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This Article is From Jan 08, 2019

आर्थिक आधार पर आरक्षण : पर्दे के पीछे का पूरा खेल, कैसे हुआ फैसला और इसमें क्या है कांग्रेस का हाथ

केंद्रीय कैबिनेट ने सोमवार को इस संशोधन को मंज़ूरी दी थी. माना जा रहा है कि सरकार ने ये क़दम बीजेपी से नाराज़ चल रहे सवर्णों के एक बड़े धड़े को लुभाने के लिए उठाया है.

आर्थिक आधार पर आरक्षण : पर्दे के पीछे का पूरा खेल, कैसे हुआ फैसला और इसमें क्या है कांग्रेस का हाथ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी.(फाइल तस्वीर)
नई दिल्ली:

लोकसभा चुनाव (Loksabha Election) से पहले मोदी सरकार (Modi Govt) ने बड़ा मास्टरस्ट्रोक खेला है. आर्थिक तौर पर कमजोर सवर्णो (Quota For Economically Weak) को सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण देने का फ़ैसला किया है. इसके लिए सरकार ने आज लोकसभा (Loksabha) में संविधान संशोधन बिल पेश किया. गरीब सवर्णों के लिए 10 फ़ीसदी का यह आरक्षण 50 फ़ीसदी की सीमा से अलग होगा.

केंद्रीय कैबिनेट ने सोमवार को इस संशोधन को मंज़ूरी दी थी. माना जा रहा है कि सरकार ने ये क़दम बीजेपी से नाराज़ चल रहे सवर्णों के एक बड़े धड़े को लुभाने के लिए उठाया है. अब हम बताने जा रहे हैं पर्दे के पीछे का पूरा खेल, कैसे हुआ फैसला और इसमें क्या है कांग्रेस का हाथ?

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तीन दिन पहले बना नोट
आर्थिक आधार पर आरक्षण का कैबिनेट नोट तीन दिन पहले तैयार किया गया था. कैबिनेट नोट की खबर लीक न हो, इसके लिए सरकार ने इसे कैबिनेट के एजेंडे में सबसे आखिर में जोड़ा था. सोमवार को इस फैसले के लिए खास तौर पर कैबिनेट की बैठक बुलाई गई. नोट तैयार करते हुए यूपीए के वक्त बनी सिन्हो कमेटी की रिपोर्ट को ध्यान में रखा गया. मोदी सरकार ने आर्थिक आधार पर आरक्षण के बारे में पिछले साल जुलाई महीने में सोचा था. 

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सर्वणों को लुभाने की चाल
भारतीय जनता पार्टी को उस वक्त ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा देने वाले संविधान संशोधन के पारित होने से फायदा मिलने की उम्मीद थी. भाजपा को लगा था कि तीन राज्यों में ओबीसी और एससी-एसटी एक्ट पर उठाए गए कदमों का फायदा मिलेगा. लेकिन भाजपा को सवर्णों की नाराजगी का अंदाजा नहीं था. भाजपा को तीन राज्यों के नतीजों के बाद लगा कि सवर्णों को साथ लेकर चलना जरूरी है. 

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संविधान संशोधन के पीछे चाल
मोदी सरकार को उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट इस पर रोक नहीं लगाएगी. सरकार ने न्यायिक हस्तक्षेप की संभावना के मद्देनज़र ही संविधान संशोधन करने का फैसला किया है. सरकार को उम्मीद है कि संविधान में प्रावधान होने की वजह से अदालत इस पर रोक नहीं लगाएगी.

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बता दें, केंद्रीय कैबिनेट ने आर्थिक आरक्षण के बिल को सोमवार को हुई बैठक में मंजूरी दी थी. इसके बाद मंगलवार को लोकसभा में पेश किया गया. कांग्रेस, सपा और बसपा सहित कई विपक्षी दलों ने इस बिल का समर्थन किया है. संसद का शीतकालीन सत्र आठ जनवरी को खत्म हो रहा था. लेकिन राज्यसभा की कार्यवाही एक दिन के लिए बढ़ा दी गई है. अंदाजा लगाया जा रहा है कि राज्यसभा की कार्यवाही बढ़ाने के पीछे का मकसद इस बिल को पास करना है.

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किसे मिलेगा लाभ

  1. सालाना 8 लाख आमदनी या 5 एकड़ से कम खेती वाले सामान्य वर्ग को भी आरक्षण सुविधा दी जाए. 
  2. आरक्षण बिल अगर पास हो गया तो इसका लाभ लाभ ब्राह्मण, राजपूत (ठाकुर), जाट, मराठा, भूमिहार, कई व्यापारिक जातियों, कापू और कम्मा सहित कई अन्य अगड़ी जातियों को मिलेगा.    
  3. इसके अलावा गरीब ईसाइयों और मुस्लिमों को भी आरक्षण का लाभ मिलेगा.
  4. आरक्षण का लाभ लेने के लिए नगर निकाय क्षेत्र में 1000 वर्ग फुट या इससे ज्यादा क्षेत्रफल का फ्लैट नहीं होना चाहिए और गैर-अधिसूचित क्षेत्रों में 200 यार्ड से ज्यादा का फ्लैट नहीं होना चाहिए. 
  5. आरक्षण का लाभ लेने के लिए जाति प्रमाणपत्र और आय प्रमाण पत्र भी देना होगा.

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