उदीयमान सूर्य को अर्घ्य
नई दिल्ली:
बिहार सहित पूरे देश के लगभग हर कोने में मनाया जाने वाला त्योहार उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही संपन्न हो गया है. चार दिन तक चलने वाले इस इस अनुष्ठान के चौथे दिन अर्घ्य के बाद व्रतधारी ने अन्न जल ग्रहण कर 'पारण' किया. छठ पर्व के आखिरी दिन शुक्रवार बड़ी संख्या में व्रतधारी गंगा सहित घाटों, जलाशयों के किनारे पहुंचे और उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर भगवान भास्कर की पूजा-अर्चना की.
छठ पर्व की महत्ता इस बात से समझी जा सकती है कि देश-विदेश में बसे लोग भी इस त्योहार को मनाने के लिए अपने घर आते हैं. इस बात का अंदाजा आप बिहार और पूर्वांचल की ओर जाने वाली ट्रेनों में भीड़ से लगा सकते हैं.
और जो लोग अपने घर वापस नहीं आ पाते हैं या किसी दूसरे देश-प्रदेश में बस गए हैं वह वहीं पर इस त्योहार को मनाने लगे हैं. तस्वीरें देखकर आपको अंदाजा हो जाएगा कि इस पूजा का महत्व कितना बढ़ता जा रहा है.
छठ पर्व की महत्ता इस बात से समझी जा सकती है कि देश-विदेश में बसे लोग भी इस त्योहार को मनाने के लिए अपने घर आते हैं. इस बात का अंदाजा आप बिहार और पूर्वांचल की ओर जाने वाली ट्रेनों में भीड़ से लगा सकते हैं.
और जो लोग अपने घर वापस नहीं आ पाते हैं या किसी दूसरे देश-प्रदेश में बस गए हैं वह वहीं पर इस त्योहार को मनाने लगे हैं. तस्वीरें देखकर आपको अंदाजा हो जाएगा कि इस पूजा का महत्व कितना बढ़ता जा रहा है.
पारंपरिक तौर पर तो छठ का त्योहार तो नदियों और तलाब के किनारे ही मनाया जाता रहा है लेकिन महानगरों मे बसे लोग अब स्वीमिंग पुल के किनारे भी इसको मनाते हैं.
जैसे-जैसे छठ पूजा का महत्व बढ़ रहा है, इसके साथ ही इसमें चमक-दमक भी बढ़ती जा रही है.
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