राज्यसभा चुनाव (प्रतीकात्मक तस्वीर)
नई दिल्ली:
राज्यसभा चुनाव को उत्तर प्रदेश के समीकरण ने और भी ज्यादा दिलचस्प बना दिया है. शुक्रवार को होने वाले राज्यसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी और सपा-बसपा के बीच महज एक सीट को लेकर प्रतिष्ठा की लड़ाई है. उत्तर प्रदेश के कोटे में राज्यसभा के लिए पूरे दस सीटें हैं, मगर एक सीट पर वोटों के समीकरण कुछ इस तरह है कि बीजेपी, सपा-बसपा इसे जीतने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है. माना जा रहा है कि इस एक सीट पर बीजेपी के अनिल अग्रवाल और बसपा के उम्मीदवार भीमराव अंबेडकर में जबरदस्त टक्कर देखने को मिल सकती है.
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की 10 सीटों के मैदान में कुल 11 उम्मीदवार हैं. एक सीट का समीकरण कुछ इस तरह से बना है, जिसकी वजह से यह चुनाव भी काफी रोचक हो गया है. राज्यसभा की इन 10 सीटों के लिए होने वाले चुनाव में बीजेपी की 8 सीट पक्की है, वहीं सपा की नौंवीं सीट पक्की है, जहां से जया बच्चन का जीतना पूरी तरह तय है. मगर जो दसवीं सीट है, महाभारत उसी के लिए है और यहां बीजेपी के अनिल अग्रवाल और बसपा के भीमराव अंबेडकर में खिताबी मुकाबला है. दसवीं सीट के लिए बसपा की ओर से भीमराव अंबेडकर को सपा का समर्थन प्राप्त है.
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खास बात है कि एक राज्यसभा सीट पर जीत के लिए औसत 37 विधायकों के वोट की जरूरत होती है. इस लिहाज से देखा जाए तो यूपी की आठ सीटों पर वोट करने के बाद बीजेपी के पास 8 विधायकों के अतिरिक्त मत बच रहे हैं और उसे जीत के लिए सिर्फ नौ और मतों की जरूरत होगी. यानी अभी बीजेपी के पास 8 विधायक हैं और उसे जीत के लिए 9 और चाहिए. वहीं बसपा के पास 19 विधायक हैं, और बसपा के 19, सपा के 10, कांग्रेस के 7 और रालोद के 1 वोट को मिलाकर कुल 37 हो रहे हैं. बसपा को अगर ये सभी वोट कर देते हैं तो लगभग यह जीत के बराबर होगा, मगर बीजेपी इनमें से तोड़ने में कामयाब हो जाती है, तो फिर यह असंभव हो जाएगा.
तो इस लिहाज से देखा जाए तो उत्तर प्रदेश में 10 सीटों में से बीजेपी की 8 सीटों पर और सपा की एक सीट पर जीत तय मगर महामुकाबला बस दसवीं सीट के लिए है. हालांकि, चुनाव से ठीक ऐन वक्त पहले बीजेपी के पाले में यह समीकरण जाते दिख रहा है. दरअसल, अखिलेश यादव की बैठक में उसके 7 विधायक नहीं पहुंचे. इसलिए कायास कुछ भी लगाए जा रहे हैं. इतना ही नहीं, बीजेपी के बढ़त के पीछे एक और अहम पहलू यह है कि नरेश अग्रवाल जो हाल ही में सपा को छोड़ बीजेपी में शामिल हुए हैं, उनके बेटे सपा के बदले बीजेपी को वोट कर सकते हैं.
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हालांकि, सपा के सूत्रों का कहना है कि उसका एक विधायक जेल में है, जिसका वोट उसके साथ है. साथ ही आजम खान और उनके बेटे मीटिंग में शामिल नहीं थे, मगर उनके वोट भी सपा के साथ है. गौरतलब है कि 2016 के विधान परिषद और राज्यसभा के चुनाव में भी बीजेपी ने विपक्ष के वोटों पर सेंध लगाई थी. ऐसे में सपा, बसपा और कांग्रेस के विधायक अगर क्रॉस वोटिंग करते हैं तो बीजेपी के लिए नौवीं और कुल दसवीं सीट पर भारतीय जनता पार्टी चुनाव जीत सकती है
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गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की 10 सीटों के मैदान में कुल 11 उम्मीदवार हैं. एक सीट का समीकरण कुछ इस तरह से बना है, जिसकी वजह से यह चुनाव भी काफी रोचक हो गया है. राज्यसभा की इन 10 सीटों के लिए होने वाले चुनाव में बीजेपी की 8 सीट पक्की है, वहीं सपा की नौंवीं सीट पक्की है, जहां से जया बच्चन का जीतना पूरी तरह तय है. मगर जो दसवीं सीट है, महाभारत उसी के लिए है और यहां बीजेपी के अनिल अग्रवाल और बसपा के भीमराव अंबेडकर में खिताबी मुकाबला है. दसवीं सीट के लिए बसपा की ओर से भीमराव अंबेडकर को सपा का समर्थन प्राप्त है.
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खास बात है कि एक राज्यसभा सीट पर जीत के लिए औसत 37 विधायकों के वोट की जरूरत होती है. इस लिहाज से देखा जाए तो यूपी की आठ सीटों पर वोट करने के बाद बीजेपी के पास 8 विधायकों के अतिरिक्त मत बच रहे हैं और उसे जीत के लिए सिर्फ नौ और मतों की जरूरत होगी. यानी अभी बीजेपी के पास 8 विधायक हैं और उसे जीत के लिए 9 और चाहिए. वहीं बसपा के पास 19 विधायक हैं, और बसपा के 19, सपा के 10, कांग्रेस के 7 और रालोद के 1 वोट को मिलाकर कुल 37 हो रहे हैं. बसपा को अगर ये सभी वोट कर देते हैं तो लगभग यह जीत के बराबर होगा, मगर बीजेपी इनमें से तोड़ने में कामयाब हो जाती है, तो फिर यह असंभव हो जाएगा.
तो इस लिहाज से देखा जाए तो उत्तर प्रदेश में 10 सीटों में से बीजेपी की 8 सीटों पर और सपा की एक सीट पर जीत तय मगर महामुकाबला बस दसवीं सीट के लिए है. हालांकि, चुनाव से ठीक ऐन वक्त पहले बीजेपी के पाले में यह समीकरण जाते दिख रहा है. दरअसल, अखिलेश यादव की बैठक में उसके 7 विधायक नहीं पहुंचे. इसलिए कायास कुछ भी लगाए जा रहे हैं. इतना ही नहीं, बीजेपी के बढ़त के पीछे एक और अहम पहलू यह है कि नरेश अग्रवाल जो हाल ही में सपा को छोड़ बीजेपी में शामिल हुए हैं, उनके बेटे सपा के बदले बीजेपी को वोट कर सकते हैं.
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हालांकि, सपा के सूत्रों का कहना है कि उसका एक विधायक जेल में है, जिसका वोट उसके साथ है. साथ ही आजम खान और उनके बेटे मीटिंग में शामिल नहीं थे, मगर उनके वोट भी सपा के साथ है. गौरतलब है कि 2016 के विधान परिषद और राज्यसभा के चुनाव में भी बीजेपी ने विपक्ष के वोटों पर सेंध लगाई थी. ऐसे में सपा, बसपा और कांग्रेस के विधायक अगर क्रॉस वोटिंग करते हैं तो बीजेपी के लिए नौवीं और कुल दसवीं सीट पर भारतीय जनता पार्टी चुनाव जीत सकती है
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