कांग्रेस ने पंजाब में नेतृत्व परिवर्तन की किसी भी संभावना से साफ इनकार किया है. गौरतलब है कि पंजाब उन तीन राज्यों में से है, जहां कांग्रेस पार्टी सत्ता पर काबिज है. राज्य में अगले वर्ष विधानसभा होने हैं लेकिन सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह (Amarinder Singh) के खिलाफ पिछले कुछ समय से असंतोष के सुर उठ रहे हैं जिसका समाधान तलाशने की पार्टी कोशिश में जुटी है. पार्टी की तीन सदस्यीय समिति के सदस्य और वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरीश रावत (Harish Rawat) ने 28 लोगों, जिसमें 25 बागी विधायक भी शामिल हैं, से मुलाकात करने के बाद सोमवार रात को संवाददाताओं से कहा कि उन्हें कई चिंताओं से अवगत कराया गया, इसमें वर्ष 2015 के गुरु ग्रंथ साहिब का 'अनादर' मामला और पुलिस फायरिंग के दोषियों पर कार्रवाई न होना शामिल है.
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रावत ने यह भी कहा कि विधायकों की कैप्टन अमरिंदर सिंह से बहुत उम्मीदें हैं, ऐसे में नाराजगी है. रावत ने कहा, 'हमारे नेताओं ने बताया है कि वे अपने विधानसभा क्षेत्र का विकास करना चाहते हैं. उन्हें कुछ फंड दिया गया है लेकिन वे और चाहते हैं. यह विधायकों की बहुत कुछ 'दिल मांगे मोर' जैसी स्थिति है.' उन्होंने कहा कि समिति अन्य मामलों का भी समाधान तलाशने की कोशिश करेगी.
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सूत्रों ने NDTV से बातचीत में इस बात की पुष्टि की कि संकट दूर करने के लिए समिति दो उप मुख्यमंत्रियों की नियुक्ति की सिफारिश कर सकती है, इसमें से एक दलित समाज से हो. पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी की ओर से नियुक्त इस समिति का अमृतसर ईस्ट के विधायक और पंजाब के पूर्व मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू से भी मिलने का कार्यक्रम है. सिद्धू को पार्टी में अमरिंदर सिंह का प्रमुख विरोधी माना जाता है. समिति जालंधन के विधायक और पूर्व इंटरनेशनल हॉकी खिलाड़ी परगट सिंह से भी मिलेगी. परगट ने अमरिंदर के सहयोगी पर उन्हें धमकी देने का आरोप लगाया था. इस बीच, सीएम अमरिंदर ने मंगलवार सुबह एक बयान जारी किया जिसमें कहा गया है कि उनकी सरकार, 2022 के विधानसभा चुनाव में जाने के पहले, अपने सभी चुनावी वादे पूरे करेगी.
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