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This Article is From Dec 09, 2021

दिल्ली में बाहर ही नहीं, घरों के अंदर भी प्रदूषण : शोध में खुलासा

Delhi Air Quality : अध्ययन के प्रमुख लेखक डॉ केनेथ ली कहते हैं कि दिल्ली में मुख्य बात यह है कि कोई अमीर हो या गरीब, किसी को भी स्वच्छ हवा में सांस लेने को नहीं मिलता है.

दिल्ली में बाहर ही नहीं, घरों के अंदर भी प्रदूषण : शोध में खुलासा
Air Pollution in Delhi : दिल्ली में प्रदूषण को लेकर एक शोध में हुआ खुलासा
नई दिल्ली:

राजधानी दिल्ली (Delhi) के घरों पर विभिन्न सामाजिक व आर्थिक कसौटियों पर हुए एक शोध में शोधकर्ताओं (Researchers) ने पाया कि दिल्ली के घरों के भीतर भी वायु प्रदूषण ( Air Pollution) का स्तर बढ़ा है. दिल्ली के नागरिक स्वच्छ हवा के लिए तरसते हैं, लेकिन क्या वे इसके लिए अपनी आवाज उठाते हैं? शिकागो विश्वविद्यालय के एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट के नए शोध ने संकेत दिया है कि भारत की राजधानी के निवासियों के बीच वायु प्रदूषण की जानकारी और इससे बचाव के उपायों की मांग व इच्छा कम हो सकती है. शोधकर्ताओं ने पाया कि जब दिल्ली वालों के घरों के अंदर प्रदूषण के स्तर की जांच के लिए इनडोर एयर क्वालिटी मॉनिटर द्वारा नि:शुल्क परीक्षण की पेशकश की गई, तब बहुत कम लोग इसके लिए सहमत हुए. 

अध्ययन में पाया गया कि दिल्ली में कम-आय और अधिक-आय वाले परिवारों के लिए इनडोर PM2.5 का स्तर सर्दियों के दौरान बहुत अधिक था. इस दौरान उपरोक्त परिवारों में औसत सांद्रता (मीन कंसंट्रेशन) WHO द्वारा तय सुरक्षित सीमा 10μg/ m³ से क्रमश: 23 और 29 गुना अधिक थी. अध्ययन के निष्कर्ष में पाया गया कि उच्च-आय वाले घरों में कम-आय वाले घरों की तुलना में एयर प्यूरीफायर रखने की संभावना 13 गुना अधिक है. इसके बावजूद उच्च-आय वाले घरों में इनडोर वायु प्रदूषण का स्तर कम-आय वाले घरों की तुलना में केवल 10% कम था.

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अध्ययन के प्रमुख लेखक डॉ. केनेथ ली कहते हैं, "दिल्ली में मुख्य बात यह है कि कोई अमीर हो या गरीब, किसी को भी स्वच्छ हवा में सांस लेने को नहीं मिलता है”. वे कहते हैं, "यह एक जटिल दुष्चक्र है. जब आप अपने घरों के अंदर प्रदूषण के स्तर के बारे में नहीं जानते हैं, तो आप इसके बारे में चिंता भी नहीं करते हैं, और इसलिए आपके द्वारा सुधारात्मक कार्रवाई करने की संभावना भी कम हो जाती है. जागरूकता बढ़ने से ही स्वच्छ हवा की मांग में तेजी आ सकती है”. प्रयोग में पाया गया कि जिन घरों में रियल टाइम पर घरेलू प्रदूषण का आंकड़ा है, उनमें PM2.5 कंसंट्रेशन में 8.6 फीसदी की गिरावट हुई है. ऐसे घरों में प्रदूषण के रोकथाम के लिए सुरक्षात्मक कार्यों और बेहतर वेंटिलेशन के मामूली प्रयास दर्ज किये गए थे.

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शोधकर्ताओं का कहना है कि अध्ययन में 2018 से 2020 के बीच अलग-अलग सामाजिक व आर्थिक कसौटियों पर पर दिल्ली के हजारों घरों का सर्वेक्षण किया गया था. इसमें पाया गया कि घरेलू PM2.5 का स्तर निकटतम सरकारी मॉनिटर द्वारा बताए गए दर से काफी अधिक है. इसके अलावा अध्ययन में यह भी पाया गया है कि घरों के अंदर PM2.5 का स्तर सुबह और शाम में बढ़ जाता है. इस समय घरों में खाना पकाये जाने की सबसे अधिक संभावना होती है.

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डॉ ली कहते हैं, "घर के अंदर वायु प्रदूषण से संबंधित सूचना में बाधा बन रहे तत्वों को तत्काल दूर करना महत्वपूर्ण है. उच्च आवृत्ति वाली सटीक PM2.5 सूचना या तो सरकारी मॉनिटर या इनडोर वायु गुणवत्ता मॉनिटर के माध्यम से संप्रेषित की जाती है. यह पहला कदम है. लेकिन जब इसे वायु प्रदूषण के स्वास्थ्य परिणामों के प्रति जागरुकता और सुरक्षात्मक प्रयासों के फायदों से जोड़ा जाएगा, तभी हम और अधिक अनुकूल व बेहतर परिणामों की उम्मीद कर सकते हैं."ॉ

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