National Pollution Control Day 2021: प्रदूषण कई तरह का होता है जैसे वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण ये सभी किसी न किसी रूप में मानव शरीर को प्रभावित करते हैं. हालांकि सबसे खतरनाक और जिसका असर भारत में सबसे अधिक देखने को मिल रहा है वो है वायु प्रदूषण. हवा में तैर रहे खतरनाक कण हमारे शरीर को कई तरीकों से प्रभावित करते हैं, दिमाग से लेकर फेफड़ों और आंखों तक को प्रभावित करने वाली दूषित हवा मौत का कारण भी बन सकती है. हर साल वायु प्रदूषण से देश और दुनिया में लाखों लोगों की मौत होती है. इससे सबसे अधिक प्रभावित होते हैं बच्चे और बुजुर्ग, ऐसे में इन दो आयु वर्ग के लोगों को अधिक सावधान रहने की जरूरत है.
प्रदूषण का बच्चों पर असर
यूनीसेफ और WHO की रिपोर्ट के मुताबिक बच्चों का इम्यून सिस्टम प्रदूषण के हमले को झेलने के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं होता है. ऐसे में नौनिहालों के शरीर पर वायु प्रदूषण का अधिक असर होता है. अगर कोई बच्चा लंबे समय तक दूषित हवा में सांस लेता है तो उसके फेफड़ों पर इसका बुरा और स्थाई असर हो सकता है. यंग एज में ही इस बच्चे को लंग्स से जुड़ी समस्याओं को झेलना पड़ सकता है. ऐसे बच्चों में अस्थमा जैसी सांस संबंधी बीमारियां होने की संभावना बढ़ जाती है. यूनीसेफ की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत सहित पूरे दक्षिण एशिया में हर साल पांच साल की उम्र के 1.30 लाख बच्चों की मृत्यु वायू प्रदूषण से ही होती है.
दरअसल छोटे बच्चे या नवजात व्यस्कों के मुकाबले ज्यादा तेजी से सांस अंदर लेते हैं. एक व्यस्क इंसान एक मिनट में 12 से 18 बार सांस लेता तो नवजात मिनट भर में तीस बार सांस लेता है. ऐसे में प्रदूषित हवा में मौजूद कण उसके शरीर में ज्यादा मात्रा में पहुंचते हैं. इस तरह बच्चों में फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ा जाता है. वहीं उनके दिमाग और आंखों पर भी इसका असर होता है.
प्रदूषण का बुजुर्गों पर असर
- एक व्यस्क की अपेक्षा किसी बुजुर्ग का इम्यून सिस्टम वीक होता है, इस वजह से उन्हें बीमारियां तेजी से पकड़ती हैं. वीक इम्यून सिस्टम को दूषित हवा में मौजूद हानिकारक तत्वों से निपटने में कठिनाई होती है. ऐसे में बुजुर्गों को गंभीर अस्थमा और सांस लेने में तकलीफ की परेशानी होती है.
- वायु प्रदूषण के कारण आंखों में खुजली और जलन, गले में खराश और स्किन पर चकत्ते बुजुर्गों में होने वाली एक आम परेशानी है.
- वायु प्रदूषण बुजुर्गों के दिल पर भी प्रभाव डालता है. पॉल्यूशन के कारण दूषित हवा में सांस लेने से रक्त का प्रवाह धीमा पड़ जाता है जिससे बुजुर्गों में हार्ट अटैक का खतरा भी बढ़ जाता है.
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अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.
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