यह ख़बर 26 जनवरी, 2012 को प्रकाशित हुई थी

गणतंत्र दिवस : तिरंगे के रंग में रंगा राजपथ

खास बातें

  • 63वें गणतंत्र दिवस के मौके पर गुरुवार को राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने राजपथ पर तिरंगा फहराया। ध्वजारोहण से पहले राष्ट्रपति ने शहीदों को श्रद्धांजलि दी।
नई दिल्ली:

गणतंत्र दिवस के अवसर पर राजपथ से ऐतिहासिक लाल किले तक निकलने वाली पंरपरागत परेड के जरिए देश-दुनिया ने आज हर क्षेत्र में मजबूती से उभरते भारत की तस्वीर के साथ विश्व के सबसे अधिक विविधतापूर्ण संस्कृतियों वाले इस देश की झलक भी देखी।

अपनी आजादी, गणतंत्र, विकास और बहु-संस्कृति से गौरन्वित लोगों का हुजूम देश की साल दर साल की दर्शाई जाने वाली प्रगति को देखने के लिए सूरज की पौ फटने से पहले से ही सुबह की सर्दी को धता बताते हुए राजपथ से लालकिल तक आठ किलोमीटर के इस रास्ते में अपनी जगह लेने के लिए निकल पड़ा। इनमें औरतें, बच्चे, बूढ़े और समाज के हर वर्ग के लोग मौजूद थे। हर किसी के चेहरे पर गज़ब का उत्साह था।

तिरसठवें गणतंत्र दिवस पर दिल्ली के जनरल अफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल विजय कुमार पिल्लै ने परेड की अगुवाई की । उनके साथ दिल्ली के चीफ आफ स्टाफ मेजर जनरल राजबीर सिंह थे। राष्ट्रपति सैन्य बलों की सर्वोच्च कमांडर प्रतिभा पाटिल ने राजपथ पर बनाए गए विशेष सलामी मंच से परेड की सलामी ली। इस साल गणतंत्र दिवस समारोह की मुख्य अतिथि थाइलैंड की प्रधानमंत्री यिंगलक शिनावात्रा हैं।

परेड शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, रक्षा मंत्री ए के एंटनी और तीनों सेना के प्रमुखों ने इंडिया गेट स्थित अमर जवान ज्योति पर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। इसके बाद राष्ट्रपति के सलामी मंच पर तिरंगा फहराते ही राष्ट्रीय गान की धुन ने सबको रोमांचित कर दिया। तिरंगा फहराने के पश्चात पाटिल ने जम्मू कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तानी आतंकवादियों के घुसपैठ के प्रयास को विफल बनाने के दौरान शहीद हुए लेफ्टिनेंट नवदीप सिंह को शांतिकाल के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार अशोक चक्र से सम्मानित किया। यह मैडल सिंह के पिता ने ग्रहण किया। जारी परेड के दौरान देश के रक्षा विकास एवं अनुसंधशन संगठन द्वारा विकसित 3000 किलोमीटर तक मार करने वाली अग्नि-4 मिसाइल, 150 किलोमीटर तक मार करने वाली ‘प्रहार’ मिसाइल और मानवरहित विमान ‘रूस्तम-1’ को दर्शाया गया। ध्वजारोहण के तुरंत बाद 21 तोपों की सलामी के बीच गजराज की तरह आसमान से मंडराते एमआई 17 हेलीकाप्टरों ने गुलाब की पंखुरियां बिखेरी तो राजपथ पर बैठे सैकड़ों दर्शक मंत्रमुग्ध हुए बिना नहीं रह सके।

भारतीय सेना टी-72 टैंक, बहुप्रक्षेपण राकेट प्रणाली, पिनाका मल्टी बैरल राकेट प्रणाली और जैमर स्टेशन वीएचएफ (यूएचएफ) का भी प्रदर्शन किया गया। सेना के उन्नत हल्के हेलीकाप्टर ‘ध्रुव’ ने आकाश में स्वदेशी तकनीकी क्षमता की पताका फहराई। भारतीय वायुसेना ने पहली बार सी-130-जे सुपर हकरुलिस विमान का प्रदर्शन किया। परेड के दौरान परमाणु जैविक रासायनिक शुद्धिकरण प्रणाली के अलावा जैमर स्टेशन का भी प्रदर्शन किया गया। चाक चौबंद सुरक्षा व्यवस्था के बीच इस बार की परेड का एक महत्वपूर्ण आकर्षण खोजी कुत्ते थे जिन पर दिल्ली पुलिस का बम निरोधक दस्ता और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड आतंकवादी घटनाओं और अन्य वारदात की जांच में बहुत भरोसा करते हैं। खोजी कुत्तों ने कई तरह की दक्षता का प्रदर्शन किया। गणतंत्र दिवस समारोह के लिए सुरक्षा के चाक चौबंद प्रबंध किए गए और किसी तरह की अप्रिय घटना से निपटने के लिए अर्ध सैनिक बलों, दिल्ली पुलिस के जवानों के अलावा एनएसजी को तैनात किया गया। ऊंची इमारतों पर अचूक निशानेबाज़ तैनात थे तो हेलीकाप्टरों से वायु निगरानी की व्यवस्था करने के साथ क्लोज सर्किट कैमरे लगाए गए। परेड जिस रास्ते से गुजर रही थी उसके आस पास की हर इमारत पर सुरक्षा बल चौकसी बरत रहे थे।

इस बार की परेड में 23 राज्यों और केन्द्रीय मंत्रालयों एवं विभागों की झाकियों के जरिए देश के विकास और ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक विरासत से जुड़े पहलुओं का प्रदर्शन किया गया। राष्ट्रीय बहादुरी पुरस्कार 2009 के लिए चुने गए 24 बच्चों में से 19 परेड में हिस्सा लिया। दिल्ली के दो स्कूलों के 1200 छात्र-छात्राओं और विभिन्न सांस्कृतिक केन्द्रों के कलाकारों ने रंगारंग प्रस्तुतियां दी जबकि बीएसएफ के 154 जवान 30 मोटरसाइकिलों पर हैरतअंगेज करतब दिखाए।

वायुसेना के सी-130-जे सुपर हरक्यूलिस विमान पहली बार परेड में शामिल हुए। परेड के समापन पर फ्लाईपास्ट का नेतृत्व तीन एमआई-35 हेलीकॉप्टरों ने किया। उनके पीछे एक आईएल-78, दो एएन-32 और दो ड्रोनियर ने आकाश में भारत की शक्ति का प्रदर्शन किया।

इसके बाद, पांच जगुआर और पांच मिग-29 लड़ाकू विमानों ने आकाश के सीने को चीरते हुए गणतंत्र का जयघोष किया। एसयू-30 एमकेआई विमान भी फ्लाईपास्ट का हिस्सा बने। गणतंत्र दिवस समारोह का समापन राष्ट्रगान और आकाश में गुब्बारे छोड़ने के साथ हुआ। परेड में सेना की 61वीं कैवेलरी, पैराशूट रेजीमेंट, बंगाल इंजीनियर ग्रुप, ब्रिगेड आफ गार्डस, कुमाउं रेजीमेंट, असम रेजीमेंट, महार रेजीमेंट, गोरखा राइफल्स रेजीमेंट और कोर आफ मिल्रिटी पुलिस के जवान शामिल थे। नौसेना के दस्ते में लेफ्टिनेंट मणिकंदन के. के नेतृत्व में 148 जवानों और वायुसेना के दस्ते में फ्लाइट लेफ्टिनेंट स्नेहा शेखावटे के नेतृत्व में 144 अन्य जवानों ने राष्ट्रपति को सलामी दी।

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अर्धसैनिक बलों और अन्य असैन्य बलों मसलन सीमा सुरक्षा बल, असम राइफल्स, तटरक्षक बल, केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस, केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल, सशस्त्र सीमा बल, रेलवे सुरक्षा बल, दिल्ली पुलिस, राष्ट्रीय कैडेट कोर और राष्ट्रीय सेवा योजना के दस्तों ने भी मार्च पास्ट में हिस्सा लिया।