
कांग्रेस में सीएम अशोक गहलोत के खिलाफ मोर्चा खोल चुके सचिन पायलट (Sachin Pilot) के लिए आज अहम दिन है. आज हाईकोर्ट की डबल बेंच में सचिन पायलट और 19 विधायकों को विधानसभा अध्यक्ष की ओर से भेज गए नोटिस पर सुनवाई होनी है. आपको बता दें कि विधानसभा अध्यक्ष की ओर से सचिन पायलट और 19 समर्थित विधायकों को नोटिस जारी करके पूछा गया है कि पार्टी की ओर से व्हिप जारी करने के बाद भी विधायकों की बैठक में नहीं पहुंचे हैं लिहाजा उनकी विधानसभा सदस्यता क्यों न रद्द की जाए. दरअसल विधानसभा अध्यक्ष के पास एक याचिका दाखिल की गई है जिसमें कहा गया है कि व्हिप का उल्लंघन करने वाले किसी भी पार्टी के विधायक की सदस्यता खारिज करने का नियम है. इसी याचिका पर विधानसभा अध्यक्ष ने नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
आज दोपहर 1 बजे के बाद का समय है अहम
लेकिन इस याचिका के खिलाफ हाईकोर्ट में गुहार लगाई गई है जिसमें कहा गया है कि जब सदन चल ही नहीं रहा है तो फिर व्हिप का कोई मतलब नहीं है और विधानसभा अध्यक्ष इस पर नोटिस जारी नहीं कर सकते हैं. फिलहाल आज होने वाली सुनवाई की टाइमिंग का भी बड़ा अहम रोल है. हाईकोर्ट में खंडपीठ दोपहर एक बजे सुनवाई कर सकती है. उधर विधानसभा अध्यक्ष कार्यालय ने विधायकों को दोपहर एक बजे तक ही नोटिस का जवाब देने को कहा है. अगर हाईकोर्ट में सुनवाई के पहले ही विधानसभा अध्यक्ष असंतुष्ट होकर विधायकों की सदस्यता रद्द कर देते हैं तो सचिन पायलट के लिए यह मामला और पेचीदा हो जाएगा और फिर उन्हें सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ सकता है.
गुरुवार को क्या हुआ
गुरुवार को करीब तीन बजे न्यायमूर्ति सतीश चन्द्र शर्मा ने सुनवाई की थी. लेकिन, बागी खेमे के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने नए सिरे से याचिका दाखिल करने के लिए समय मांगा. शाम करीब पांच बजे असंतुष्ट खेमे ने संशोधित याचिका दाखिल की और अदालत ने इसे दो न्यायाधीशों की पीठ की नियुक्ति के लिए मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत मोहंती को भेज दिया. कांग्रेस के मुख्य सचेतक महेश जोशी के वकील ने कहा था कि शाम करीब साढ़े सात बजे मामले में सुनवाई होगी लेकिन पीठ सुनवाई के लिए नहीं बैठी. वकील ने कहा कि अब सुनवाई शुक्रवार के लिए टल गई है. दोनों पक्षों की ओर से अदालत में जानेमाने अधिवक्ता पेश हुए थे.
किसकी ओर से कौन वकील
विधानसभा अध्यक्ष के कार्यालय की ओर से कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी अदालत में पेश हुए थे. वहीं अतीत में भाजपा नीत केन्द्र सरकार की पैरवी कर चुके हरीश साल्वे और मुकुल रोहतगी पायलट खेमे की ओर से अदालत आए थे. विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर असंतुष्ट कांग्रेस विधायकों को अयोग्य करार देने की मांग करने वाले कांग्रेस के मुख्य सचेतक महेश जोशी ने भी अदालत का दरवाजा खटखटाया और किसी आदेश को जारी करने से पहले अपना पक्ष सुने जाने की मांग क.
क्या है पायलट खेमे की दलील
कांग्रेस ने विधानसभा अध्यक्ष से शिकायत की गई थी कि विधायकों ने कांग्रेस विधायक दल की सोमवार और मंगलवार को हुई दो बैठकों में भाग लेने के लिए जारी पार्टी के व्हिप की अवमानना की है. हालांकि पायलट खेमे की दलील है कि पार्टी का व्हिप सिर्फ तभी लागू होता है जब विधानसभा का सत्र चल रहा हो.
संविधान की दसवीं अनुसूची के पैराग्राफ 2(1)(ए)
विधानसभा अध्यक्ष को भेजी गयी शिकायत में कांग्रेस ने पायलट और अन्य बागी विधायकों के खिलाफ संविधान की दसवीं अनुसूची के पैराग्राफ 2(1)(ए) के तहत कार्रवाई करने की मांग की है. इस प्रावधान के तहत अगर कोई विधायक अपनी मर्जी से उस पार्टी की सदस्यता छोड़ता है, जिसका वह प्रतिनिधि बनकर विधानसभा में पहुंचा है तो वह सदन की सदस्यता के लिए अयोग्य हो जाता है.
किन विधायकों को भेजा गया है नोटिस
दिन में सुनवाई के दौरान अधिवक्ता हरीश साल्वे ने दलील दी थी कि विधायक नोटिस की संवैधानिक वैधता को चुनौती देना चाहते हैं और उन्हें नए सिरे से अर्जी देने के लिए कुछ समय चाहिए. जिन लोगों को नोटिस भेजा गया है उनमें विश्वेन्द्र सिंह और रमेश मीणा भी हैं. अशोक गहलोत के खिलाफ बगावत को लेकर सचिन पायलट के साथ इन्हें भी कैबिनेट से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था. नोटिस पाने वाले अन्य विधायकों में दीपेन्द्र सिंह शेखावत, भंवरलाल शर्मा और हरीश चन्द्र मीणा भी शामिल हैं. इन्होंने भी गहलोत सरकार को चुनौती देते हुए मीडिया में बयान दिए थे. साल 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस द्वारा अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद से ही सचिन पायलट नाराज चल रहे थे.
क्या है विधानसभा की दलीय स्थिति
राजस्थान की 200 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के पास 107 और भाजपा के पास 72 विधायक हैं. यदि 19 बागी विधायकों को अयोग्य करार दिया जाता है तो राज्य विधानसभा की मौजूदा प्रभावी संख्या घटकर 181 हो जाएगी, जिससे बहुमत का जादुई आंकड़ा 91 पर पहुंच जाएगा और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लिए बहुमत कायम रखना आसान होगा. (इनपुट भाषा से भी)
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