कैसी विडंबना है कि लोकसभा में गुरुवार को काली मिर्च का स्प्रे छिड़कने वाले कांग्रेस से निष्कासित सांसद एल राजगोपाल एक बार संसद में अभद्र व्यवहार पर रोकथाम के लिए कड़े कदम उठाने की मंशा जता चुके हैं।
राजगोपाल ने सांसदों द्वारा सदन की कार्यवाही बाधित करने और ऐसा करने वालों को दंडित करने के प्रस्ताव के साथ 2009 में लोकसभा में एक गैर-सरकारी विधेयक सफलतापूर्वक पेश किया था।
आज लोकसभा में उस समय अभूतपूर्व दृश्य देखने को मिला जब पेशे से उद्योगपति और सांसद राजगोपाल ने आंध्र प्रदेश के विभाजन का विरोध किया और तेलंगाना विधेयक को पेश किये जाने के दौरान काली मिर्च का स्प्रे सदन में छिड़क दिया।
विजयवाड़ा से दूसरी बार लोकसभा में कांग्रेस के सदस्य के तौर पर प्रतिनिधित्व करने वाले राजगोपाल ने 31 जुलाई, 2009 को विधेयक पेश किया था और लोकसभा ने इसे पेश करने के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया था।
'संसद की कार्यवाही में अवरोध (सदस्यों को दैनिक भत्ता नहीं देने और सदस्यता समाप्ति) विधेयक, 2009' में प्रस्ताव था कि यदि कोई सदस्य या उनका कोई समूह एक ही सत्र में तीसरी बार सदन की कार्यवाही बाधित करता है तो सदन ऐसे सदस्य या समूह की सदस्यता मामले के अनुसार समाप्त करने का प्रस्ताव पारित कर सकता है।
हालांकि आज इन्हीं सांसद महोदय ने आसन के समीप आकर जो किया वह संसद के इतिहास में दुर्भाग्यपूर्ण दृश्य के तौर पर अंकित हो गया। काली मिर्च का स्प्रे छिड़कने की सांसद की करतूत के चलते चार सांसदों को अस्पताल तक ले जाना पड़ गया।
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