अमेरिका और ईरान के बीच सैन्य टकराव (Iran-US Tensions) के बढ़ते अंदेशे के बीच भारतीय नौसेना फारस की खाड़ी से आने-जाने वाले भारतीय टैंकरों पर अपने अफ़सरों को तैनात करने जा रही है. गुरुवार को ईरान ने अमेरिका के एक ड्रोन को यह कहते हुए मार गिराया था कि वह उसके इलाके में था, हालांकि अमेरिका ने इसका विरोध करते हुए कहा था कि वह उसका ड्रोन अंतराष्ट्रीय वायुक्षेत्र में उड़ान भर रहा था. अधिकारियों ने बताया कि ड्रोन को हर्मुज जलसंधि के पास मार गिराया गया था. इस घटना से नाराज अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ट्वीट कर कहा था, 'ईरान ने गलती कर दी.' इसकी प्रतिक्रिया में पहले तो ट्रंप ने ईरान पर हमले का आदेश दे दिया लेकिन हमला शुरू होने से कुछ घंटे पहले ही अपना आदेश वापस ले लिया.
ईरान ने आज कहा कि उसके पास अविवादित सबूत थे कि अमेरिकी ड्रोन ने उसकी वायुसीमा का उल्लंघन किय. इस घटना से दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ा है. उल्लेखनीय है कि इस जल क्षेत्र में करीब हफ्ते भर पहले दो टैंकरों पर हमला हुआ था और अमेरिका ने इस हमले के लिए ईरान को जिम्मेदार ठहराया था.
NDTV को मिली जानकारी के मुताबिक भारतीय नौसेना फ़ारस की खाड़ी से आने-जाने वाले टैंकरों पर अपने अफसरों की तैनाती के लिए योजना बना रही है. नौसेना की हर टीम में एक अफ़सर और 2 नौसैनिक होंगे. ये टीमें उन टैंकरों पर हेलीकॉप्टर से उतारी जाएंगी जहां हेलीकॉप्टर डेक हैं या फिर बोट से पहुंचेंगी. नौसेना की ये टीमें भारतीय तेल टैंकरों को हर्मुज जलडमरूमध्य से बाहर ले जाएंगी.
हर रोज़ 5 से 8 भारतीय टैंकर फ़ारस की खाड़ी से गुज़रते हैं. इनमें कच्चा तेल लाने वाले विशालकाय टैंकर हर रोज फारस की खाड़ी से आते जाते हैं और जो भारत की ऊर्जा सुरक्षा की जरूरतों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. भारत का 63% से अधिक कच्चा तेल खाड़ी के रास्ते आता है. इराक़, सऊदी अरब, ईरान, यूएई और कुवैत वो अहम देश हैं जिनसे भारत का कारोबार है.
शुक्रवार दोपहर को डीजी शिपिंग, नौसेना और भारतीय जहाज़ मालिक संघ को लेकर बैठक भी हुई. 13 और 16 जून को डीजी शिपिंग ने एडवाइजरी जारी कर हर्मुज जलसंधि का इस्तेमाल करने वाले भारतीय जहाजों से पर्याप्त सुरक्षा उपाय करने को कहा था. इन सभी जहाजों पर नौसेना के गुड़गांव स्थित इंफॉर्मेशन फ्यूजन सेंटर से नजर रखी जा रही है.
भारतीय नौसेना के आईएनएस चेन्नई और आईएनएस सुनयना को मिशन में लगाया गया है. साथ ही भारतीय नौसेना के विमान भी क्षेत्र में हवाई निगरानी में शामिल हैं.
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