कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस पार्टी के उपाध्यक्ष राहुल गांधी से संबंधित एक केस की सुनवाई करते हुए आपराधिक मानहानि के मामले में की प्रक्रिया पर ही सवाल उठाए हैं।
कोर्ट ने इस पूरे प्रकरण की खामियों को उजागर करते हुए कहा कि आपराधिक मानहानि के मामले में न पुलिस एफआईआर दर्ज कर करती है और न ही मजिस्ट्रेट किसी भी तरह से पुलिस की कोई रिपोर्ट मांग सकता है और न ही जांच करने को कह सकता है। कोर्ट ने कहा कि कानून X और Y के मामले में अलग-अलग नहीं हो सकता। कोर्ट ने पूछा कि इस केस में मजिस्ट्रेट ने कैसे पुलिस से रिपोर्ट मांगी?
हालांकि महाराष्ट्र सरकार की ओर से तुषार मेहता ने दलील दी कि कानूनन मजिस्ट्रेट ऐसे मामलों में पुलिस को जांच के लिए कह सकते हैं। राहुल की ओर से कपिल सिब्बल ने महाराष्ट्र सरकार के वकील को कहा कि ये प्राइवेट शिकायत है, इसमें सरकार का कोई काम नहीं है। अगली सुनवाई 23 अगस्त को होगी।
महात्मा गांधी की हत्या में आरएसएस के लोगों का हाथ बताने वाले बयान पर राहुल गांधी के खिलाफ आपराधिक मानहानि के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है।
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि नाथूराम गोडसे ने गांधी जी को मारा, RSS के लोगों ने गांधी जी को मारा, इन दोनों बातों में बहुत फर्क है। जब आप किसी व्यक्ति विशेष के बारे में बोलते हैं तो सतर्क रहना चाहिए। आप किसी की सामूहिक निंदा नहीं कर सकते। हम सिर्फ ये जांच कर रहे हैं कि राहुल गांधी ने जो बयान दिए क्या वो मानहानि के दायरे में हैं या नहीं। हालांकि कोर्ट ने कहा था कि आपको केस में ट्रायल फेस करना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की याचिका पर सुनवाई कर रहा है। राहुल गांधी ने अपने खिलाफ महाराष्ट्र की एक निचली अदालत चल रहे आपराधिक मानहानि से जुड़े एक मामले को रद्द करने की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट ने निचली कोर्ट के समन पर रोक लगा रखी है। इससे पहले वो कोर्ट के माफी मांगने के प्रस्ताव को ठुकरा चुके हैं। राहुल की ओर से दलील दी गई कि उन्होंने जो कहा वो महात्मा गांधी की हत्या के ट्रायल पर आधारित है।
दरअसल 2014 में महात्मा गांधी की हत्या का आरोप कथित रूप से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर लगाने के संबंध में राहुल के खिलाफ मानहानि का यह मामला दाखिल किया गया था।
संघ की भिवंडी इकाई के सचिव राजेश कुंटे ने आरोप लगाया था कि राहुल ने सोनाले में 6 मार्च 2014 को एक चुनावी रैली में कहा था कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने गांधी जी की हत्या की। कुंटे ने कहा है कि कांग्रेस के नेता ने अपने भाषण के जरिए संघ की प्रतिष्ठा को चोट पहुंचाने की कोशिश की।
गौरतलब है कि भिवंडी की कोर्ट ने मामले में पुलिस से जांच रिपोर्ट मांगी थी। इसी मुद्दे पर सवाल उठाते हुए जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि आपराधिक मानहानि के कानून को बरकरार रखने के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया था कि पुलिस का कोई रोल नहीं होगा। केस में सारी जिम्मेदारी मजिस्ट्रेट की होगी। कोर्ट इस मामले को फिर मजिस्ट्रेट के पास भेज सकता है।
कोर्ट ने इस पूरे प्रकरण की खामियों को उजागर करते हुए कहा कि आपराधिक मानहानि के मामले में न पुलिस एफआईआर दर्ज कर करती है और न ही मजिस्ट्रेट किसी भी तरह से पुलिस की कोई रिपोर्ट मांग सकता है और न ही जांच करने को कह सकता है। कोर्ट ने कहा कि कानून X और Y के मामले में अलग-अलग नहीं हो सकता। कोर्ट ने पूछा कि इस केस में मजिस्ट्रेट ने कैसे पुलिस से रिपोर्ट मांगी?
हालांकि महाराष्ट्र सरकार की ओर से तुषार मेहता ने दलील दी कि कानूनन मजिस्ट्रेट ऐसे मामलों में पुलिस को जांच के लिए कह सकते हैं। राहुल की ओर से कपिल सिब्बल ने महाराष्ट्र सरकार के वकील को कहा कि ये प्राइवेट शिकायत है, इसमें सरकार का कोई काम नहीं है। अगली सुनवाई 23 अगस्त को होगी।
महात्मा गांधी की हत्या में आरएसएस के लोगों का हाथ बताने वाले बयान पर राहुल गांधी के खिलाफ आपराधिक मानहानि के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है।
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि नाथूराम गोडसे ने गांधी जी को मारा, RSS के लोगों ने गांधी जी को मारा, इन दोनों बातों में बहुत फर्क है। जब आप किसी व्यक्ति विशेष के बारे में बोलते हैं तो सतर्क रहना चाहिए। आप किसी की सामूहिक निंदा नहीं कर सकते। हम सिर्फ ये जांच कर रहे हैं कि राहुल गांधी ने जो बयान दिए क्या वो मानहानि के दायरे में हैं या नहीं। हालांकि कोर्ट ने कहा था कि आपको केस में ट्रायल फेस करना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की याचिका पर सुनवाई कर रहा है। राहुल गांधी ने अपने खिलाफ महाराष्ट्र की एक निचली अदालत चल रहे आपराधिक मानहानि से जुड़े एक मामले को रद्द करने की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट ने निचली कोर्ट के समन पर रोक लगा रखी है। इससे पहले वो कोर्ट के माफी मांगने के प्रस्ताव को ठुकरा चुके हैं। राहुल की ओर से दलील दी गई कि उन्होंने जो कहा वो महात्मा गांधी की हत्या के ट्रायल पर आधारित है।
दरअसल 2014 में महात्मा गांधी की हत्या का आरोप कथित रूप से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर लगाने के संबंध में राहुल के खिलाफ मानहानि का यह मामला दाखिल किया गया था।
संघ की भिवंडी इकाई के सचिव राजेश कुंटे ने आरोप लगाया था कि राहुल ने सोनाले में 6 मार्च 2014 को एक चुनावी रैली में कहा था कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने गांधी जी की हत्या की। कुंटे ने कहा है कि कांग्रेस के नेता ने अपने भाषण के जरिए संघ की प्रतिष्ठा को चोट पहुंचाने की कोशिश की।
गौरतलब है कि भिवंडी की कोर्ट ने मामले में पुलिस से जांच रिपोर्ट मांगी थी। इसी मुद्दे पर सवाल उठाते हुए जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि आपराधिक मानहानि के कानून को बरकरार रखने के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया था कि पुलिस का कोई रोल नहीं होगा। केस में सारी जिम्मेदारी मजिस्ट्रेट की होगी। कोर्ट इस मामले को फिर मजिस्ट्रेट के पास भेज सकता है।
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