यह ख़बर 14 मई, 2013 को प्रकाशित हुई थी

संजय दत्त ने कहा, जान को है खतरा

खास बातें

  • मुंबई में 1993 में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों से जुड़े मामले में दोषी ठहराए गए अभिनेता संजय दत्त ने टाडा अदालत से कहा कि चरमपंथी समूहों से उनकी जान को खतरा है इसलिए उन्हें विशेष अदालत में आत्मसमर्पण करने की बजाय यरवदा जेल में आत्मसमर्पण करने की अनुमति दी जा
मुंबई:

मुंबई में 1993 में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों से जुड़े मामले में दोषी ठहराए गए अभिनेता संजय दत्त ने टाडा अदालत से कहा कि चरमपंथी समूहों से उनकी जान को खतरा है इसलिए उन्हें विशेष अदालत में आत्मसमर्पण करने की बजाय यरवदा जेल में आत्मसमर्पण करने की अनुमति दी जाए।

दत्त ने विशेष टाडा न्यायाधीश जीए सनाप के समक्ष आवेदन दायर किया जिसमें दक्षिण मुंबई में विशेष अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण करने की बजाय पुणे में यरवदा जेल में आत्मसमर्पण करने की अनुमति मांगी।

गैरकानूनी तरीके से नौ एमएम की पिस्तौल और एके 56 राइफल रखने के जुर्म में शस्त्र अधिनियम के तहत दोषी ठहराए गए दत्त की दोषसिद्धि को हाल में उच्चतम न्यायालय ने बरकरार रखा था।

हालांकि, शीर्ष अदालत ने विशेष टाडा अदालत द्वारा उन्हें सुनाई गई छह साल के कारावास की सजा छह साल से घटाकर पांच साल कर दी थी। शीर्ष अदालत ने उनके अपराध की प्रकृति को गंभीर बताते हुए उन्हें प्रोबेशन पर रिहा करने से इंकार कर दिया था।

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विशेष अदालत में पेश आवेदन में कहा गया है, ‘चरमपंथी समूहों और निहित स्वार्थी तत्वों से दत्त की जान को खतरा है।’