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This Article is From Sep 04, 2019

राजस्थान के सरकारी स्कूलों में नन्हें कंधों पर कम होगा बस्ते का बोझ, शुरू हुआ पायलट प्रोजेक्ट

एक से पांच तक की किताबों के वजन को पांच किलो 900 ग्राम से घटाकर दो किलो 200 ग्राम तक कर दिया गया है.

राजस्थान के सरकारी स्कूलों में नन्हें कंधों पर कम होगा बस्ते का बोझ, शुरू हुआ पायलट प्रोजेक्ट
राज्य के 33 जिलों में चुना गया है एक-एक स्कूल. (प्रतीकात्मक फोटो)
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Summary is AI generated, newsroom reviewed.
जयपुर के स्कूल से शुरू हुआ पायलट प्रोजेक्ट
सफल रहने पर पूरे देश में होगा लागू
घटकर करीब आधा रह गया है किताबों का वजन
जयपुर:

राजस्थान के सरकारी स्कूलों में सरकार ने बच्चों के बस्ते के बोझ को कम करने के लिए कवायद शुरू कर दी है. राज्य में शिक्षा राज्यमंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने बुधवार को राजकीय विद्यालयों में बच्चों के बस्ते का बोझ कम करने के पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत जयपुर से की है. डोटासरा ने इस संबंध में वाटिका के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम में बताया कि पाठ्यपुस्तकों का दो- तिहाई वजन कम किया गया है. अब बच्चों को वर्तमान पुस्तकों के एक तिहाई भार के रूप में अलग- अलग पुस्तकों के स्थान पर एक ही पुस्तक स्कूल लेकर जानी होगी. 

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डोटासरा ने कहा कि राजस्थान देश का पहला ऐसा राज्य है, जहां बस्ते के बोझ को कम करने के लिए यह पहल की गई है. उन्होंने बताया कि कक्षा एक के विद्यार्थियों की पुरानी किताबों का वजन 900 ग्राम था जो अब 400 ग्राम किया गया है.  इस प्रकार कक्षा एक से पांच तक की किताबों के वजन को पांच किलो 900 ग्राम से घटाकर दो किलो 200 ग्राम तक कर दिया गया है.

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शिक्षा मंत्री ने बताया कि प्रयोग के तौर पर राज्य सरकार ने प्रदेश के सभी 33 जिलों से एक-एक विद्यालय का चयन कर बस्ते के बोझ को कम करने की यह शुरुआत की है. इसके तहत कक्षा एक से पांच तक बस्ते का दो- तिहाई बोझ कम हुआ है. उन्होंने बताया कि बोझ कम करने के इस निर्णय की लगातार समीक्षा की जाएगी. अगर सफल परिणाम रहते हैं तो आने वाले समय में इसे कक्षा एक से 12 तक प्रदेशभर में लागू किया जाएगा. उन्होंने निजी विद्यालयों से भी इस तरह की शुरुआत करने की अपील की है. (इनपुट-भाषा)

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