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This Article is From Nov 05, 2016

सोशल मीडिया क्यों पूछ रहा है क्या 'बाग़ों में बहार है...'

सोशल मीडिया क्यों पूछ रहा है क्या 'बाग़ों में बहार है...'

बाग़ों में बहार है - 70 के दशक में बनी सुपरहिट फिल्म 'आराधना' का यह गीत एक बार फिर गुनगुनाया जा रहा है. इसके पीछे की वजह कोई रिमेक गाना नहीं है बल्कि शुक्रवार को एनडीटीवी इंडिया पर प्रसारित हुआ रवीश कुमार का शो 'प्राइम टाइम' है जिसमें सवाल ही ये था कि जब सवाल नहीं पूछे जाएंगे तो क्या करेंगे?

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बता दें कि सरकार द्वारा एनडीटीवी इंडिया पर एक दिन का बयान लगाए जाने के बाद प्राइम टाइम में दो माइम कलाकारों के साथ यह समझने की कोशिश की गई थी कि जब सरकार को सवालों से समस्या होने लगे तो फिर किस तरह के सवाल सत्ता को खुश करेंगे - जैसे बाग़ो में बहार है? आप बनियान कौन से ब्रांड की पहनते हैं? या आप खाते कितनी बार हैं दिन में? फूल कौन सा पसंद करते हैं, धतूरे का या कनेल का?

रवीश ने अपने शो में दो माइम कलाकारों को आमंत्रित किया था  जिसमें एक अथॉरिटी और दूसरा उनका लठैत था. अथॉरिटी और लठैत बने ईशु और राजेश निर्मल ने अपना रोल बखूबी निभाया.  रवीश के द्वारा अपने शो में इस्तेमाल की गई यह लाइन इतनी बार ट्वीट की गई कि शनिवार को कुछ ही घंटों यह लाइन ट्रेंड करने लगी और कुछ समय पहले यह वर्ल्डवाइड पांचवे स्थान पर और भारत में पहले स्थान पर ट्रेंड करने लगी थी.

इस कार्यक्रम के बाद से सोशल मीडिया पर एक सवाल की बहार है जो है - बाग़ों में बहार है?
 

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