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This Article is From Aug 21, 2018

केरल में बाढ़ राहत के नाम पर सियासी खींचतान...

सदी की सबसे बड़ी त्रासदी झेल रहे केरल में राहत को लेकर भी पहली नजर में केंद्र और राज्य सरकार के बीच बेहतर तालमेल नज़र आता है.

केरल में बाढ़ राहत के नाम पर सियासी खींचतान...
नई दिल्‍ली: कर्नाटक सरकार में मंत्री और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के बेटे एचडी रेवन्ना का एक बाढ़ राहत बांटते हुए एक वीडियो वायरल हो गया है जिसमें वो हसन ज़िले में बाढ़ पीड़ितों को बिस्किट पैकेट फेंकते नज़र आ रहे हैं. अब इसको लेकर विवाद खड़ा हो गया है. सोशल मीडिया में रेवन्ना को असंवेदनशील बताया गया है. हालांकि मुख्यमंत्री एच डी कुमारास्वामी ने अपने भाई का बचाव करते हुए कहा है कि वहां जगह की कमी थी इसलिए रेवन्ना को पैकेट फेंकने पड़े.

उधर सदी की सबसे बड़ी त्रासदी झेल रहे केरल में राहत को लेकर भी पहली नजर में केंद्र और राज्य सरकार के बीच बेहतर तालमेल नज़र आता है. केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन और केन्द्रीय पर्यटन मंत्री केजे अल्फ़ोंस दोनों ने बयान दिया है कि केन्द्र सरकार और राज्य मिल कर बेहतर समन्वय के साथ राहत-बचाव के काम में जुटे हैं.

लेकिन परदे के पीछे और सोशल मीडिया पर श्रेय लेने की खासी खींचतान मची है. सत्ताधारी सीपीएम ने अपने धुर विरोधी रहे संघ पर आरोप लगाया है कि वे ऐसी गलत खबरें फैला रहे हैं कि सेना को केरल में काम करने नहीं दिया जा रहा है. सीपीएम नेता एमबी राजेश ने एनडीटीवी से कहा, "ऑनलाइन पोर्टल पर हेट कैम्पन चल रहे हैं. आरएसएस के जाने-माने नेता और बीजेपी के समर्थक सोशल मीडिया पर केरल के लोगों को अपशब्द कह रहे हैं."

हालांकि आरएसएस नेता पीईबी मेनन ने एनडीटीवी से बातचीत में इन आरोपों को गलत बताया. उन्होंने कहा कि केरल में सक्रीय 25000 से 30,000 स्वयंसेवक राज्य के सबसे ज़्यादा बाढ़ प्रभावित इलाकों में राहत-बचाव के काम में लगे हैं. वो लोगों की जान बचाने के अलावा राहत सामग्री जमा कर रहे हैं और राहत शिविर लगा रहे हैं.

उधर केंद्र भी इन आरोपों के खंडन में लगा है कि वो आफत की इस घड़ी में केरल की मदद के लिए खड़ा नहीं है जहां विपक्षी दल की सरकार है. केंद्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने एनडीटीवी से कहा, "केरल के मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से गुज़ारिश की थी कि उन्हें 1 लाख 18 हज़ार टन चावल की तत्काल ज़रूरत है. हम उनकी मांग के मुताबिक चावल की सप्लाई कर रहे हैं. साथ ही, हमने 89,540 हज़ार टन चावल अलग से भेजने का भी फैसला किया है. हमने 100 टन दाल भी भेजा है. और हर रोज़ 80 टन दाल अलग से केरल भेजने का फैसला किया है जिससे वहां कीमतों को नियंत्रित रखा जा सके."

VIDEO: केरल में पानी घटने के बाद बीमारियों का खतरा

अब सवाल त्रासदी के इस दौर में उठती सियासत को लेकर है. जाहिर है, केंद्र खुद को बंधे हाथ नहीं दिखाना चाहता और राज्य सरकार खुद को कहीं कमजोर दिखाना नहीं चाहती.

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