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नई दिल्ली: निजी क्षेत्र के शैक्षणिक संस्थाओं में सामान्य वर्ग के आर्थिक तौर पर कमज़ोर छात्रों को आरक्षण की सुविधा मुहैया कराने के लिए सरकार दो हफ्ते बाद शुरू हो रहे संसद के सत्र में एक नया बिल लाने पर विचार कर रही है, लेकिन चुनावों से पहले शुरू किए इस पहल पर विपक्षी दल सरकार पर राजनीति करने का आरोप लगा रहे हैं. 31 जनवरी से शुरू हो रहे संसद के सत्र में सरकार अब प्राइवेट शैक्षणिक संस्थानों में 10 फीसदी आरक्षण की व्यव्स्था बहाल करने के लिए नया बिल ला सकती है. इस प्रस्ताव पर सरकार की मंशा को लेकर फिर राजनीति शुरू हो गई है.
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निजी क्षेत्र के शैक्षणिक संस्थाओं में सामान्य वर्ग के आर्थिक तौर पर कमज़ोर छात्रों को आरक्षण देने का प्रस्ताव पेचीदा है. सरकार को इस प्रस्ताव पर आगे बढ़ने से पहले इस सेक्टर के प्रतिनिधियों से भी सलाह-मश्विरा करना होगा. उधर सरकार के इस प्रस्ताव पर राजनीति शुरू हो गई है.
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लोक सभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने बुधवार को प्रकाश जावड़ेकर की पहल को चुनावी जुमला करार दिया. लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, 'प्रकाश जावड़ेकर का बयान एक जुमला है. ये चुनावी फायदे के लिए लाया जा रहा है.' जबकि आरजेडी खुल कर इसके विरोध में खड़ी हो गई है.
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आरजेडी प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद मनोज झा ने कहा, ये संवैधानिक और कानूनी तौर पर तर्कसंगत नहीं होगा. सरकार ने बिना किसी स्टडी के ये फैसला कैसे कर लिया. उधर निजी संस्थानों ने सरकार की इस पहल को लागू करने के तौर-तरीके की समीक्षा शुरू कर दी है. अब देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार अगले 2 हफ्ते में इस प्रस्ताव पर आगे बढ़ने के लिए क्या रणनीति अख्तियार करती है.