एयरपोर्ट पर पीएम मोदी का स्वागत करते बिहार के राज्यपाल और मुख्यमंत्री
नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज बिहार के अपने एक दिन के दौरे पर पटना विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह में शामिल हुए. पीएम मोदी के एयरपोर्ट पर पहुंचने के बाद बिहार के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने एक किताब देकर तो वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एयरपोर्ट पर गुलाब देकर उनका स्वागत किया. इस दौरान पीएम मोदी ने नीतीश कुमार से पूछा कि पटना में जो नया म्यूजियम बना है उसे क्या मैं देख सकता हूं? नीतीश कुमार ने जवाब दिया, क्यों नहीं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पटना विश्वविद्यालय में छात्रों को संबोधित करने के बाद म्यूजियम देखने गए. पीएम मोदी ने म्यूजियम देखने के लिए जो उत्सुकता दिखाई है उससे पता चलता है कि वह इस म्यूजियम को देखने की ललक कब से उनके मन में रही होगी. वैसे भी बिहार के इतिहास के बारे में अगर जानकारी लेनी है, तो पटना म्यूजियम से अच्छा कोई स्थान नहीं है. यहां एक छत के नीचे बिहार की समृद्ध विरासत की झलक देखने को मिल जाएगी.
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यह म्यूजियम कई मायनों में अनूठा और आकर्षक है. करीब पांच सौ करोड़ की लागत से बनकर तैयार हुआ यह म्यूजियम बिहार की पहचान बनने वाला है. ज्ञात हो कि यह म्यूजियम सीएम नीतीश कुमार का ड्रीम प्रोजेक्ट था और यह कई मायनों में खास है. इस म्यूजियम में 1764 ई तक का इतिहास है. यह म्यूजियम भव्यता और जानकारियों के मामले में बेहद खास है. इस म्यूजियम में जहां एक ओर बिहार में मिली हजारों साल पुराने कलाकृतियां देखने को मिलेंगी. तो दूसरी ओर भारतीय इतिहास से संबंधित कई ऐसी जानकारियां होंगी, जो लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बनेंगी. इसमें सन 1764 तक की कलाकृतियों का अवलोकन लोग कर सकेंगे. इसमें राज्य के पारंपरिक विवाह का चित्रण से लेकर छठ पूजा का विवरण, गांधी से जुड़ी पेंटिंग व म्यूजियम का इतिहास देखने को मिलेगा. म्यूजियम के सूत्रों की माने तो सम्राट चंद्रगुप्त का सिंहासन भी लोगों के लिए खास आकर्षण का केंद्र बनेगा.
VIDEO: अपने प्रयासों में कोई कमी नहीं रखूंगा: पीएम मोदी
यहां लगभग 80 हजार पुरावशेषों एवं कलाकृतियों का संग्रह है. यहां रखे पुरावशेषों का मात्र दस प्रतिशत प्रदर्शित है. शेष को रोटेशन पर प्रदर्शित किया जाता है. इसकी खासियत है कि मुगल काल में जो डिजाइन बनी, उसमें कोई बदलाव अभी तक नहीं हुआ है. जो खुद में एक इतिहास है. इसके साथ ही यहां देखने को बहुत कुछ है और हर नागरिक का यह धर्म है कि अपनी धरोहर का ध्यान रखे. शायद इन्हीं सब धरोहरों को देखने की तीव्र इच्छा पीएम नरेंद्र मोदी के मन में रही होगी तभी उन्होंने नीतीश कुमार से इस म्यूजियम को देखने की इच्छा प्रकट की.
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यह म्यूजियम कई मायनों में अनूठा और आकर्षक है. करीब पांच सौ करोड़ की लागत से बनकर तैयार हुआ यह म्यूजियम बिहार की पहचान बनने वाला है. ज्ञात हो कि यह म्यूजियम सीएम नीतीश कुमार का ड्रीम प्रोजेक्ट था और यह कई मायनों में खास है. इस म्यूजियम में 1764 ई तक का इतिहास है. यह म्यूजियम भव्यता और जानकारियों के मामले में बेहद खास है. इस म्यूजियम में जहां एक ओर बिहार में मिली हजारों साल पुराने कलाकृतियां देखने को मिलेंगी. तो दूसरी ओर भारतीय इतिहास से संबंधित कई ऐसी जानकारियां होंगी, जो लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बनेंगी. इसमें सन 1764 तक की कलाकृतियों का अवलोकन लोग कर सकेंगे. इसमें राज्य के पारंपरिक विवाह का चित्रण से लेकर छठ पूजा का विवरण, गांधी से जुड़ी पेंटिंग व म्यूजियम का इतिहास देखने को मिलेगा. म्यूजियम के सूत्रों की माने तो सम्राट चंद्रगुप्त का सिंहासन भी लोगों के लिए खास आकर्षण का केंद्र बनेगा.
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यहां लगभग 80 हजार पुरावशेषों एवं कलाकृतियों का संग्रह है. यहां रखे पुरावशेषों का मात्र दस प्रतिशत प्रदर्शित है. शेष को रोटेशन पर प्रदर्शित किया जाता है. इसकी खासियत है कि मुगल काल में जो डिजाइन बनी, उसमें कोई बदलाव अभी तक नहीं हुआ है. जो खुद में एक इतिहास है. इसके साथ ही यहां देखने को बहुत कुछ है और हर नागरिक का यह धर्म है कि अपनी धरोहर का ध्यान रखे. शायद इन्हीं सब धरोहरों को देखने की तीव्र इच्छा पीएम नरेंद्र मोदी के मन में रही होगी तभी उन्होंने नीतीश कुमार से इस म्यूजियम को देखने की इच्छा प्रकट की.
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