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This Article is From Jan 10, 2020

SC ने J&K में लगी पाबंदियों की समीक्षा का दिया आदेश, कांग्रेस बोली- मोदी सरकार को 2020 का पहला बड़ा झटका

सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकांश प्रावधान खत्म करने के बाद लगाए गए प्रतिबंधों की एक हफ्ते के अंदर समीक्षा करने को कहा है.

SC ने J&K में लगी पाबंदियों की समीक्षा का दिया आदेश, कांग्रेस बोली- मोदी सरकार को 2020 का पहला बड़ा झटका
रणदीप सुरजेवाला ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मोदी और शाह के लिए बताया दोहरा झटका
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकांश प्रावधान खत्म करने के बाद लगाए गए प्रतिबंधों की एक हफ्ते के अंदर समीक्षा करने को कहा है. इस फैसले पर कांग्रेस ने मोदी सरकार के खिलाफ आक्रामक रुख अख्तियार कर लिया है. कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने फैसले के बाद पीएम मोदी और अमित शाह पर निशाना साधते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इंटरनेट के महत्व को मौलिक अधिकार बताते हुए मोदी सरकार की अवैध गतिविधियों को साल 2020 का पहला बड़ा झटका दिया है. उन्होंने कहा कि यह मोदी और शाह के लिए दोहरे झटके की तरह है, जहां साफ हो गया कि धारा 144 लगाकर असंतोष का दमन नहीं किया जा सकता है. सुरजेवाला ने कहा कि मोदी जी को याद दिलाया गया कि राष्ट्र संविधान के सामने झुकता है उनके सामने नहीं.  

जम्मू-कश्मीर में जारी पाबंदियों की एक हफ्ते के अंदर समीक्षा हो, जहां जरूरत वहां इंटरनेट शुरू किया जाए : सुप्रीम कोर्ट

बता दें कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने के बाद इंटरनेट बैन और लॉक डाउन के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि कश्मीर ने बहुत हिंसा देखी है. इंटरनेट फ्रीडम ऑफ स्पीच के तहत आता है. यह फ्रीडम ऑफ स्पीच का जरिया भी है. इंटरनेट आर्टिकल-19 के तहत आता है. नागरिकों के अधिकार और सुरक्षा के संतुलन की कोशिशें जारी हैं. इंटरनेट बंद करना न्यायिक समीक्षा के दायरे में आता है. जम्मू-कश्मीर में सभी पाबंदियों पर एक हफ्ते के भीतर समीक्षा की जाए.

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कोर्ट ने अपने फैसले में सभी इंटरनेट सेवाओं के निलंबन के निर्देश और सभी सरकारी और स्थानीय निकाय वेबसाइटों की बहाली का आदेश दिया जहां इंटरनेट का दुरुपयोग न्यूनतम है. कोर्ट ने कहा कि इंटरनेट पर अनिश्चितकाल के लिए प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता. जहां जरूरत हो वहां फौरन इंटरनेट बहाल हो. कोर्ट ने कहा कि व्यापार पूरी तरह से इंटरनेट पर निर्भर है और यह संविधान के आर्टिकल-19 के तहत आता है. कोर्ट ने कहा कि मजिस्ट्रेट को धारा 144 के तहत पाबंदियों के आदेश देते समय नागरिकों की स्वतंत्रता और सुरक्षा को खतरे की अनुपालिका को देखकर विवेक का इस्तेमाल करना चाहिए. बार-बार एक ही तरीके के आदेश जारी करना उल्लंघन है.

Video: इंटरनेट जीने के अधिकार के तहत मौलिक अधिकार, जहां जरूरत, वहां तुरंत हो बहाल

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