तमिलनाडु सरकार (Tamil Nadu Government) ने बुधवार को मद्रास हाईकोर्ट को बताया कि मंत्रिमंडल की राजीव गांधी हत्याकांड (Rajiv Gandhi assassination case) में उम्रकैद की सजा काट रहे सातों कैदियों को रिहा करने की सिफारिश पर फैसले से पहले प्रदेश के राज्यपाल बहु-विषयक निगरानी एजेंसी (ADMA) की अंतिम रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं. यह एजेंसी राजीव गांधी की हत्या के पीछे की व्यापक साजिश की जांच कर रही है.लोक अभियोजक ए नटराजन ने कहा, “राज्यपाल के सचिव ने राज्य को बताया है कि सिर्फ इस वजह से राज्यपाल ने अब तक इन अनुशंसाओं पर कोई फैसला नहीं लिया है.”
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अभियोजक ने कहा, श्रीलंका जैसे अन्य देशों के व्यक्तियों के मामले में शामिल होने की वजह से मामले में व्यापक साजिश की जांच के लिये जैन आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक एमडीएमए का गठन किया गया था. एजेंसी की कार्यवाहियों की निगरानी सुप्रीम कोर्ट कर रहा है. न्यायमूर्ति एन किरुबाकरन और न्यायमूर्ति वी एम वेलुमणि की पीठ ने 22 जुलाई को मौखिक टिप्पणी में कहा था कि राज्य द्वारा की गई सिफारिशों पर राज्यपाल इतने लंबे समय तक बिना कोई फैसला किये नहीं बैठे रह सकते कि अदालत दखल देने के लिये मजबूर हो जाए.
इसी के मद्देनजर सरकार की तरफ से अदालत में यह प्रतिवेदन दिया गया। प्रदेश के मंत्रिमंडल ने सभी दोषियों की समयपूर्व रिहाई के लिये नौ सिंतबर 2018 को एक प्रस्ताव पारित किया था और राज्यपाल को इसकी अनुशंसा की थी. अदालत ने यह टिप्पणी उम्र कैद की सजा पाए ए जी पेरारीवलन की मां टी अरपुथम की याचिका पर की थी. इस मामले में अगली सुनवाई तीन अगस्त को होगी. नलिनी श्रीहरन और उसके पति के अलावा राजीव हत्याकांड में ए जी पेरारीवलन, संथन, जयकुमार, रविचंद्रन और रॉबर्ट पायस दोषी ठहराए गए थे. सभी उम्रकैद की सजा काट रहे है. श्रीपेरंबदूर में 21 मई 1991 को लिट्टे की आत्मघाती हमलावर ने धमाका कर पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या कर दी थी.
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