
- बाबा रामदेव ने एनडीटीवी से बातचीत में कई संवेदनशील मुद्दों पर विचार साझा किए
- शेफाली जरीवाला की मौत से एंटी एजिंग ट्रीटमेंट भी चर्चा में है, जिस पर योग गुरु ने बात की
- शेफाली के मामले में उपवास को विज्ञान बताते हुए योग गुरु ने संतुलित जीवन जीने की सलाह दी
- बाबा रामदेव ने संविधान पर भरोसा रखने और बदले की भावना छोड़ने का संदेश दिया
योग गुरु बाबा रामदेव ने हाल ही में अपने बेबाक अंदाज में एनडीटीवी से खास बातचीत की, जिसमें उन्होंने देश के सबसे संवेदनशील मुद्दों पर खुलकर बात की. शेफाली की मौत, कथावाचकों के साथ बदसलूकी, मनुस्मृति बनाम संविधान, महाराष्ट्र में हिंदी को लेकर मचे बवाल — इन सब पर उन्होंने सिर्फ बयान नहीं दिया, बल्कि सनातन धर्म के असली मर्म और भारतीय संविधान की बराबरी की भावना के बारे में भी समझाया. रामदेव ने अपने जीवन के 50 साल के योग और संयम के अनुभवों को भी साझा किया और समाज को स्वस्थ रहने, भेदभाव छोड़ने और वैमनस्य मिटाने का संदेश दिया. जानिए बाबा रामदेव ने किस मुद्दे पर क्या कुछ कहा-
उपवास, योग और स्वस्थ जीवन पर भी राय
रामदेव ने कहा शेफाली मौत मामले पर बात करते हुए कहा कि उपवास एक विज्ञान है. पानी के बिना उपवास भी संभव है बशर्ते एक दिन पहले फलाहार कर लें मिर्च-मसाला न खाएं, वरना डिहाइड्रेशन हो जाएगा. उन्होंने बच्चों के लिए कहा कि 3 से 5 साल तक के बच्चों को चीनी, मैदा, सफेद चावल और फास्ट फूड बिल्कुल न दें. युवाओं को चाहिए कि होश में रहें, ज्यादा उथल-पुथल न मचाएं. लाइफ AI नहीं है, यह रियल है, सोच-समझकर संतुलित जीवन जिएं. उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि मैं 50 साल से योगाभ्यास कर रहा हूं. न कभी अकेलापन, न खालीपन, न सूनापन. शरीर के साथ छेड़छाड़ मत करो, प्रकृति का विधान तोड़ोगे तो बीमार हो जाओगे.
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शेफाली के एंटी एजिंग ट्रीटमेंट पर बाबा रामदेव क्या बोले
शेफाली के एंटी एजिंग ट्रीटमेंट पर बाबा रामदेव ने कहा कि बचपन के बाद जवानी और जवानी के बाद बुढ़ापा आना तय है. जवान दिखना और जवान बने रहना, दोनों अलग विषय हैं. उन्होंने कहा, 'हमारी बॉडी में जो कोशिकाएं हैं, उसकी एक आयु होती है. इसके साथ अगर सिंथेटिक छेड़छाड़ किया जाए तो शरीर में भी बाढ़, भूकंप जैसे उपद्रव सामने आते हैं. परिणामस्वरूप हार्ट अटैक जैसे मामले सामने आते हैं. दरअसल, बॉलीवुड अभिनेत्री शेफाली जरीवाला की मौत के बाद एंटी एजिंग ट्रीटमेंट चर्चा में बना हुआ है.
बाबा रामदेव ने अपनी उम्र का खुलासा करते हुए कहा कि उनकी उम्र 60 वर्ष के पार पहुंच चुकी है, लेकिन योग, आहार, व्यवहार और अच्छी जीवनशैली की बदौलत वे स्वस्थ, तंदुरुस्त और बिल्कुल फिट हैं. NDTV के सवाल कि शेफाली जरीवाला भी फिट दिखती थीं... बाबा रामदेव ने दो टूक कहा, 'हार्डवेयर ठीक था, सॉफ्टवेयर गड़बड़ था. सिम्टम्स ठीक थे, सिस्टम गड़बड़ था.
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बदले की भावना छोड़ो, संविधान पर भरोसा रखो
कथावाचक से जुड़ी बदसलूकी और विवादों पर बाबा रामदेव ने कहा कि जिन्होंने भी इस मामले में बदसलूकी की है, वे बदले की भावना छोड़ें. हमें अपने देश के संविधान पर पूरा भरोसा है. प्रतिशोध में किसी समस्या का हल नहीं. न्याय का काम न्याय को करने दो. इस मामले में तरह-तरह की अफवाहें हैं — नकली आईडी कार्ड जैसी बातें हो रही हैं, जिनका कोई सबूत. मैं बाबा बागेश्वर को भी फोन करूंगा कि सुनी-सुनाई बातों पर बोलना ठीक नहीं. वैमनस्य खत्म करो और सनातन के मूल्यों को जियो
मनुस्मृति बनाम संविधान की बहस पर क्या बोले रामदेव
भेदभाव, ऊंच-नीच और जातिवाद पर बाबा रामदेव ने तीखा प्रहार करते हुए कहा कि जब सबका डीएनए एक है, पूर्वज एक हैं, धरती एक है, तो फिर लोगों के बीच भेद कहां से आ गया? भगवान की बनाई सृष्टि में भेद क्यों करते हो? शूद्र का मतलब अछूत नहीं, आज हर वर्ग हर काम कर रहा है. यह एकाधिकार का प्रश्न न तो संवैधानिक है, न विधान सम्मत. रामदेव ने वेदों का हवाला देते हुए कहा कि वेद भी समानता की बात करते हैं, संविधान भी. धर्म वही है जो धारण किया जाए. जो अपने को दूसरे को नीचा दिखाकर श्रेष्ठ बताता है, वह सनातनी हो ही नहीं सकता. मैं ऐसे लोगों से खुली बहस को तैयार हूं.
वक्फ मामले में एकाधिकार को खत्म करने के पक्षधर
रामदेव ने कहा कि हमारे देश में वक्फ बोर्ड जैसे भी कई मामले हैं जो एकाधिकारवादी हैं. इस्लाम में भी कुछ ताकतवर लोग चाहते हैं उनकी सत्ता को कोई चुनौती न दें यही स्थिति पादरियों और पोप चुनाव में भी है. जो कहते हैं कि हम सबसे बड़े धर्म गुरु हैं, चलो वोटिंग करवा लो, सच्चाई सामने आ जाएगी. उन्होंने कहा देश कालोकतंत्र संविधान से चलेगा. आंतरिक वैचारिक लोकतंत्र भी जरूरी है. मतांध लोग जो बौद्धिक रूप से खोखले हैं, वे भारत के विकास के सपने को न तोड़ पाएं.
सनातन का असली अर्थ समझो — सबका हूं, सब मेरे हैं
बाबा रामदेव ने वैदिक दृष्टिकोण को समझाते हुए कहा कि मैं संन्यासी हूं, अपने भीतर भगवान को देखता हूं. सबमें एक आत्मा है, यही सनातन है. किसी को नीचा बताने के लिए शास्त्र की व्याख्या मत करो. मैं फोर इन वन हूं, मैं ब्राह्मण भी हूं, वैश्य भी, क्षत्रिय भी और शूद्र भी हूं. असल मैं पढ़ा-लिखा संन्यासी हूं, कोई भंगेड़ी-गंजेड़ी नहीं. मेरा निवेदन है कि धर्म वही है जो आचरण में आए.
मंदिरों की संपत्ति नेता क्यों खा जाते हैं?"
रामदेव ने कहा कि जैसे वक्फ में सुधार हो रहे हैं, वैसे ही मंदिर प्रबंधकों और सरकार की व्यवस्थाओं में बहुत खामियां हैं. देश की तमाम पार्टियां मंदिर का चढ़ावा क्यों खा जाते हैं? वो मंदिरों के काम आना चाहिए. जैसे कि वो अपने अनुष्ठान करते हैं, अस्पताल चलाते हैं या अन्य कामों में पैसे का इस्तेमाल होना चाहिए
हिंदी पर महाराष्ट्र विवाद — एकता पर जोर
महाराष्ट्र में अभी त्रिभाषा फॉर्मूले को लेकर हिंदी का बहुत विरोध हुआ, जिस पर फडणवीस ने हिंदी की अनिवार्यता वाला फैसला वापस ले लिया है. बाबा रामदेव ने महाराष्ट्र में हिंदी को लेकर उठे विवाद पर कहा कि हमारे देश के महापुरुषों ने पूरे देश को एक सूत्र में बांधने का काम किया है, जाहिर सी बात है कि हिंदी को सम्मान मिलना चाहिए. साथ ही अन्य भारतीय भाषाओं पर भी ध्यान देना चाहिए.
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