने महाराष्ट्र के गृह विभाग की सलाह के बाद माफी की याचिका दो दिन पहले खारिज कर दी थी। विभाग ने अपनी सिफारिश में कहा था कि संजय दत्त की सजा माफ करने से एक गलत उदाहरण पेश होगा।
56-वर्षीय संजय दत्त को टाडा की एक विशेष अदालत ने हथियार रखने के मामले में शस्त्र कानून के तहत 2007 में दोषी ठहराया था और उन्हें पांच वर्ष कड़े कारावास की सजा सुनाई थी। दत्त ने 1996 में अपनी गिरफ्तारी के बाद 18 महीने जेल में काटे थे।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा मई, 2013 में दोषसिद्धि और सजा को बरकरार रखे जाने के बाद अभिनेता ने आत्मसमर्पण कर दिया था। उसके बाद से वह पुणे की यरवदा जेल में बंद हैं। संजय मई 2013 में पुणे की यरवदा जेल भेजे जाने के बाद दो बार पेरोल पर और दो बार फरलो पर जेल से बाहर आ चुके हैं।
संजय अक्तूबर 2013 में 14 दिन के लिए फरलो पर जेल से बाहर आए और फिर यह अवधि एक पखवाड़े के लिए बढ़ा दी गई। जनवरी 2014 में संजय की 30 दिन की पेरोल भी अन्य 30 दिनों के लिए बढ़ा दी गई थी। दिसंबर 2014 में उन्हें 14 दिन की फरलो दी गई थी। 27 अगस्त 2015 से वह एक बार फिर फरलो पर हैं।
संजय करीब 30 माह सलाखों के पीछे बिता चुके हैं। फरवरी 2016 में सजा पूरी होने के बाद वह रिहा किए जाएंगे।
याचिका में काटजू ने कहा था, ‘‘जिस एकमात्र आरोप के लिए संजय को दोषी ठहराया गया है वह आरोप है कि उन्होंने एक प्रतिबंधित हथियार अपने पास रखा था।’’ उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि वह उच्चतम न्यायालय के फैसले पर सवाल नहीं उठा रहे हैं।
काटजू ने लिखा कि हथियार रखने के लिए पांच साल की सजा सही है लेकिन संजय ने सजा सुनाए जाने से पहले, मार्च 2013 में 18 माह सलाखों के पीछे बिता कर पर्याप्त दंड भुगता है इसलिए यह मामला माफी के अनुकूल है।
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