केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने इस वर्ष जुलाई में वायनाड में हुए विनाशकारी भूस्खलन से प्रभावित लोगों के पुनर्वास के लिए राज्य की वित्तीय सहायता की जरूरत के प्रति ‘‘आंखें मूंदे रखने'' का केंद्र सरकार पर मंगलवार को आरोप लगाया.
विजयन ने कहा कि केंद्र ने महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, बिहार, गुजरात और असम जैसे राज्यों को बड़े पैमाने पर सहायता प्रदान की, जहां भी इस वर्ष प्राकृतिक आपदाएं आई थीं. उन्होंने सवाल किया कि क्या केरल और वहां के लोग भारत का हिस्सा नहीं हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, इस मुद्दे पर केंद्र का रुख निंदनीय और अस्वीकार्य है. हम अपनी आवश्यकताओं के साथ केंद्र सरकार से संपर्क करते रहेंगे और इस मुद्दे पर केरल के साथ किए जा रहे भेदभाव को उजागर करेंगे.''
विजयन ने कहा कि आपदा प्रभावित क्षेत्रों के पुनर्वास एवं पुनर्निर्माण के लिए केंद्रीय सहायता आवश्यक थी, लेकिन केंद्र से मदद का अभाव इस बार भी काम को आगे बढ़ने से नहीं रोक पाएगा.
केरल उच्च न्यायालय में केंद्र के हालिया हलफनामे के संबंध में कि राहत कार्य के लिए 153 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं, विजयन ने कहा कि यह एक भ्रामक बयान है.
उन्होंने कहा कि केंद्र द्वारा उल्लेखित राशि वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुसार प्रत्येक वर्ष एक राज्य को आवंटित धन का हिस्सा थी और इसे उसके लिए निर्धारित विशिष्ट दिशानिर्देशों के अनुसार खर्च किया जा सकता है. उन्होंने दावा किया, ‘‘इसलिए इसे वायनाड में आपदा प्रभावित लोगों और स्थानों के पुनर्वास के लिए खर्च नहीं किया जा सकता. इसका मतलब है कि राज्य को सहायता के रूप में एक पैसा भी नहीं दिया गया है.''
विजयन ने कहा कि भूस्खलन के कारण वायनाड के मेप्पाडी पंचायत में तीन गांव नष्ट हो जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया था और सभी प्रकार की केंद्रीय सहायता का वादा किया था.उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, कई बार याद दिलाने के बावजूद केंद्र से कोई मदद नहीं मिली है.''जुलाई में वायनाड में हुए भूस्खलन में 200 से अधिक लोगों की जान चली गई थी और हजारों संपत्तियां नष्ट हो गई थीं.
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