वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार कर RJD ने दिए दो अरबपतियों को राज्यसभा के टिकट!

बिहार में राज्य सभा के लिए जिन पांच सीटों पर नामांकन भरा जा रहा हैं उसमें दो सीट लालू यादव की राष्ट्रीय जनता दल (RJD) की तय हैं. गुरुवार को आरजेडी के दोनों उम्मीदवार प्रेम गुप्ता और अमरेन्द्र धारी सिंह ने नामांकन कर दिया है.  

वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार कर RJD ने दिए दो अरबपतियों को राज्यसभा के टिकट!

पटना:

बिहार में राज्य सभा के लिए जिन पांच सीटों पर नामांकन भरा जा रहा हैं उसमें दो सीट लालू यादव की राष्ट्रीय जनता दल (RJD) की तय हैं. गुरुवार को आरजेडी के दोनों उम्मीदवार प्रेम गुप्ता और अमरेन्द्र धारी सिंह ने नामांकन कर दिया है.  लालू यादव के उम्मीदवार ख़ासकर दूसरे उम्मीदवार एडी सिंह का नाम जैसे सार्वजनिक हुआ तो आरजेडी के विधायकों और नेताओं ने भी हैरत जताई और सभी अमरेन्द्र धारी सिंह की पृष्ठभूमि जानने की कोशिश करने लगे. उनके द्वारा दायर शपथ पत्र के अनुसार उनके पास 188 करोड़ की चल संपत्तिऔर 209   करोड़ की अचल संपत्ति है. इसके अलावा बैंक में  107 करोड़ रुपये जमा हैं. इसके अलावा प्ल़ॉट और घर क़रीब पचास करोड़ का है. वहीं आरजेडी से पांचवीं बार राज्यसभा जा रहे प्रेम गुप्ता के पास मेहरौली में एक फॉर्म हाउस है जिसकी क़ीमत अब क़रीब 118 करोड़ रुपये हो गयी है. प्रेमगुप्ता और उनकी पत्नी सरला गुप्ता के अलग अलग बैंक खातों में क़रीब 95 करोड़ जमा हैं. 

लेकिन प्रेम गुप्ता का टिकट जहां कई कारणों से तय माना जा रहा था वहीं नये उम्मीदवार अमरेंद्र धारी सिंह का नाम आते ही पुराने वरिष्ठ नेता जैसे शिवानंद तिवारी, रघुबंश प्रसाद सिंह या प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के चेहरे पर मायूसी दिखी.  उनके समर्थक दबी ज़ुबान से ये कहते देखे गये कि लालू यादव ने अनुभव और वफ़ादारी के सामने धनी व्यक्ति को इस बार भी महत्व दिया.  

हालांकि विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि ये टिकट देकर वो अपनी पार्टी को 'माय' यानी मुस्लिम-यादव से लेकर 'ए टू ज़ेड' की राजनीति अब कर रहे हैं.  जैसे सिंह भूमिहार जाति से आते हैं और इससे पहले मनोज झा जिन्हें राज्यसभा में भेजा गया वो ब्राह्मण समाज से आते हैं. लेकिन माना जा रहा हैं कि सिंह लालू यादव से पिछले दो वर्षों से सम्पर्क में  थे और उन्होंने  भविष्य में लालू यादव और उनके परिवार के निजी और राजनीतिक रूप से हर मदद करने का आश्वासन दिया है.

लेकिन तेजस्वी ने जो सफाई दी है कि किसी को भी हजम  नहीं हो रहा है क्योंकि दो साल पहले भी जिस असफाक करीम को राज्यसभा भेजा गया था उनके बारे में माना जाता हैं कि वो अपने आर्थिक प्रभुत्व की वजह से टिकट पाने में कामयाब हुए थे क्योंकि वो लोक जनशक्ति पार्टी में थे . इसलिए जहां उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने ट्वीट कर कहा, 'राज्यसभा चुनाव में उम्मीदवार तय करना किसी पार्टी का आंतरिक मामला है, लेकिन लगता है कि आरजेडी ने इसके लिए कोई लोकतांत्रिक प्रक्रिया नहीं अपनायी. वे सड़क पर लोकतंत्र बचाने का नाटक तो खूब करते हैं, लेकिन किसको टिकट मिलना है, यह जेल से तय करते हैं.'

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मोदी के मुताबिक  लालू प्रसाद ने जब कुली-चपरासी की नौकरी देने और रेलवे के होटल के बदले लोगों की जमीन लिखवा लेने में संकोच नहीं किया, तो वे एमपी-एमएलए-एमएलसी के टिकट केवल धरना-प्रदर्शन करने वाले जमीनी कार्यकर्ताओं को कैसे दे सकते हैं? मोदी ने कहा कि जनता देख रही है कि लोकतंत्र को गरीबों की झोली से छीन कर अमीरों की हवेली में कौन पहुंचा रहा है.