नई दिल्ली:
सरकार ने बरसात की कमी से जूझ रहे देश के लगभग आधे से भी ज्यादा हिस्सों के प्रभावित होने की चिंताओं के बीच कई सारे राहत उपायों की घोषणा की है जिसके तहत सूखे जैसी स्थिति का सामना करने वाले राज्यों को करीब 2,000 करोड़ रुपये का राहत पैकेज तथा खड़ी फसलों को बचाने के लिए किसानों को डीजल पर 50 प्रतिशत सब्सिडी देने जैसे कदम शामिल हैं।
कृषि मंत्री शरद पवार की अध्यक्षता वाले सूखे पर गठित मंत्रियों के अधिकार सम्पन्न समूह की आज हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया। बैठक के बाद पवार ने संवाददाताओं को इसकी जानकारी देते हुए बताया कि बैठक में विभिन्न खरीफ फसलों के बीजों पर दी जाने वाली राजसहायता (सब्सिडी) को बढ़ाने के साथ-साथ मवेशियों के लिए चारा आपूर्ति बढ़ाने के मकसद से खलियों के आयात पर आयात शुल्क को समाप्त करने का भी फैसला किया गया है।
पवार ने कहा कि देश के 627 जिलों में से ‘‘करीब 64 प्रतिशत जिलों में कम अथवा छिटपुट बरसात हुई है।’’ यह पूछे जाने पर कि वर्ष 2009 की तुलना में इस बार स्थिति कितनी खराब है, पवार ने कहा, इस बार जिलों की संख्या अधिक है। उन्होंने कहा कि कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान और पंजाब में स्थिति गंभीर है। इसे देखते हुए खरीफ उत्पादन में कमी का अंदेशा है।
कमजोर बरसात के प्रभावों को कम करने के बारे में पवार ने कहा, मंत्रियों के अधिकारसम्पन्न समूह ने सूखे से निपटने और उससे निजात पाने के लिए एकीकृत जलसंभरण कार्यक्रम के तहत विभिन्न राज्यों को 1,440 करोड़ रुपये जारी करने का फैसला किया है। इसमें राशि में से 195 करोड़ रुपये कर्नाटक को, 501 करोड़ रुपये महाराष्ट्र को, 424 करोड़ रुपये राजस्थान और 320 करोड़ रुपये की सहायता गुजरात को दिया जाएगा।
इसके अलावा खड़ी फसल को बचाने के लिए डीजल पम्प का इस्तेमाल करने वाले किसानों को डीजल पर 50 प्रतिशत सब्सिडी भी दी जाएगी। इस सब्सिडी में केन्द्र और राज्य सरकारों का बराबर-बराबर का योगदान होगा।
यह सब्सिडी उन राज्यों को दी जाएगी जहां 15 जुलाई की स्थिति के अनुसार बरसात की 50 प्रतिशत से अधिक की कमी है और जिन क्षेत्रों को राज्यों के द्वारा सूखा प्रभावित घोषित किया गया है। इसमें वे क्षेत्र भी शामिल होंगे जहां 15 या उससे अधिक दिनों तक बरसात नहीं हुई है।
पवार ने बताया कि इसके अलावा सरकार ने सूखा प्रभावित क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति की स्थिति में सुधार लाने के लिए 453 करोड़ रुपये देने का फैसला किया है तथा पशुओं के चारों का उत्पादन बढ़ाने के लिए और 50 करोड़ रुपये देने का फैसला किया है।
पवार ने कहा कि सूखा प्रभावित क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति की स्थिति में सुधार लाने के लिए मंत्रियों के अधिकारप्राप्त समूह ने राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल योजना के तहत 453 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है जिसमें 200 करोड़ रुपये महाराष्ट्र को, 17 करोड़ रुपये कर्नाटक को, 158 करोड़ राजस्थान और 24 करोड़ रुपये हरियाणा को दिए जाएंगे। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल योजना के तहत कर्नाटक, महाराष्ट्र और राजस्थान को अंतरिम सहायता के तौर पर 38 करोड़ रुपये जारी करने का निर्णय लिया गया है। इसमें 12 करोड़ रुपये कर्नाटक को, 15 करोड़ रुपये महाराष्ट्र को और 11 करोड़ रुपये राजस्थान को दिए जाएंगे।
चारों का उत्पादन बढ़ाने के लिए और 50 करोड़ रुपये दिए जाएंगे जिसमें एक केन्द्रीय योजना के तहत पुनखर्रीद (बाय.बैक) का प्रावधान भी होगा।
बीज सब्सिडी के बारे में कृषि सचिव आशीष बहुगुणा ने कहा कि अनाजों पर सब्सिडी की मात्रा को 500 रुपये से बढ़ाकर 700 रुपये प्रति क्विंटल किया गया है तथा दलहनों और तिलहनों की सब्सिडी को 1,200 रुपये से बढ़ाकर 2,000 रुपये किया गया है।
जून से जुलाई के दौरान मानसून में 20 प्रतिशत की कमी की ओर इशारा करते हुए पवार ने कहा कि अगर अगले दो महीनों में बरसात बेहतर होती है तो सरकार रबी फसलों को संरक्षित करने का प्रयास करेगी।
यह पूछने पर कि क्या केन्द्र ने सूखा घोषित कर दिया है, उन्होंने कहा, सूखा घोषित करने का अधिकार राज्यों को है। मेरा मानना है कि कर्नाटक और महाराष्ट्र ने कुछ जिलों के संदर्भ में ऐसा निर्णय लिया है। पवार ने कहा कि वह स्थिति की समीक्षा करने के लिए एक से तीन अगस्त के बीच ग्रामीण विकास मंत्री के साथ कर्नाटक, गुजरात, महाराष्ट्र और राजस्थान का दौरा करेंगे। इन राज्यों का दौरा करने के बाद मंत्रियों के अधिकारसम्पन्न समूह की फिर से बैठक होगी जिसमें आगे के कदमों के बारे में विचार किया जाएगा।
भारत ने वर्ष 2009 में गंभीर सूखे का सामना किया था जिसके कारण खाद्यान्न उत्पादन में 1.6 करोड़ टन की कमी आई थी। पिछले वर्ष खाद्यान्नों का उत्पादन रिकार्ड 25 करोड़ 74.4 लाख टन का हुआ था।
इस वर्ष खरीफ उत्पादन में कमी आने के आसार हैं क्योंकि बुवाई के रकबे में अभी तक 10 प्रतिशत की कमी दिखाई दे रही है।
मंत्रियों के अधिकारसम्पन्न समूह की बैठक में रेलमंत्री मुकुल राय और खाद्य मंत्री केवी थॉमस हिस्सा नहीं ले पाए। बैठक में जो अन्य सदस्य शामिल थे उनमें गृहमंत्री पी चिदंबरम, बिजली मंत्री सुशील कुमार शिंदे, पेट्रोलियम मंत्री जयपाल रेड्डी और ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश हैं।
कृषि मंत्री शरद पवार की अध्यक्षता वाले सूखे पर गठित मंत्रियों के अधिकार सम्पन्न समूह की आज हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया। बैठक के बाद पवार ने संवाददाताओं को इसकी जानकारी देते हुए बताया कि बैठक में विभिन्न खरीफ फसलों के बीजों पर दी जाने वाली राजसहायता (सब्सिडी) को बढ़ाने के साथ-साथ मवेशियों के लिए चारा आपूर्ति बढ़ाने के मकसद से खलियों के आयात पर आयात शुल्क को समाप्त करने का भी फैसला किया गया है।
पवार ने कहा कि देश के 627 जिलों में से ‘‘करीब 64 प्रतिशत जिलों में कम अथवा छिटपुट बरसात हुई है।’’ यह पूछे जाने पर कि वर्ष 2009 की तुलना में इस बार स्थिति कितनी खराब है, पवार ने कहा, इस बार जिलों की संख्या अधिक है। उन्होंने कहा कि कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान और पंजाब में स्थिति गंभीर है। इसे देखते हुए खरीफ उत्पादन में कमी का अंदेशा है।
कमजोर बरसात के प्रभावों को कम करने के बारे में पवार ने कहा, मंत्रियों के अधिकारसम्पन्न समूह ने सूखे से निपटने और उससे निजात पाने के लिए एकीकृत जलसंभरण कार्यक्रम के तहत विभिन्न राज्यों को 1,440 करोड़ रुपये जारी करने का फैसला किया है। इसमें राशि में से 195 करोड़ रुपये कर्नाटक को, 501 करोड़ रुपये महाराष्ट्र को, 424 करोड़ रुपये राजस्थान और 320 करोड़ रुपये की सहायता गुजरात को दिया जाएगा।
इसके अलावा खड़ी फसल को बचाने के लिए डीजल पम्प का इस्तेमाल करने वाले किसानों को डीजल पर 50 प्रतिशत सब्सिडी भी दी जाएगी। इस सब्सिडी में केन्द्र और राज्य सरकारों का बराबर-बराबर का योगदान होगा।
यह सब्सिडी उन राज्यों को दी जाएगी जहां 15 जुलाई की स्थिति के अनुसार बरसात की 50 प्रतिशत से अधिक की कमी है और जिन क्षेत्रों को राज्यों के द्वारा सूखा प्रभावित घोषित किया गया है। इसमें वे क्षेत्र भी शामिल होंगे जहां 15 या उससे अधिक दिनों तक बरसात नहीं हुई है।
पवार ने बताया कि इसके अलावा सरकार ने सूखा प्रभावित क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति की स्थिति में सुधार लाने के लिए 453 करोड़ रुपये देने का फैसला किया है तथा पशुओं के चारों का उत्पादन बढ़ाने के लिए और 50 करोड़ रुपये देने का फैसला किया है।
पवार ने कहा कि सूखा प्रभावित क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति की स्थिति में सुधार लाने के लिए मंत्रियों के अधिकारप्राप्त समूह ने राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल योजना के तहत 453 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है जिसमें 200 करोड़ रुपये महाराष्ट्र को, 17 करोड़ रुपये कर्नाटक को, 158 करोड़ राजस्थान और 24 करोड़ रुपये हरियाणा को दिए जाएंगे। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल योजना के तहत कर्नाटक, महाराष्ट्र और राजस्थान को अंतरिम सहायता के तौर पर 38 करोड़ रुपये जारी करने का निर्णय लिया गया है। इसमें 12 करोड़ रुपये कर्नाटक को, 15 करोड़ रुपये महाराष्ट्र को और 11 करोड़ रुपये राजस्थान को दिए जाएंगे।
चारों का उत्पादन बढ़ाने के लिए और 50 करोड़ रुपये दिए जाएंगे जिसमें एक केन्द्रीय योजना के तहत पुनखर्रीद (बाय.बैक) का प्रावधान भी होगा।
बीज सब्सिडी के बारे में कृषि सचिव आशीष बहुगुणा ने कहा कि अनाजों पर सब्सिडी की मात्रा को 500 रुपये से बढ़ाकर 700 रुपये प्रति क्विंटल किया गया है तथा दलहनों और तिलहनों की सब्सिडी को 1,200 रुपये से बढ़ाकर 2,000 रुपये किया गया है।
जून से जुलाई के दौरान मानसून में 20 प्रतिशत की कमी की ओर इशारा करते हुए पवार ने कहा कि अगर अगले दो महीनों में बरसात बेहतर होती है तो सरकार रबी फसलों को संरक्षित करने का प्रयास करेगी।
यह पूछने पर कि क्या केन्द्र ने सूखा घोषित कर दिया है, उन्होंने कहा, सूखा घोषित करने का अधिकार राज्यों को है। मेरा मानना है कि कर्नाटक और महाराष्ट्र ने कुछ जिलों के संदर्भ में ऐसा निर्णय लिया है। पवार ने कहा कि वह स्थिति की समीक्षा करने के लिए एक से तीन अगस्त के बीच ग्रामीण विकास मंत्री के साथ कर्नाटक, गुजरात, महाराष्ट्र और राजस्थान का दौरा करेंगे। इन राज्यों का दौरा करने के बाद मंत्रियों के अधिकारसम्पन्न समूह की फिर से बैठक होगी जिसमें आगे के कदमों के बारे में विचार किया जाएगा।
भारत ने वर्ष 2009 में गंभीर सूखे का सामना किया था जिसके कारण खाद्यान्न उत्पादन में 1.6 करोड़ टन की कमी आई थी। पिछले वर्ष खाद्यान्नों का उत्पादन रिकार्ड 25 करोड़ 74.4 लाख टन का हुआ था।
इस वर्ष खरीफ उत्पादन में कमी आने के आसार हैं क्योंकि बुवाई के रकबे में अभी तक 10 प्रतिशत की कमी दिखाई दे रही है।
मंत्रियों के अधिकारसम्पन्न समूह की बैठक में रेलमंत्री मुकुल राय और खाद्य मंत्री केवी थॉमस हिस्सा नहीं ले पाए। बैठक में जो अन्य सदस्य शामिल थे उनमें गृहमंत्री पी चिदंबरम, बिजली मंत्री सुशील कुमार शिंदे, पेट्रोलियम मंत्री जयपाल रेड्डी और ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश हैं।
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