कोटा में बच्चों की मौत पर बोले उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट- 13 महीने हो गए शासन करते अब पुरानी सरकार....

राजस्थान के कोटा में जेके लोन अस्पताल में हुए नवजात शिशुओं के मौत को लेकर सीएम गहलोत की मुश्किलें और बढ़ती ही नजर आ रही हैं.

कोटा में बच्चों की मौत पर बोले उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट- 13 महीने हो गए शासन करते अब पुरानी सरकार....

कोटा में बच्चों की मौत पर सचिन पायलट ने कहा जवाबदेही तय होनी चाहिए

खास बातें

  • गहलोत सरकार पर हमलावर हुए उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट
  • कहा- पिछली सरकारों से तुलना करना बेकार
  • जवाबदेही तय होनी चाहिए: उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट
नई दिल्ली:

राजस्थान के कोटा में जेके लोन अस्पताल में हुए नवजात शिशुओं के मौत को लेकर सीएम गहलोत की मुश्किलें और बढ़ती ही नजर आ रही हैं. अब तक विपक्ष के हमलों का जवाब दे रहे गहलोत पर अपनी ही सरकार के उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने सवाल उठाए हैं. राजस्थान के कोटा में बच्चों की लगातार हो रही मौत पर सचिन पायलट ने कहा है कि मुझे लगता है कि हमें इस मुद्दे और ज्यादा संवेदनशील होने की जरूरत है. सचिन पायलत ने कहा कि सत्ता में आए हमें 13 महीनों का वक्त हो चुका है और मुझे नहीं लगता है कि अब पुरानी सरकार पर दोष डालने का कोई मतलब नहीं है. जवाबदेही तय होनी चाहिए.

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सचिन पायलट का यह बयान अपनी ही सरकार के लिए मुसीबत बन सकता है. चूंकि इस पूरे मामले पर सीएम गहलोत के बयान विवादित रहे हैं जिन्हें विपक्ष गैरजिम्मेदार करार देता रहा है. ऐसे में सचिन पायलट का यह बयान विपक्ष को और आक्रामक रुख अख्तियार करने का मौका देगा. यह पहला मौका नहीं है जब गहलोत और पायलट के बीच की अनबन सामने आई हो, इससे पहले यह तनातनी राजस्थान में मुख्यमंत्री पद को लेकर सामने आई थी. ऐसा कहा जाता है कि पायलट खुद को सीएम का दावेदार मान रहे थे लेकिन ऐसा नहीं होने से पायलट व उनके समर्थक नाराज हो गए थे. जिन्हें बाद में पार्टी के सीनियर नेताओं के हस्तक्षेप के बाद मनाया गया था.

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राजस्थान सरकार (Rajasthan Government) ने अपनी रिपोर्ट में स्वीकार किया कि अस्पताल में नवजात शिशुओं के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले कुछ इनक्यूबेटर ठीक से काम करने की स्थिति में नहीं थे. इस मामले पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने ट्वीट कर कहा कि 'कोटा के जेके लोन अस्पताल में बच्चों की मौत के बारे में सरकारी आंकड़े बताते हैं कि इस साल 963 बच्चों की मौत हुई है, जबकि साल 2015 में 1260 बच्चों ने जान गंवाई थी. वहीं, 2016 में यह आंकड़ा 1193 था, जब राज्य में बीजेपी का शासन था. वहीं, 2018 में 1005 बच्चों की जान गई है.

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