बेंगलुरु:
कर्नाटक के राज्यपाल वाजुभाई वला सोमवार शाम गुजरात चले गए और वो अब 27 तारीख को लौटेंगे, यानी विधानसभा से म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन अमेंडमेंट बिल-2015 पास होने के बावजूद बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका तीन हिस्सों में फिलहाल नहीं बंट पाएगी कयोंकि क़ानूनी मन्यता के लिए राज्यपाल की मंज़ूरी ज़रूरी है।
कांग्रेस की सिद्धारमैय्या सरकार 198 वार्ड्स वाली बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका को तीन हिस्सों में बांटना चाहती है, इस दलील के साथ की इससे प्रशासनिक तौर पर जनहित में फैसले तेज़ी से होंगे। लेकिन दोनों ही विपक्षी पार्टियां यानी बीजेपी और जेडीएस इसका विरोध कर रही हैं।
बीजेपी के वरिष्ठ नेता बसवराज भोमयी ने आरोप लगाया की तीन हिस्सों में बांटने के पीछे सिद्धारमैय्या का मक़सद चुनावों को टालना है। क्योंकि उन्हें अपनी पार्टी की जीत का भरोसा नहीं। दरअसल कर्नाटक हाई कोर्ट ने राज्य के चुनाव आयोग को निर्देश दिया था कि 20 मई तक चुनाव करवाए जाएं।
सोमवार को चुनावों की तारिख का ऐलान होने वाला था लेकिन इस एक दिवसीय सत्र को दैखते हुए कोर्ट ने 22 अप्रैल तक चुनावों की तारिख का ऐलान करने पर रोक लगा दी। दरअसल स्थानीय निकाय के चुनाव पिछले 5 सालों से नहीं हो पा रहे हैं। येदियुरप्पा, अनन्त कुमार और बेल्लारी के रेड्डी बंधुओं की आपसी तक़रार से बीजेपी की छवि काफी बिगड़ गयी थी, इसलिए बीजीपी ने अपने शासनकाल में इसलिए चुनाव नहीं करवाया।
वैसे भी बेंगलुरु बृहत महानगर पालिका में बीजेपी का बहुमत है। सिद्धारमैय्या सरकार के दो साल पूरे होने वाले हैं। उनके खिलाफ आवाज़ पार्टी के अंदर उठने लगी है। कांग्रेस में आए उन्हें अब एक दशक होने वाले हैं लेकिन कई स्थानीय वरिष्ठ नेता उन्हें अब भी बाहरी मानते हैं।
बिजली, पानी और खस्ताहाल सड़क से बदहाल लोग गर्मी के इस मौसम में चुनावों के दौरान अगर कांग्रेस से नाराज़गी दिखाते हैं तो ज़ाहिर है इसका ठीकरा सिद्धारमैय्या के सर ही फूटेगा। ऐसे में उनकी कुर्सी भी खतरे में आ सकती है और इसलिए वो भी चुनाव नहीं चाहते। तीन हिस्सों में बांटने की सूरत में नए सिरे से वार्ड्स का परिसीमन होगा जिसमें काफी वक़्त लगेगा क्योंकि शहर की आबादी अब एक करोड़ को पार कर चुकी है।
कांग्रेस की सिद्धारमैय्या सरकार 198 वार्ड्स वाली बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका को तीन हिस्सों में बांटना चाहती है, इस दलील के साथ की इससे प्रशासनिक तौर पर जनहित में फैसले तेज़ी से होंगे। लेकिन दोनों ही विपक्षी पार्टियां यानी बीजेपी और जेडीएस इसका विरोध कर रही हैं।
बीजेपी के वरिष्ठ नेता बसवराज भोमयी ने आरोप लगाया की तीन हिस्सों में बांटने के पीछे सिद्धारमैय्या का मक़सद चुनावों को टालना है। क्योंकि उन्हें अपनी पार्टी की जीत का भरोसा नहीं। दरअसल कर्नाटक हाई कोर्ट ने राज्य के चुनाव आयोग को निर्देश दिया था कि 20 मई तक चुनाव करवाए जाएं।
सोमवार को चुनावों की तारिख का ऐलान होने वाला था लेकिन इस एक दिवसीय सत्र को दैखते हुए कोर्ट ने 22 अप्रैल तक चुनावों की तारिख का ऐलान करने पर रोक लगा दी। दरअसल स्थानीय निकाय के चुनाव पिछले 5 सालों से नहीं हो पा रहे हैं। येदियुरप्पा, अनन्त कुमार और बेल्लारी के रेड्डी बंधुओं की आपसी तक़रार से बीजेपी की छवि काफी बिगड़ गयी थी, इसलिए बीजीपी ने अपने शासनकाल में इसलिए चुनाव नहीं करवाया।
वैसे भी बेंगलुरु बृहत महानगर पालिका में बीजेपी का बहुमत है। सिद्धारमैय्या सरकार के दो साल पूरे होने वाले हैं। उनके खिलाफ आवाज़ पार्टी के अंदर उठने लगी है। कांग्रेस में आए उन्हें अब एक दशक होने वाले हैं लेकिन कई स्थानीय वरिष्ठ नेता उन्हें अब भी बाहरी मानते हैं।
बिजली, पानी और खस्ताहाल सड़क से बदहाल लोग गर्मी के इस मौसम में चुनावों के दौरान अगर कांग्रेस से नाराज़गी दिखाते हैं तो ज़ाहिर है इसका ठीकरा सिद्धारमैय्या के सर ही फूटेगा। ऐसे में उनकी कुर्सी भी खतरे में आ सकती है और इसलिए वो भी चुनाव नहीं चाहते। तीन हिस्सों में बांटने की सूरत में नए सिरे से वार्ड्स का परिसीमन होगा जिसमें काफी वक़्त लगेगा क्योंकि शहर की आबादी अब एक करोड़ को पार कर चुकी है।
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