केंद्रीय सूचना आयोग में एक चीफ इनफॉरमेशन कमिश्नर (Chief Information Commissioner) और 10 इनफॉरमेशन कमिश्नर होने चाहिए लेकिन आज वहां 5 पद खाली पड़े हैं. साथ ही 36000 आरटीआई के आवेदन पेंडिंग है जिन्हें सूचना आयुक्तों की कमी की वजह से प्रोसेस नहीं किया जा सका है. इसी मुद्दे पर NDTV ने RTI कार्यकर्ता अंजलि भारद्वाज से बात की है. अंजलि भारद्वाज ने कहा कि फरवरी 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि सूचना आयुक्तों की नियुक्ति पारदर्शी तरीके से होनी चाहिए. आज यह विवाद इसलिए खड़ा हुआ है क्योंकि सूचना आयुक्तों के चयन की प्रक्रिया पारदर्शी नहीं है.
उन्होने कहा कि सरकार ने इस मामले में कोर्ट के डायरेक्टिव का पालन नहीं किया है. साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि उदय माहुरकर को सूचना आयुक्त के तौर पर चुना गया है लेकिन उन्होंने इस पद के लिए अपना आवेदन भी नहीं दिया था यह एक गंभीर मुद्दा है. अंजलि भारद्वाज ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने एफिडेविट में कहा था कि वह सूचना आयुक्तों को जो लोग अप्लाई करते हैं उनमें से ही चुनते हैं लेकिन वैसा नहीं किया गया.
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