हैदराबाद के सरकारी अस्पताल में हवन कराया गया.
हैदराबाद:
तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद के एक सरकारी अस्पताल के प्रसूति वार्ड में सोमवार को हवन कराया गया है. इस हवन का आयोजन वरिष्ठ डॉक्टर और कर्मचारियों ने मिलकर कराया था. अस्पताल प्रशासन का कहना है कि पिछले कुछ समय से इस सरकारी अस्पताल के प्रसूति वार्ड में लगातार मौतें हो रहीं थीं. गर्भवति महिलाओं और नवजातों के कल्याण के लिए हवन कराया गया. करीब 150 साल पहले इस गांधी अस्पताल को तीन वार्ड के साथ शुरू किया गया था. आज यह 1800 बिस्तरों वाला अस्पताल है. यहां मेडिकल कॉलेज भी है. आंध्र प्रदेश का यह पहला ऐसा अस्पताल है, जहां ओपन हार्ट सर्जरी हुई थी.
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दो-तीन महीने पहले तक यहां के प्रसूति विभाग में रोजाना 25-30 डिलिवरी कराई जाती थी, अब यह संख्या करीब दोगुनी हो गई है. डिलिवरी के लिए यहां आने वालों की संख्या में बढ़ोत्तरी के पीछे तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) की 'केसीआर किट्स (KCR Kits)' योजना है. इस योजना के तहत सरकारी अस्पतालों में डिलिवरी करवाने पर मां और नवजात को नकदी के साथ कई तरह तरह के जरूरी सामान दिए जाते हैं. ऐसी ही योजना तमिलनाडु में मुख्यमंत्री रहते हुए जयललिता लेकर आई थीं.
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हाल के सप्ताह में यहां गांधी अस्पताल में डिलिवरी के दौरान करीब जच्चा बच्चा की मौत हुई है. इन मौतों पर गांधी अस्पताल के उप अधीक्षक एन नरसिम्हा राव ने कहा, 'हमारे यहां ज्यादातर गंभीर मामले सामने आते हैं, हम उन्हें डिलिवरी के लिए मना नहीं कर सकते, इसी वजह से मौतें हो रही हैं.'
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प्रसूति वार्ड में करीब चार घंटे तक महामृत्युंजय हवन कराया गया. हवन में शामिल होने वाले डॉक्टर ने कहा कि हवन से मां और नवजात को दैवीय आशीर्वाद प्राप्त होगा.
इस मामले में उप अधीक्षक एन नरसिम्हा राव ने कहा कि इस मामले की जांच कराई जाएगी. साथ ही जो भी दोषी पाया जाएगा उसपर कार्रवाई की जाएगी. वहीं पसूति विभाग की प्रमुख डॉक्टर हरि अनुपमा ने कहा कि इस हवन का आयोजन सरकार की ओर से नहीं किया गया था. कुछ नर्सों और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों ने मिलकर हवन कराया था. इसका खर्च उन्होंने स्वेच्छा दान से जमा किया था.
वीडियो: अस्पताल में बीमार पति को घसीटकर ले जाने को मजबूर हुई महिला
मालूम हो कि साल 2015 में सूखे से जूझ रहे किसानों को राहत देने के लिए राज्य के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने पांच दिन तक पूजा कराया था. इसमें 1100 पुजारी शामिल हुए थे और करीब 7 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे. इस घटना का विपक्ष ने काफी निंदा की थी.
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दो-तीन महीने पहले तक यहां के प्रसूति विभाग में रोजाना 25-30 डिलिवरी कराई जाती थी, अब यह संख्या करीब दोगुनी हो गई है. डिलिवरी के लिए यहां आने वालों की संख्या में बढ़ोत्तरी के पीछे तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) की 'केसीआर किट्स (KCR Kits)' योजना है. इस योजना के तहत सरकारी अस्पतालों में डिलिवरी करवाने पर मां और नवजात को नकदी के साथ कई तरह तरह के जरूरी सामान दिए जाते हैं. ऐसी ही योजना तमिलनाडु में मुख्यमंत्री रहते हुए जयललिता लेकर आई थीं.
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हाल के सप्ताह में यहां गांधी अस्पताल में डिलिवरी के दौरान करीब जच्चा बच्चा की मौत हुई है. इन मौतों पर गांधी अस्पताल के उप अधीक्षक एन नरसिम्हा राव ने कहा, 'हमारे यहां ज्यादातर गंभीर मामले सामने आते हैं, हम उन्हें डिलिवरी के लिए मना नहीं कर सकते, इसी वजह से मौतें हो रही हैं.'
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प्रसूति वार्ड में करीब चार घंटे तक महामृत्युंजय हवन कराया गया. हवन में शामिल होने वाले डॉक्टर ने कहा कि हवन से मां और नवजात को दैवीय आशीर्वाद प्राप्त होगा.
इस मामले में उप अधीक्षक एन नरसिम्हा राव ने कहा कि इस मामले की जांच कराई जाएगी. साथ ही जो भी दोषी पाया जाएगा उसपर कार्रवाई की जाएगी. वहीं पसूति विभाग की प्रमुख डॉक्टर हरि अनुपमा ने कहा कि इस हवन का आयोजन सरकार की ओर से नहीं किया गया था. कुछ नर्सों और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों ने मिलकर हवन कराया था. इसका खर्च उन्होंने स्वेच्छा दान से जमा किया था.
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मालूम हो कि साल 2015 में सूखे से जूझ रहे किसानों को राहत देने के लिए राज्य के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने पांच दिन तक पूजा कराया था. इसमें 1100 पुजारी शामिल हुए थे और करीब 7 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे. इस घटना का विपक्ष ने काफी निंदा की थी.
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