केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह (फाइल फोटो).
नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को लेकर बिहार सरकार और केन्द्र सरकार आमने-सामने आ गई हैं. मंगलवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मांग की कि इस योजना का नाम बदला जाए. इस पर बुधवार को कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने कहा कि नीतीश कुमार एक संवेदनशील मसले पर राजनीति कर रहे हैं.
दरअसल मंगलवार को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना पर नीतीश कुमार ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि "प्रधानमंत्री-मुख्यमंत्री किसान फसल बीमा योजना कर देना चाहिए. क्योंकि इस योजना के तहत तीनों को प्रीमियम देना है." बिहार के मुख्यमंत्री बीमा योजना के नाम और मसौदा दोनों को ही लेकर बेहद नाराज हैं. उनकी नाराजगी इस बात को लेकर ज्यादा है कि जब इस योजना के लिए केंद्र और राज्य दोनों को बराबर फंड देना है तो फिर इसका नाम प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना क्यों है.
नीतीश के बयान पर केंद्र सरकार ने तीखा जवाब दिया. बुधवार को कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने कहा, "बिहार कैबिनेट ने संकल्प लिया था इसे लागू करने के लिए...बैंकर्स से बैठक भी हुई...अब वे योजना का नाम बदलने की मांग कर रहे हैं. वे कह रहे हैं 50%-50% फंडिंग से उन पर वित्तीय बोझ बढ़ेगा. हमारी नज़र में ऐसा करना किसान विरोधी होगा."
कृषि मंत्री का आरोप है कि 2014-15 में किसानों का कुल दावा 761.96 करोड़ का था, जिसका आधा केंद्र ने दिया लेकिन राज्य सरकार ने अब तक बकाया किसानों को नहीं चुकाया है. उन्होंने यह भी कहा कि यूपी, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु जैसे राज्यों में भी इसे लागू किया जा रहा है. लेकिन बिहार सरकार इस पर राजनीति कर रही है.
इस पर बिहार सरकार ने जवाब देने में जरा भी देरी नहीं की. बिहार के सहकारिता मंत्री आलोक मेहता ने कहा, "नीतीश कुमार ने पिछले कई महीनों से इस योजना की डिजाइन पर कई सवाल खड़े किए हैं. लेकिन केंद्र सरकार ने इन सवालों के नज़रअंदाज़ कर दिया."
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसानों को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए लागू की जा रही है, लेकिन जिस तरह से इस पर राजनीति हो रही है उससे सबसे ज्यादा नुकसान किसानों को ही होगा.
दरअसल मंगलवार को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना पर नीतीश कुमार ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि "प्रधानमंत्री-मुख्यमंत्री किसान फसल बीमा योजना कर देना चाहिए. क्योंकि इस योजना के तहत तीनों को प्रीमियम देना है." बिहार के मुख्यमंत्री बीमा योजना के नाम और मसौदा दोनों को ही लेकर बेहद नाराज हैं. उनकी नाराजगी इस बात को लेकर ज्यादा है कि जब इस योजना के लिए केंद्र और राज्य दोनों को बराबर फंड देना है तो फिर इसका नाम प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना क्यों है.
नीतीश के बयान पर केंद्र सरकार ने तीखा जवाब दिया. बुधवार को कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने कहा, "बिहार कैबिनेट ने संकल्प लिया था इसे लागू करने के लिए...बैंकर्स से बैठक भी हुई...अब वे योजना का नाम बदलने की मांग कर रहे हैं. वे कह रहे हैं 50%-50% फंडिंग से उन पर वित्तीय बोझ बढ़ेगा. हमारी नज़र में ऐसा करना किसान विरोधी होगा."
कृषि मंत्री का आरोप है कि 2014-15 में किसानों का कुल दावा 761.96 करोड़ का था, जिसका आधा केंद्र ने दिया लेकिन राज्य सरकार ने अब तक बकाया किसानों को नहीं चुकाया है. उन्होंने यह भी कहा कि यूपी, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु जैसे राज्यों में भी इसे लागू किया जा रहा है. लेकिन बिहार सरकार इस पर राजनीति कर रही है.
इस पर बिहार सरकार ने जवाब देने में जरा भी देरी नहीं की. बिहार के सहकारिता मंत्री आलोक मेहता ने कहा, "नीतीश कुमार ने पिछले कई महीनों से इस योजना की डिजाइन पर कई सवाल खड़े किए हैं. लेकिन केंद्र सरकार ने इन सवालों के नज़रअंदाज़ कर दिया."
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसानों को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए लागू की जा रही है, लेकिन जिस तरह से इस पर राजनीति हो रही है उससे सबसे ज्यादा नुकसान किसानों को ही होगा.
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