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This Article is From Jul 29, 2020

संविधान की प्रस्तावना से 'धर्मनिरपेक्ष' और 'समाजवादी' शब्द हटाने के लिए SC में याचिका, बताई यह वजह  

संविधान की प्रस्तावना में 42वें संशोधन के ज़रिए जोड़े गए शब्दों 'धर्मनिरपेक्ष और 'समाजवादी' को हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है.

संविधान की प्रस्तावना से 'धर्मनिरपेक्ष' और 'समाजवादी' शब्द हटाने के लिए SC में याचिका, बताई यह वजह  
संविधान की प्रस्तावना से 'धर्मनिरपेक्ष' और 'समाजवादी' हटाने के लिए याचिका (फाइल फोटो)
Quick Take
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
प्रस्तावना से धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी शब्द हटाने के लिए याचिका
नागरिकों पर राजनीतिक विचारधारा थोपी जा रही : याचिका
ये दो शब्द संवैधानिक बाधा बन जाते हैं : याचिका
नई दिल्ली:

संविधान (Constitution) की प्रस्तावना (Preamble) में 42वें संशोधन  (42nd amendment) के ज़रिए जोड़े गए शब्दों 'धर्मनिरपेक्ष (Secular)' और 'समाजवादी (socialist)' को हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में याचिका दाखिल की गई है. याचिका में कहा गया है कि इस बदलाव के जरिए नागरिकों पर राजनीतिक विचारधारा थोपी जा रही है, क्योंकि दरअसल सेक्युलरिज़्म -सोशलिज़्म राजनीतिक विचार हैं. 

याचिका में कहा गया है कि राजनीतिक दलों के रजिस्ट्रेशन के लिए भी इन पर सहमति अनिवार्य रखी गई है जबकि संविधान की प्रस्तावना के ज़रिए ये सब मान लेने के बाद धार्मिक स्वतंत्रता यानी अपनी आस्था का धर्म मानने और उसका प्रचार प्रसार करने के अधिकार का कोई मतलब नहीं रह जाता. ये दो शब्द उसमें संवैधानिक बाधा बन जाते हैं. 

इसके अलावा 26 नवम्बर 1949 को मूल प्रस्तावना के ज़रिए जो संकल्प देश की जनता ने लिया था उसमे संशोधन कैसे हो सकता है? अगर कुछ बदलाव, संशोधन या परिवर्तन करना है तो प्रस्ताव यानी संकल्प नए सिरे से ही करना होगा. 

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