
दिल्ली पुलिस और वकीलों के बीच हुई झड़प के मामले में सुप्रीम कोर्ट में पुलिस के धरने के खिलाफ याचिका दाखिल की गई है. याचिका में सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के जज की अध्यक्षता में जांच की मांग की गई है. तीन वकीलों जीएस मणि, राजेश कुमार मौर्य और प्रदीप कुमार यादव ने धरने में भाग लेने वाले दिल्ली पुलिस के कर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जांच करने की मांग की है.
याचिका में कहा गया है कि 5 नवंबर 2019 को पुलिस कर्मियों द्वारा आईटीओ मुख्यालय और इंडिया गेट इलाकों में 11 घंटे लंबा विरोध और आंदोलन गैरकानूनी था.
पुलिस अधिकार अधिनियम 1966 के तहत प्रतिबंध है जो पुलिस कर्मियों को विरोध और भागीदारी से रोकता है. अगर किसी ने इस धारा का उल्लंघन किया तो उसे दो साल की जेल की सजा हो सकती है.
गौरतलब है कि गत दो नवंबर को दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट में वकीलों और पुलिस के बीच झड़प हो गई थी. पार्किंग को लेकर पुलिस वालों और वकीलों में विवाद हो गया जो बाद में झड़प में तब्दील हो गया था. झड़प के दौरान फायरिंग भी हुई थी. कई गाड़ियों में तोड़फोड़ और आगजनी हुई थी. वकीलों ने कोर्ट का दरवाजा अंदर से लॉक कर दिया था. प्रत्यक्षदर्शियों और अधिकारियों के अनुसार झड़प में 10 पुलिसकर्मी और कई वकील घायल हो गए थे. इस दौरान 17 वाहनों में तोड़फोड़ की गई थी.
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