विज्ञापन
This Article is From Jan 23, 2022

उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में फ‍िर टकरा रहे ‘रिश्ते’, अमेठी के राज परिवार में भी खींचतान

2017 के विधानसभा चुनाव में अमेठी में गरिमा सिंह (भाजपा) और अमीता सिंह (कांग्रेस) आमने-सामने थीं तथा इस बीच पूर्व केंद्रीय मंत्री संजय सिंह के भाजपा में शामिल होने के बाद उनकी दूसरी पत्नी अमीता सिंह भी यहां से पार्टी के टिकट की दावेदार हैं.

उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में फ‍िर टकरा रहे ‘रिश्ते’, अमेठी के राज परिवार में भी खींचतान
उत्तरप्रदेश में चुनाव में फिर आमने सामने हैं कई रिश्ते
लखनऊ:

लखनऊ में सरोजनी नगर विधानसभा क्षेत्र से पति-पत्नी की भाजपा के टिकट की दावेदारी के बीच अब अमेठी से राजघराने की दो बहुओं की दावेदारी सत्तारूढ़ दल की परेशानी बढ़ा सकती है. 2017 के विधानसभा चुनाव में अमेठी में गरिमा सिंह (भाजपा) और अमीता सिंह (कांग्रेस) आमने-सामने थीं तथा इस बीच पूर्व केंद्रीय मंत्री संजय सिंह के भाजपा में शामिल होने के बाद उनकी दूसरी पत्नी अमीता सिंह भी यहां से पार्टी के टिकट की दावेदार हैं. पूर्व की अमेठी रियासत के मुखिया संजय सिंह ने जुलाई 2019 में कांग्रेस और राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का दामन थाम लिया था. उनके नजदीकी लोगों के मुताबिक, संजय सिंह अमेठी विधानसभा से अमीता को भाजपा का टिकट दिलाने के लिए प्रयासरत हैं, जबकि गरिमा अपना टिकट बचाने के लिए जद्दोजहद कर रही हैं.

इस सिलसिले में दोनों (गरिमा-अमीता) से बातचीत की कोशिश की गई, लेकिन संपर्क नहीं हो सका. हालांकि भाजपा के लोकसभा संयोजक और अमेठी के जिला पंचायत अध्यक्ष राजेश मसाला ने कहा, ''यहां टिकट मिलना कोई मुद्दा नहीं है. पार्टी जिसे भी उम्मीदवार बनाएगी उसे चुनाव जिताकर भेजा जाएगा.''

अमेठी में 'महाराज' नाम से संबोधित किए जाने वाले डॉक्टर संजय सिंह ने अपनी पहली पत्नी गरिमा सिंह को तलाक देकर 1995 में अमीता सिंह से शादी कर ली थी. राष्‍ट्रीय स्‍तर पर बैडमिंटन की खिलाड़ी रहीं अमीता ने 1984 में राष्‍ट्रीय चैंपियन सैयद मोदी से शादी की थी. 1988 में सैयद मोदी की हत्‍या के बाद अमीता ने संजय सिंह से दूसरा विवाह किया और उसके बाद राजनीति में सक्रिय हुईं. 2002 में वह भाजपा तथा 2007 में कांग्रेस से अमेठी की विधायक चुनी गईं.

बीजेपी के सहयोगी अपना दल ने मुस्लिम उम्मीदवार को दिया पहला टिकट, यूपी चुनाव में नया दांव

वर्ष 2017 के चुनाव में अमेठी में गरिमा सिंह भाजपा और अमीता कांग्रेस की उम्मीदवार थीं. गरिमा सिंह ने 64,226 मत पाकर यह चुनाव जीत लिया था जबकि अमीता चौथे स्थान पर रही थीं और उन्हें सिर्फ 20,291 मत मिले थे. यहां दूसरे नंबर पर पूर्व मंत्री एवं सपा नेता गायत्री प्रसाद और तीसरे नंबर पर बसपा के रामजी रहे थे. अमेठी में इस बार पांचवें चरण में मतदान होगा.

वहीं, परिवार में चुनावी टिकट को लेकर दावेदारी के चलते गाजीपुर जिले के एक प्रमुख राजनीतिक परिवार में भी अनबन की खबरें हैं. मोहम्मदाबाद क्षेत्र के भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की 2005 में हत्या कर दी गई थी. इस मामले में मऊ के बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी और मुन्ना बजरंगी समेत कई अपराधियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज हुआ. उसके बाद हुए उपचुनाव में कृष्णानंद की पत्नी अलका राय विधायक चुनी गईं. 2017 में भी भाजपा के टिकट पर अलका राय ने मुख्तार के भाई सिबगतुल्ला अंसारी को पराजित किया था.

सूत्रों के अनुसार, इस सीट पर अलका राय अपने पुत्र पीयूष राय को टिकट दिलाना चाहती हैं जबकि कृष्‍णानंद राय के भतीजे आनन्‍द राय 'मुन्ना' ने भी पूरे इलाके में बैनर-पोस्टर लगाकर अपनी दावेदारी पेश की है.

टिकट को लेकर चल रहे घमासान के बारे में जब आनन्‍द राय से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा, ''यह बात सभी लोग जानते हैं कि चाचा जी (कृष्‍णानंद राय) की हत्‍या के बाद मैं हर मोर्चे पर सक्रिय रहा और मैंने परिवार एवं क्षेत्र की जनता के लिए अपनी जवानी दे दी, मुकदमा लड़ने से लेकर सभी दुश्मनी हमने झेली और चुनावों में चाची जी ( विधायक अलका राय) सिर्फ चेहरा रहीं. उनका पूरा चुनाव मैंने लड़ा, लेकिन अब वह अपने बेटे के लिए टिकट चाह रही हैं तो मैं अपनी दावेदारी कैसे छोड़ दूं. मेरा नाम तो 2017 में भी पार्टी ने प्रस्तावित किया था.'' हालांकि अलका राय के एक समर्थक ने कहा कि लोग पीयूष राय में कृष्णानंद की छवि देखते हैं.

इस सीट पर सबसे आखिर में सातवें चरण में मतदान होना है और अभी प्रमुख दलों के उम्मीदवारों की घोषणा नहीं हुई है.

'पहले गाजियाबाद में हज हाउस बनता था, हमारी सरकार ने कैलाश मानसरोवर का भवन बनाया' : CM योगी

भाजपा की उप्र इकाई के सह संपर्क प्रमुख नवीन श्रीवास्तव ने इस संदर्भ में कहा, ''टिकट मांगने का सबको हक है लेकिन भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता अनुशासित होते हैं और पार्टी जिसके नाम पर फैसला करेगी, उसके साथ सब लोग एकजुट होकर चुनाव प्रचार करेंगे.''

यहां पिता-पुत्री के बीच मुकाबला
औरैया जिले के बिधूना विधानसभा क्षेत्र में तीसरे चरण में मतदान होगा जहां से पिता-पुत्री के बीच मुकाबले के आसार साफ दिख रहे हैं. हाल ही में बिधूना के भारतीय जनता पार्टी के विधायक विनय शाक्य ने पार्टी नेतृत्व पर पिछड़ों, दलितों, अल्पसंख्यकों की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए भाजपा से इस्तीफा देकर सपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी. उनके इस कदम का उनकी पुत्री रिया शाक्‍य ने विरोध किया.

रिया ने पत्रकारों से कहा, ‘‘मेरी दादी और चाचा ने मेरे बीमार पिताजी को जबरन सपा की सदस्यता दिलवाई है.''

इस बीच, शुक्रवार को भाजपा ने बिधूना से रिया शाक्य को पार्टी का उम्मीदवार घोषित कर दिया. अब इलाके में पिता और पुत्री के बीच होने वाले टकराव को लेकर खूब चर्चा हो रही है. सोनभद्र जिले के घोरावल विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के विधायक अनिल मौर्य हैं जबकि हाल ही में वाराणसी के शिवपुर विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक और अनिल के भाई उदयलाल मौर्य भाजपा छोड़कर समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए हैं. अभी दोनों में से किसी की उम्मीदवारी घोषित नहीं हुई है, लेकिन चर्चा यही है कि उदयलाल मौर्य सपा से टिकट मिलने पर अपने विधायक भाई के खिलाफ भी किस्मत आजमा सकते हैं.

राष्ट्र को बचाना है तो बीजेपी को फिर बहुमत से सत्ता में लाना होगा: अपर्णा यादव

हालांकि अनिल मौर्य ने कहा, ''मुझे जानकारी नहीं है कि मेरे भाई कहां से टिकट मांग रहे हैं. मैं सोनभद्र में रहता हूं और वह वाराणसी में रहते हैं, सपा की रणनीति क्या है, हमें क्या जानकारी हो सकती है.''

सोनभद्र जिले में सबसे आखिरी सातवें चरण में मतदान होना है और अभी प्रमुख दलों के उम्मीदवारों की घोषणा नहीं हुई है.

चंद परिवार हुआ एक
गोरखपुर जिले के चिल्लूपार विधानसभा क्षेत्र में पूर्व मंत्री मार्कंडेय चंद के पुत्र एवं विधान परिषद सदस्य सीपी चंद और सीपी चंद के चचेरे भाई की पत्नी एवं भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेश उपाध्यक्ष अस्मिता चंद भी टिकट के लिए दावेदार हैं. अस्मिता चंद भाजपा में लंबे समय से हैं जबकि 2016 में समाजवादी पार्टी से विधान परिषद सदस्य चुने गए सीपी चंद हाल ही में भाजपा में शामिल हुए हैं. सीपी चंद 2012 में सपा के टिकट पर यहां से चुनाव लड़े थे लेकिन पराजित हो गए थे.

इस बारे में चंद परिवार के प्रमुख सदस्य और गोरखपुर-महराजगंज जिला सहकारी बैंक के पूर्व अध्यक्ष रणविजय चंद ने कहा, ''अब परिवार में कोई कलह नहीं है और पूरा परिवार एक हो गया है. हम लोग एक रहे तो निर्दलीय भी चुनाव जीते हैं.''

उन्होंने कहा, ''सीपी चंद जी एमएलसी का चुनाव लड़ेंगे जबकि अस्मिता चंद ने विधानसभा चुनाव के लिए चिल्लूपार से तैयारी की हैं और अब पार्टी के निर्देश का इंतजार है, हम लोग चुनाव जीतेंगे.''

UP चुनाव : मायावती का कांग्रेस पर हमला, उत्तर प्रदेश में ‘वोटकटवा' पार्टी बताया

यहां छठे चरण में मतदान होना है और अभी तक प्रमुख राजनीतिक दलों ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है.

उत्तर प्रदेश के चुनावी समर में रिश्तों की यह टकराहट साफ तौर पर देखी जा रही है. इस टकराव पर सामाजिक संगठन 'मानव सेवा संस्थान' के सचिव राजेश मणि ने कहा कि ''ऊंचाइयों तक पहुंचने की जो अभिलाषा होती है, वह प्रत्‍येक व्‍यक्ति के मन में रहती है और उसके मस्तिष्क में द्वंद्व चलता है. जब निज स्वार्थ की बात आती है तो बहुतों को अपने पद, ताकत, प्रतिष्ठा के लिए रिश्तेदार, भाई-भावज, मां-बेटी, पति-पत्नी कोई रिश्ता नहीं दिखता है. इसमें कुछ लोगों के स्वार्थ की भावना रिश्‍तों पर भारी पड़ जाती है.''

दो भाईयों ने चुनी अलग अलग राहें
चौथे चरण में सीतापुर जिले में मतदान होना है जहां से पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री रामलाल राही के पुत्र सुरेश राही हरगांव विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक हैं और पार्टी ने उनको उम्मीदवार घोषित कर दिया है, जबकि उनके बड़े भाई एवं पूर्व विधायक रमेश राही समाजवादी पार्टी से टिकट मांग रहे हैं. अभी 10 जनवरी को सहारनपुर के प्रभावशाली मुस्लिम नेता व पूर्व विधायक इमरान मसूद ने कांग्रेस छोड़कर समाजवादी पार्टी में शामिल होने का फैसला सुनाया तो उसी दिन उनके भाई नोमान मसूद ने बहुजन समाज पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली और पार्टी ने उन्हें शनिवार को गंगोह से उम्मीदवार घोषित कर दिया. अभी तक इमरान मसूद की उम्मीदवारी तय नहीं हुई है, फ‍िर भी दो भाइयों की दो अलग-अलग राहों का एक उदाहरण यह भी है. सहारनपुर में दूसरे चरण में मतदान होगा.

जगजाहिर है मुलायम सिंह यादव के परिवार का टकराव
रिश्तों में टकराव का बड़ा उदाहरण सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव और उनके पुत्र एवं सपा अध्यक्ष तथा पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के परिवार का भी है. भारतीय जनता पार्टी के दिल्ली मुख्यालय में बुधवार को मुलायम सिंह यादव के दूसरे बेटे प्रतीक यादव की पत्नी अपर्णा यादव ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर सपा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. अखिलेश यादव उप्र में समाजवादी पार्टी की सरकार बनाने के लिए भाजपा से मुकाबला कर रहे हैं, जबकि विरोधी खेमे में परिवार की सदस्य अपर्णा यादव सक्रिय हो गई हैं. अपर्णा यादव 2017 में सपा उम्मीदवार के तौर पर लखनऊ कैंट में भाजपा की रीता बहुगुणा जोशी से चुनाव हार गई थीं.

UP Elections 2022: ओवैसी ने किया यूपी चुनाव में नए गठबंधन का ऐलान, दो CM बनाने का प्रस्ताव

मां-बेटी आमने सामने
उधर, केंद्र सरकार में मंत्री और भाजपा के सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल और उनकी मां अपना दल (कमेरावादी) की अध्यक्ष कृष्णा पटेल की टकराहट भी जगजाहिर है. अनुप्रिया भाजपा के साथ गठबंधन में हैं जबकि कृष्णा पटेल ने सपा के साथ चुनाव लड़ने के लिए तालमेल किया है. दोनों मां-बेटी भी इस चुनाव में एक-दूसरे के खिलाफ नजर आएंगी.

यहां पति-पत्नी में टकराव
चुनाव के चलते रिश्तों में टकराव का एक नमूना योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार में महिला कल्याण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) स्वाति सिंह और उनके पति एवं भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह के बीच भी सुनने को मिल रहा है. स्वाति सिंह लखनऊ जिले के सरोजनी नगर विधानसभा क्षेत्र से 2017 में पहली बार चुनाव जीती थीं और इस बार भी भाजपा के टिकट की प्रबल दावेदार हैं जबकि उनके पति दयाशंकर सिंह भी इस सीट से खुद के लिए टिकट चाहते हैं. 

उत्तर प्रदेश में सात चरणों में चुनाव होना है जहां पहले चरण का मतदान 10 फरवरी, दूसरे चरण का 14 फरवरी, तीसरे चरण का 20 फरवरी, चौथे चरण का 23 फरवरी, पांचवें चरण का 27 फरवरी, छठे चरण का तीन मार्च और सातवें चरण का मतदान सात मार्च को होगा.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com