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This Article is From May 11, 2012

अम्बेडकर के कार्टून पर हंगामा, सिब्बल ने मांगी माफी

नई दिल्ली: एनसीईआरटी की पुस्तक में संविधान निर्माता भीमराव अंबेडकर के बारे में प्रकाशित एक कार्टून को लेकर बीएसपी सहित विभिन्न दलों के सदस्यों के हंगामे के बीच सरकार ने स्पष्ट किया कि ऐसी कार्टून वाली सभी किताबों के वितरण को रोक देने का निर्देश दिया गया है तथा दोषियों के खिलाफ जल्द से जल्द कार्रवाई की जाएगी।

इस मुद्दे पर हुए हंगामे के कारण राज्यसभा की कार्यवाही तीन बार स्थगित करनी पड़ी। तीन बार के स्थगन के बाद दोपहर ढाई बजे जब बैठक फिर से शुरू हुई, तो मायावती सहित विभिन्न दलों के नेताओं ने यह मुद्दा फिर उठाया। इनके जवाब में मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि वह इस मामले में जल्द से जल्द कार्रवाई करेंगे। उन्होंने कहा कि उनके संज्ञान में यह मामला अप्रैल में ही आ गया था। उन्होंने एनसीईआरटी को पत्र लिख कर इस बारे में एक स्पष्टीकरण मांगा था।

सिब्बल ने कहा कि पाठ्यपुस्तकें तैयार करने का काम स्वतंत्र शिक्षाविदों की एक समिति करती है। इस समिति में हरि वासुदेवन, योगेन्द्र यादव, सुहास पाल शिखर जैसे लोग शामिल हैं। उन्होंने कहा कि जिस कार्टून वाली पुस्तक को लेकर विवाद है, वह 2006 में जारी की गई थी।

 अंबेडकर के कार्टून को लेकर एससी/एसटी कमीशन के चेयरमैन और कांग्रेस के सांसद पीएल पुनिया ने प्रधानमंत्री से मुलाकात की थी। पुनिया इस बात से नाराज हैं कि 12 अप्रैल को जब उन्हें किताब में कार्टून के बारे में पता चला था, तो उन्होंने तुरंत मानव संसाधन विकास मंत्रालय को इसकी जानकारी दी थी, लेकिन इसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई, जबकि कपिल सिब्बल का कहना है कि उन्होंने 26 अप्रैल को ही एनसीईआरटी के डायरेक्टर से इस कार्टून को हटाने के लिए कह दिया था। उन्होंने इसे लेकर माफी भी मांगी।

दरअसल, 11वीं की राजनीति विज्ञान की किताब में पंडित नेहरू और बाबा साहब अम्बेडकर का एक कार्टून छापा गया है। इस कार्टून में पंडित नेहरू को बाबा साहब से संविधान के ड्राफ्ट को जल्द पूरा करने के लिए कहते हुए दिखाया गया है।

बीजेपी, बीएसपी, सपा, कांग्रेस समेत सभी राजनीति दलों के सदस्यों ने इस प्रकाशन पर आपत्ति व्यक्त की। अध्यक्ष मीरा कुमार ने कहा कि यह अत्यंत गंभीर मुद्दा है और वह सरकार से इस पर स्थिति स्पष्ट करने को कहेंगी, लेकिन सदस्य इस पर शांत नहीं हुए।

इसके बाद, सदन के नेता प्रणब मुखर्जी ने कहा कि वह पूरे सदन की भावना को समझते हैं। उन्होंने कहा, मैं नहीं जानता कि यह किसने प्रकाशित किया है। अम्बेडकर संविधान के स्तम्भ हैं, जिसे सर एंटनी ईडन ने सामाजिक सरोकारों से जुड़ा सबसे बड़ा मैग्नाकार्टा करार दिया था।

उन्होंने कहा कि भारत ने सबसे बड़े संविधान को सबसे कम समय में तैयार किया और अम्बेडकर ने तीन वर्षों तक इस पर अथक परिश्रम करके देश की बड़ी सेवा की। ऐसे समय में जब हम संसद के 60 वर्ष पूरा होने पर इस महान सपूत को याद करने जा रहे हैं, तब यह कहना चाहते हैं कि बिना अम्बेडकर के योगदान के यह पूरा नहीं हो सकता।

(इनपुट भाषा से भी)

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