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This Article is From Sep 25, 2020

किसान बिल के विरोध-प्रदर्शन में ट्रैक्टर पर बैठकर शामिल हुए तेजस्वी, कहा- 'अन्नदाता को कठपुतली...'

बिहार में किसानों के विरोध-प्रदर्शन में मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव भी शामिल हुए. प्रदर्शन के दौरान तेजस्वी ट्रैक्टर पर बैठे नजर आए. उन्होंने मीडिया से बातचीत में केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि उसने कृषि क्षेत्र का कारपोरेटीकरण कर दिया है.

नई दिल्ली:

किसान विधेयकों (Farm Bills 2020) के खिलाफ देश में एक संगठित विरोध शुक्रवार से शुरू हो गया है. किसान संघों के अलावा विपक्षी पार्टियां भी कई राज्यों में प्रदर्शन कर रही हैं. बिहार में किसानों के विरोध-प्रदर्शन में मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव भी शामिल हुए. प्रदर्शन के दौरान तेजस्वी ट्रैक्टर पर बैठे नजर आए. उन्होंने मीडिया से बातचीत में केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि उसने कृषि क्षेत्र का कारपोरेटीकरण कर दिया है.

न्यूज़ एजेंसी ने ANI से बातचीत में तेजस्वी ने कहा कि 'सरकार ने हमारे 'अन्नदाता' को अपने 'फंड दाता' के जरिए कठपुतली बना दिया है. किसान विधेयक किसान-विरोधी हैं और इससे किसान निराश हैं. सरकार ने कहा था कि वो किसानों की आय 2022 तक दोगुनी कर देंगे लेकिन उनके यह विधेयक किसानों को और गरीब कर देंगे. कृषि सेक्टर का कारपोरेटीकरण कर दिया गया है.'

पटना की अपनी इस रैली तेजस्वी यादव ट्रैक्टर चलाते हुए नजर आए. उनकी रैली में बड़ी संख्या में लोग नजर आए. इसके अलावा दरभंगा में आरजेडी के कार्यकर्ताओं ने भी विरोध-प्रदर्शन किया, जहां कुछ कार्यकर्ता भैंसों पर बैठकर प्रदर्शन करते नजर आए.  

बता दें कि संसद में पास हुए तीन किसान विधेयकों पर किसानों और विपक्षी पार्टियों के बीच जबरदस्त हंगामा मचा हुआ है. संसद के मॉनसून सत्र में इस बार ऐतिहासिक हलचल रही है. किसान बिलों के विरोध में विपक्ष ने राज्यसभा का बहिष्कार भी कर दिया था. हालांकि, ये तीनों बिल संसद की दोनों सदनों में पास हो चुके हैं. अब कानून बनने के लिए इनपर बस राष्ट्रपति के हस्ताक्षर की जरूरत है. विपक्ष के नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने बुधवार को इसके लिए राष्ट्रपति से मुलाकात भी की थी और इन बिलों को वापस कर देने का आग्रह किया था.

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विपक्ष का आरोप है कि इन बिलों से किसानों के हाथ से उनकी उपज का लाभ बहुत हद तक निकल जाएगा, एमएसपी प्रभावित होगा, मंडियां खत्म हो जाएंगी और किसान कॉरपोरेट कंपनियों के हाथों मजबूर हो जाएंगे. हालांकि, सरकार ने इन आरोपों को खारिज किया है और विपक्ष पर किसानों को गुमराह करने का आरोप लगाया है.

(ANI से इनपुट के साथ)

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